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बाराबंकी: हाय रे शिक्षा व्यवस्था, टपकती छत के नीचे छाता लेकर पढ़ रहे बच्चे - शंकरगढ़ प्राइमरी स्कूल

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में शिक्षा व्यवस्था को शर्मसार कर देने वाली तस्वीरें सामने आई हैं. दरअसल शंकरगढ़ के प्राइमरी स्कूल में टपकटी छत के नीचे हाथों में छाता लिए बच्चे पढ़ाई करने को मजबूर हैं.

छाता लेकर पढ़ रहे बच्चे.
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Published : Sep 27, 2019, 11:46 PM IST

बाराबंकी: टपकती छत, खौफ के साये में पढ़ते बच्चे, ब्लैकबोर्ड पर निगाहें और हाथों में छाता. शिक्षा व्यवस्था को शर्मसार कर देने वाली ये तस्वीरें कहीं और की नहीं बल्कि बाराबंकी जिले के शंकरगढ़ प्राथमिक विद्यालय की है. सरकार के तमाम दावों की ये तस्वीरें कलई खोल रही हैं. बारिश की ये बूंदें सरकार के तमाम दावों पर पानी फेरने के लिए काफी हैं. हुक्मरान शिक्षा की बेहतरी को लेकर खूब कसीदे पढ़ते हैं, लेकिन उन कसीदों का क्या..जो जमीन पर आते ही पानी का बुलबुला बनकर गायब हो जाते हैं.

देखें खास रिपोर्ट.

बाराबंकी के शंकरगढ़ के प्राइमरी स्कूल की हालत अलग ही कहानी बयां कर रही है. स्कूल की दीवारों और छतों में दरारें पड़ गई हैं. बारिश ने स्कूल का बुरा हाल कर दिया है. छत से पानी टपक रहा है, क्लासरूम में बच्चे सिर पर छाता तानकर पढ़ रहे हैं और शिक्षक सरकारी व्यवस्था की दुहाई दे रहे हैं.

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प्रदेश की योगी सरकार ने बजट में स्कूली बच्चों के लिए जूते, मोजे, स्वेटर, किताब और यूनिफॉर्म के लिए करोड़ों रुपये का प्रावधान कर दिया, लेकिन जब इंद्रदेव मेहरबान हुए तो सारे इंतजामात धरे के धरे रह गये. टपकती छत और हाथों में छाता लिए बच्चों की ये तस्वीरें...सरकारी तंत्र और सत्ता के हुक्मरानों के तमाम दावों की पोल खोल रहे हैं.

ये भी पढ़ें- ये यूपी है भइया! यहां नहरों में बहती है शराब, वीडियो जरा ध्यान से देखें

साहेब ने जांच की बात कर सरकारी खानापूर्ति तो कर दी, लेकिन मन में शिक्षा की अलख जगाए ये बच्चे खौफ के साये में पढ़ने को मजबूर हैं और बेपरवाह प्रशासन जांच की दुहाई दे रहा है. इन नौनिहालों की आंखों में कई सपने तो सजते हैं, लेकिन छतों से टपकती बूंदों में वो धुल जाती हैं. छत से टपकता पानी तो नहीं सूखा लेकिन लगता है कि जिम्मेदार साहबों की आंखों का पानी जरुर सूख चुका है. तभी बच्चे टपकती छत के नीचे पढ़ने के लिये मजबूर हैं.

बाराबंकी: टपकती छत, खौफ के साये में पढ़ते बच्चे, ब्लैकबोर्ड पर निगाहें और हाथों में छाता. शिक्षा व्यवस्था को शर्मसार कर देने वाली ये तस्वीरें कहीं और की नहीं बल्कि बाराबंकी जिले के शंकरगढ़ प्राथमिक विद्यालय की है. सरकार के तमाम दावों की ये तस्वीरें कलई खोल रही हैं. बारिश की ये बूंदें सरकार के तमाम दावों पर पानी फेरने के लिए काफी हैं. हुक्मरान शिक्षा की बेहतरी को लेकर खूब कसीदे पढ़ते हैं, लेकिन उन कसीदों का क्या..जो जमीन पर आते ही पानी का बुलबुला बनकर गायब हो जाते हैं.

देखें खास रिपोर्ट.

बाराबंकी के शंकरगढ़ के प्राइमरी स्कूल की हालत अलग ही कहानी बयां कर रही है. स्कूल की दीवारों और छतों में दरारें पड़ गई हैं. बारिश ने स्कूल का बुरा हाल कर दिया है. छत से पानी टपक रहा है, क्लासरूम में बच्चे सिर पर छाता तानकर पढ़ रहे हैं और शिक्षक सरकारी व्यवस्था की दुहाई दे रहे हैं.

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प्रदेश की योगी सरकार ने बजट में स्कूली बच्चों के लिए जूते, मोजे, स्वेटर, किताब और यूनिफॉर्म के लिए करोड़ों रुपये का प्रावधान कर दिया, लेकिन जब इंद्रदेव मेहरबान हुए तो सारे इंतजामात धरे के धरे रह गये. टपकती छत और हाथों में छाता लिए बच्चों की ये तस्वीरें...सरकारी तंत्र और सत्ता के हुक्मरानों के तमाम दावों की पोल खोल रहे हैं.

