बाराबंकी: स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले एंबुलेंस कर्मचारी अनजाने खतरे को लेकर खासे चिंतित हैं. वे कोरोना पॉजिटिव और सस्पेक्ट मरीजों को घरों से अस्पताल लाने का काम कर रहे हैं. जिस बड़े खतरे के साथ वे ड्यूटी कर रहे हैं, उसके सापेक्ष उनको सुविधाएं नहीं हैं. आदेश के बावजूद भी इनकी कोविड-19 जांच नहीं हो सकी है.
आक्रोशित चालक अब किसी किस्म का खतरा उठाने को तैयार नहीं हैं. लिहाजा उन्होंने काम बंद कर देने की चेतावनी दी है. कोरोना से जंग लड़ने में स्वास्थ्यकर्मी और पुलिसकर्मी बड़ी भूमिका अदा कर रहे हैं. किसी भी सस्पेक्ट की खबर होने पर सबसे पहले यही एम्बुलेंस चालक उस पेशेंट तक पहुंचते हैं और उसे एम्बुलेंस के जरिए अस्पताल पहुंचाते हैं.
कोरोना संक्रमण का सबसे ज्यादा रिस्क इन्हें ही है. यही वजह है कि ये चालक कोविड-19 जांच की मांग कर रहे हैं. जिले में 108 एंबुलेंस की 36 गाड़ियां, 102 एंबुलेंस की 44 गाड़ियां और लाइफ सपोर्ट की 4 गाड़ियां हैं. इन गाड़ियों पर 168 पायलट और 172 इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन तैनात हैं. जिले में 48 एम्बुलेंस कर्मियों की ड्यूटी खासकर कोरोना सन्दिग्ध और पॉजिटिव मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए लगाई गई है, जिसमें जिले की सभी बड़ी सीएचसी पर 12 गाड़ियां लगाई गई हैं.
मुख्यालय पर एक 108 एम्बुलेंस और एक लाइफ स्पोर्ट एम्बुलेंस लगाई गई है. इन पर तैनात चालक और टेक्नीशियन कोरोना सस्पेक्ट और पॉजिटिव मरीजों को अस्पताल पहुंचाते हैं. ऐसे में इनके लिए खासा रिस्क है. शासन ने इनको रीढ़ की हड्डी मानते हुए इन्हें पर्याप्त सुविधाएं दिए जाने का आदेश दिया था, इसके बावजूद इसके ये कर्मचारी अपनी जांच के लिए परेशान हैं.
ये भी पढ़ें- बाराबंकी: घरों पर ही अदा की गई अलविदा जुमे की नमाज