बाराबंकी: कृषि विभाग के कर्मचारी पूरे अक्टूबर महीने गांव-गांव जाकर चूहे और छछूंदर मारेंगे. चौंकिए नहीं, ये सच है. दरअसल, संचारी रोगों की रोकथाम के लिए मंगलवार से शुरू हुए इस विशेष अभियान में कृषि विभाग को ये जिम्मेदारी दी गई है. ये अभियान 31 अक्टूबर तक चलेगा. जिसके तहत विभागीय कर्मचारी गांव-गांव जाकर किसानों और ग्रामीणों को चूहे और छछूंदर से होने वाले नुकसानों के प्रति जागरूक करेंगे, साथ ही इनको मारने की तकनीक भी बताएंगे.
बता दें कि बरसात के मौसम में संचारी रोगों के फैलने का खतरा बढ़ जाता है. नाले-नालियों और गंदगी से पनपने वाले कीटों और जानवरों से संचारी रोग तेजी से फैलते हैं. मच्छर, चूहे और छछूंदर इन रोगों को आसानी से फैला देते हैं. दिमागी बुखार, लेप्टोस्पाइरोसिस और स्क्रब टाइफस बुखार के ये खास वाहक माने जाते हैं. चूहे और छछूंदर नुकसानदायक वायरस और बैक्टीरिया फैलाने के साथ साथ घरों और फसलों को भी नुकसान पहुंचाते हैं. अब कृषि विभाग गांव-गांव जाकर इनका नियंत्रण करेगा, ताकि इन बीमारियों को फैलने से रोका जा सके.
कृषि विभाग ने तैयार किया मेकैनिज्म: कृषि विभाग ने अभियान को सफल बनाने के लिए खास मेकेनिज्म तैयार किया है. जिला कृषि रक्षा अधिकारी विजय कुमार ने बताया कि इस विशेष अभियान के तहत प्रत्येक ग्राम पंचायत में किसानों और ग्रामीणों के बीच बैठक कर उन्हें इन चूहों और छछूंदर से होने वाले नुकसानों से अवगत कराया जाएगा. इनसे बचाव के लिए जागरूक किया जाएगा. फिर इन चूहों और छछूंदर को मारने की तकनीक बताई जाएगी. जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया कि 03 अक्टूबर से शुरू होकर यह अभियान 31 अक्टूबर तक चलेगा. इसके लिए विभागीय कर्मचारियों को नामित कर दिया गया है, जो गांव गांव जाकर इस अभियान को सफल बनाएंगे.
इसे भी पढ़े-उत्तर प्रदेश में धान की पैदावार बढ़ाने के लिए कृषि विभाग ने उठाया ये कदम
प्रक्रिया के लिए एक हफ्ते का कोर्स: विजय कुमार ने बताया कि पहले दिख रहे बिलों को चिह्नित कर उन्हें बंद किया जाएगा. इसके बाद अगले दिन उन बिलों को देखा जाएगा. जो बिल खुले मिलेंगे उससे पता चल जाएगा कि इन बिलों में चूहे या छछूंदर का आना-जाना है. उन बिलों तक उनको लाने के लिए हर बिल में एक ग्राम सरसों का तेल और 48 ग्राम भुने चने के दाने रखे जाएंगे. उसके अगले दिन भी यही सामग्री इन बिलों में रखी जायेगी ताकि इन चूहों या छछूंदर का आकर्षण बढ़े और वे बिलों तक आएं. चने खाकर ये लोग निश्चित हो जाएंगे कि उनकी जान को कोई खतरा नही है. चौथे दिन इस सामग्री में जहर मिलाया जाएगा और उसे बिलों में रख दिया जाएगा. अगले दिन मृत चूहों या छछूंदर को जमीन में दफना दिया जाएगा. छठे दिन ये बिल बंद कर दिए जाएंगे. सातवें दिन फिर इन बिलों को चेक किया जाएगा, अगर कोई बिल खुला मिला तो उसके लिए फिर से यही प्रक्रिया अपनाई जाएगी.
क्या है संचारी रोग: संचारी रोग ऐसी बीमारी है जो एक व्यक्ति, जानवर या रोगजनक कीटों से दूसरे व्यक्ति में फैलती है. ये बीमारी वायरस, बैक्टीरिया, प्रोटोजोआ और कवक से फैलती है. संचारी रोग शारीरिक तरल पदार्थ, कीड़े के काटने, दूषित पानी और खाद्य पदार्थों के कारण फैलते हैं. जिला कृषि रक्षा अधिकारी विजय कुमार ने बताया कि निश्चय ही हर वर्ष संचारी रोगों से समाज को बड़ा नुकसान होता है. दिमागी बुखार तो दहशत ही पैदा कर देता है. ऐसे में हम सबकी जिम्मेदारी है कि इन रोगों से बचाव के लिए न केवल सतर्कता बरतें, बल्कि चिकित्सा विभाग द्वारा बताए जा रहे तौर-तरीकों का भी पालन करें.
यह भी पढे़-कृषि विभाग ने किसानों को चेताया, कहा- जैविक खेती नहीं तो जमीन होगी बंजर