बाराबंकी: देश-विदेश से राममंदिर के दर्शन करने धर्मनगरी अयोध्या आने वालों को कोई परेशानी न हो इसके लिए अवध विश्वविद्यालय खास तौर पर गाइड तैयार कर रहा है. विश्व विद्यालय के कुलपति ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में इसका खुलासा किया. एक साहित्यिक कार्यक्रम में शिरकत करने बाराबंकी पहुंचे डॉ राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रवि शंकर सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय ने फ्रेंच,जर्मन,रशियन से लेकर कोरियन,चायनीज और जापानीज भाषाओं में कोर्स शुरू कर छात्र-छात्राओं को ट्रेंड गाइड बनाया जा रहा है. यही नहीे अवध क्षेत्र में बोली जाने वाली अवधी भाषा को भी पोषण देने के लिए पहली बार विश्व विद्यालय ने डिप्लोमा कोर्स शुरू किया है.अवधी भाषा मे कोर्स शुरू करने वाला अवध विश्वविद्यालय अपने आप मे देश का पहला और अकेला शिक्षण संस्थान होगा.
अवधी भाषा को मिलेगा बढ़ावा
गौरतलब है कि फैजाबाद (अब अयोध्या) और उसके आसपास के तकरीबन दर्जन भर जिलों बाराबंकी, लखनऊ, अम्बेडकरनगर,सुल्तानपुर,गोंडा, बस्ती,बलरामपुर,रायबरेली,बहराईच, श्रावस्ती,अमेठी,प्रतापगढ़ और प्रयागराज को अवध क्षेत्र माना जाता है. इसके ग्रामीण अंचलों में अवधी भाषा प्रमुखता से बोली जाती है.शोधकर्ताओं के मुताबिक, 9 करोड़ से ज्यादा लोग अवधी भाषा बोलते हैं. भारत देश ही नहीं विदेशों जैसे फिजी,सूरीनाम,त्रिनिनाद और टोबैगो,गुयाना और मॉरीशस में भी अवधी भाषा बोली जाती है. अवधी भाषा मे रामचरित मानस,पद्मावत,अवध विलास और मधुमालती जैसे तमाम साहित्य हैं. अवधी भाषा में गोस्वामी तुलसीदास, मलिक मोहम्मद जायसी और संत कवि बाबा मलूक दास जैसे मशहूर साहित्यकार रहे हैं. इतना रिच साहित्य होने के बावजूद भी अवधी भाषा को बढाने के लिए प्रयास नहीं हुए, लेकिन डॉ राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के कुलपति बनते ही प्रोफेसर रवि शंकर सिंह ने इसको बढाने की दिशा में सोचा. इसका ही नतीजा है कि विश्वविद्यालय में इसी सत्र से अवधी भाषा के लिए 'पीजी डिप्लोमा इन अवधी' का कोर्स शुरू किया गया.
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