बाराबंकी : अभियोजन विभाग की सक्रियता और समुचित पैरवी के चलते बीते छह महीने में बाराबंकी की तीन अदालतों ने अकेले पॉक्सो एक्ट के 42 मामलों में सजाएं सुनाई हैं. अदालतों ने दोषियों को कठोर सजा दी हैं. इसमें सबसे ज्यादा अपर सत्र न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) कोर्ट नम्बर 44 द्वारा 20 मामलों, कोर्ट नम्बर 45 द्वारा 14 और कोर्ट नम्बर 46 द्वारा 08 मामलों में फैसला सुनाया गया है. महिला एवं बाल अपराधों खासकर यौन उत्पीड़न (POCSO ACT) के मामलों पर नियंत्रण के लिए शासन पूरी तरह गंभीर है. यही वजह है कि प्रभावी अभियोजन के चलते बीते छह महीने में बाराबंकी की विभिन्न अदालतों ने 42 मामलों में दोष सिद्ध करते हुए दोषियों को कठोर सजाएं सुनाई हैं.
बाराबंकी में पॉक्सो एक्ट की सुनवाई के लिए गठित तीन न्यायालयों द्वारा बीते छह माह में (अक्टूबर से अब तक) 42 मामलों में कनविक्शन किया गया है. इनमें सबसे ज्यादा कनविक्शन कोर्ट नम्बर 44 से हुए हैं. संयुक्त निदेशक अभियोजन दिनेश कुमार मिश्र ने बताया कि शासन की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध होने वाले अपराधों पर नियंत्रण के लिए जो शासन की मंशा के अनुरूप ऐसे मामलों में अभियोजन पूरी तरह से सक्रिय रूप से अपनी भूमिका अदा कर रहा है. अभियोजन गवाहों को समय से न्यायालयों में उपस्थित करता है. उनके निर्भीकतापूर्वक बयान कराने में सक्रिय भूमिका अदा करते हुए दोषियों को अधिकतम सजा करा रहा है.
पॉक्सो एक्ट : देश मे बच्चों के यौन शोषण के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार द्वारा वर्ष 2012 में पॉक्सो एक्ट (POCSO-Protection Of Children Against Sexual Offence) यानी यौन अपराधों के खिलाफ बच्चों की सुरक्षा के लिए कानून बनाया गया था. इस कानून के तहत 18 वर्ष से कम आयु तक के लोगों को बच्चा माना गया और उसके साथ यौन उत्पीड़न को अपराध की श्रेणी में रखा गया है. इस एक्ट के अंतर्गत बाल यौन शोषण, यौन उत्पीड़न और पोर्नोग्राफी के विरुद्ध कड़े प्रावधान हैं. एक्ट के तहत बच्चों के साथ अश्लील हरकत करना, उनके प्राइवेट पार्ट्स को छूना या बच्चों से अपने प्राइवेट पार्ट्स को टच करवाना, बच्चों को अश्लील फ़िल्म या पोर्नोग्राफिक कंटेंट दिखाना, बच्चों के शरीर को गलत इरादों से छूना या गलत इरादों से की गई सभी हरकतें इस एक्ट में कवर होती हैं. ऐसा अपराध करने वाले को सात वर्ष के कारावास से लगाकर उम्रकैद की सजा का और साथ मे अर्थदंड का प्रावधान है. इस एक्ट में कुल 47 धाराएं हैं. जिनमें अलग-अलग कैटेगरी के अपराधों पर अलग अलग दंड का प्राविधान है. जैसे धारा 3 के अंतर्गत आने वाले अपराध के लिए धारा 4 में दंड है. जिसके तहत ऐसा अपराध करने वाले को 10 वर्ष से लगाकर आजीवन कारावास और अर्थदंड की सजा हो सकती है. अगर चाइल्ड 16 वर्ष से कम है तो 20 वर्ष से लगाकर आजीवन हो सकती है.
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