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साहेब ने जांच की बात कर सरकारी खानापूर्ति तो कर दी, लेकिन मन में शिक्षा की अलख जगाए ये बच्चे खौफ के साये में पढ़ने को मजबूर हैं और बेपरवाह प्रशासन जांच की दुहाई दे रहा है. इन नौनिहालों की आंखों में कई सपने तो सजते हैं, लेकिन छतों से टपकती बूंदों में वो धुल जाती हैं. छत से टपकता पानी तो नहीं सूखा लेकिन लगता है कि जिम्मेदार साहबों की आंखों का पानी जरुर सूख चुका है. तभी बच्चे टपकती छत के नीचे पढ़ने के लिये मजबूर हैं.

Intro: बाराबंकी, 27 सितंबर। टपकती छत के नीचे छाता लेकर पढ़ने को मजबूर बच्चे. खस्ताहाल है पूरे स्कूल की बिल्डिंग. इस प्राथमिक विद्यालय में कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा. आखिर प्राथमिक विद्यालय की इस हालत का जिम्मेदार कौन है. अभी तक इस प्राथमिक विद्यालय में बच्चों के पढ़ने के लिए व्यवस्थित प्रबंधक क्यों नहीं किए गए. फिलहाल बारिश के चलते कुछ दिनों के लिए स्कूल बंद है. लेकिन यह वीडियो जो आप देख रहे हैं स्कूल के बंद होने से पहले 26 सितंबर का है. बरसात होते ही इस प्राथमिक विद्यालय के दीवार की कलई खुल गई.
Body:क्लासरूम में अगर बच्चे छाता लगाकर पढ़ रहे हों तो हैरान मत होइएगा.बाराबंकी जिले में खस्ताहाल सरकारी स्कूल है, जहां क्लास में टीचर के साथ बच्चों को भी हाथ में छाता पकड़कर बैठना पड़ रहा है. बारिश के मौसम में जिले के सैकड़ों छात्र-छात्राएं ऐसे माहौल में पढ़ने को मजबूर हैं. यहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.
प्रदेश की योगी सरकार ने बजट में स्कूली बच्चों के जूते, मोजे, स्वेटर, किताबें और यूनिफॉर्म के लिए करोड़ों रुपए का प्रावधान रखा है. लेकिन बाराबंकी के प्राइमरी स्कूल की हालत अलग ही कहानी बयां कर रही हैं. बाराबंकी के विकासखंड बनीकोडर में स्थित प्राथमिक विद्यालय शंकरगढ़ स्थित है. यहां की स्थिति काफी दयनीय है. इन स्कूलों की दीवारों और छतों में दरार पड़ गई है. बारिश ने स्कूल का बुरा हाल कर दिया है. छत से पानी टपक रहा है, बावजूद इसके छात्र यहीं पढ़ने को मजबूर हैं.
इन स्कूलों में तैनात अध्यापकों का कहना है कि स्कूल की इमारत बिल्कुल जर्जर हो चुकी है.स्कूल में कभी भी बड़ी घटना हो सकती है. बारिश के मौसम में बच्चे हाथ में छाता लेकर पढ़ाई करते हैं. स्कूल टीचर के मुताबिक, बच्चों के घरवाले बारिश में उन्हें स्कूल नहीं भेजते, कई लोगों ने तो अपने बच्चों का नाम तक स्कूल से कटा लिया है। उन्होंने बताया कि, बारिश के चलते अक्सर हम लोग स्कूल में छुट्टी कर देते हैं,. क्योंकि कभी भी यहां कोई बड़ा हादसा हो सकता है. हम लोगों को मजबूरी में बच्चों को यहां ऐसी हालत में पढ़ाना पड़ रहा है.
स्कूल में तैनात शिक्षामित्र के मुताबिक इन लोगों ने विभाग के आलाधिकारियों को कई बार स्कूल की ऐसी स्थिति के बारे में अवगत कराया गया है. स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों ने बताया कि हर बार बारिश में स्कूल का यही हाल रहता है. हम लोग बारिश में घर से छाता लाकर यहां पढ़ाई करने आते हैं.कई बच्चों ने बताया कि हमारे घरवाले हमको बारिश में स्कूल नहीं आने देते.
सरकारी स्कूल की ऐसी खस्ताहाल स्थिति पर बाराबंकी के बीएसए वीपी सिंह का कहना है कि उन्हें इस बारे में अभी जानकारी मिली है. वह विभाग के अधिकारी को भेजकर इस बात की जांच कराएंगे कि ऐसी जर्जर बिल्डिंग में स्कूल क्यों चल रहा है, और जल्द ही स्कूल की मरम्मत कराई जाएगी. जल्द ही प्रेरणा एप्प के माध्यम से इन सभी चीजों की मॉनिटरिंग होगी और स्थिति में सुधार कराया जाएगा.

Conclusion: सवाल इस बात का है कि समय रहते यदि बिल्डिंग की मरम्मत कराई गई होती तो बरसात के दौरान इस तरह की स्थितियां पैदा ना होती और सुरक्षा का इतना बड़ा खतरा भी उत्पन्न ना होता लेकिन कहीं ना कहीं यह विभागीय लापरवाही का बड़ा नमूना है.


बाइट- देवी प्रसाद, शिक्षामित्र,
बाइट- वीपी सिंह, बीएसए, बाराबंकी.



रिपोर्ट - आलोक कुमार शुक्ला ,रिपोर्टर बाराबंकी 96284 76907
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