बाराबंकी: पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहे सहकारी ग्राम विकास बैंकों की कोविड महामारी ने हालत और भी खराब कर दी है. महामरी के कारण बकायेदार किसान अपने ऋण की अदायगी नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में उनके ऊपर भी दिनों दिन बढ़ रहे ब्याज से इनका बोझ बढ़ता ही जा रहा है. जिस देखते हुए शासन ने किसानों के बोझ को हल्का करने के साथ ही बैंकों की स्थिति सुधारने के लिए एक मुश्त समाधान योजना लागू की है. इस योजना से न केवल बैंकों के अच्छे दिन आएंगे, बल्कि बकायेदार किसानों को अपना लोन अदा करने में बड़ी राहत भी मिलेगी. जिले में 2530 किसानों को इस योजना का लाभ मिलेगा.
6536 किसानों पर करोड़ों का कर्ज
जिले में सहकारी ग्राम विकास बैंक की बाराबंकी, फतेहपुर, रामनगर, सिरौलीगौसपुर, हैदरगढ़ और फतेहपुर को मिलाकर कुल 6 शाखाएं हैं. इन शाखाओं में 6536 किसान बकायेदार हैं, जिनका करोड़ों रुपए बैंक पर बाकी है. बार-बार वसूली अभियान चलाए जाने के बाद भी बैंक इन बकायेदार किसानों से वसूली नहीं कर पा रहा है. इसके चलते बैंक दिन ब दिन कंगाली की ओर बढ़ता जा रहा है.
- ऐसे बकायेदार किसान जिन्होंने 31 मार्च 2013 तक या उससे पहले लोन लिया है.
- ऐसे बकायेदार किसानों जिन्होंने पहली अप्रैल 2013 और उसके बाद लोन लिया है और उनकी मौत 30 जून 2020 से पहले हो गई हो, उनका ऋण खाता बंद करने के लिए इस योजना का लाभ लिया जा सकता है.
- 31 मार्च 2013 से 31 मार्च 1997 के बीच के सारे बकायेदारों को कुछ भी ब्याज नहीं देना होगा, लेकिन उन्हें बैंक से लिए गए लोन लिया का पूरा मूलधन अदा करना होगा.
- पहली अप्रैल 1997 से 31 मार्च 2001 तक के बीच लोन लेने वाले सभी बकायेदार किसानों से मूलधन तो पूरा लिया जाएगा, लेकिन ब्याज में 50 फीसदी छूट दी जाएगी.
- इस योजना का लाभ ऋण खाता बन्द करने पर ही देय होगा.
किस शाखा में कितने बकायेदार
- बाराबंकी 8,53,153
- फतेहपुर 86, 83,22,745
- हैदरगढ़ 72,62,73,706
- रामसनेहीघाट 1,44,79,162
- सिरौलीगौसपुर 32,72, 18,213
- रामनगर 38,01,83, 612
किन मदों में दिया जाता है लोन
उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक लिमिटेड द्वारा कृषि और अकृषि ऋण दिया जाता है. कृषि में पम्पिंग सेट खरीदने, डेयरी स्थापित करने, मुर्गी फार्म, मतस्य पालन के लिए ऋण दिया जाता है. जबकि, अकृषि क्षेत्र में वाहन ऋण, ग्रामोद्योग ऋण, गृह ऋण, उपभोक्ता ऋण और स्वयं सहायता जैसे कई मदों में ऋण दिए जाते हैं. ये लोन किसानों की भूमि बंधक बनाकर दिए जाते हैं. लोन अदायगी की सीमा 5 से 9 वर्षों तक होती है, लेकिन लोन लेने के बाद लोगों ने समय सीमा बीत जाने के बाद भी अदायगी नहीं की. यहां तक कि उनके खाते एनपीए हो गए हैं. अब कोविड महामारी ने बकायेदार किसानों के सामने बड़ा संकट खड़ा कर दिया है. शासन की मंशा है कि इस योजना के जरिये किसानों को राहत मिलेगी साथ ही आर्थिक संकट से जूझ रहे बैंकों की स्थिति बेहतर होगी.
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