बाराबंकी: आने वाले विधानसभा चुनाव में ऑल इंडिया मोमिन कांफ्रेंस असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम पार्टी का खुलकर विरोध करेगी. ये कहना है ऑल इंडिया मोमिन कांफ्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष फिरोज अहमद अंसारी का. फिरोज अहमद अंसारी शनिवार को बाराबंकी में मीडिया से मुखातिब थे. उन्होंने कहा कि ओवैसी ही नही बल्कि उस जैसे जो भी दल धर्म के नाम पर राजनीति करेंगे उनका मोमिन कांफ्रेंस विरोध करेगी.
सक्रिय हुई आल इंडिया मोमिन कांफ्रेंस
विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है वैसे-वैसे तमाम राजनीतिक दल एक्टिव मोड में आ रहे हैं. इसी कड़ी में ऑल इंडिया मोमिन कांफ्रेंस पूरे हिंदुस्तान में अपने संगठन को और ज्यादा मजबूत बनाने की मुहिम चला रही है. यही नहीं संगठन से जुड़ने वाले नए लोगों को मूल अधिकारों,संवैधानिक अधिकारों का पाठ पढ़ाने के साथ साथ देश और संविधान के प्रति मूल कर्तव्यों से भी अवगत कराया जा रहा है. ऑल इंडिया मोमिन कांफ्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बताया कि मोमिन कांफ्रेंस ने हमेशा राष्ट्रीय हित को सोचकर ही काम किया है. मोमिन कांफ्रेंस ने तमाम त्याग करके हमेशा सेकुलरिज्म और नेशनलिज्म को वोट दिया है. मोमिन कांफ्रेंस भेदभाव और लोगों को गुमराह नहीं करती बल्कि सद्भावना,प्रेम मोहब्बत और भाईचारे का संदेश देती है.
ऑल इंडिया मोमिन कांफ्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष फिरोज अहमद अंसारी ने कहा कि आबादी के हिसाब से बुनकरों को जो भागीदारी मिलनी चाहिए,संगठन उसकी मांग करता आ रहा है. उन्होंने कहा कि मोमिन कांफ्रेंस ने धर्म के नाम पर राजनीति करने वालों का कभी साथ नहीं दिया है. इस बार भी धर्म के नाम पर राजनीति करने वालों का मोमिन कांफ्रेंस बायकॉट करेगी. बुनकरों का हित सोचने वालों का साथ देगी पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि आज सबसे दयनीय स्थिति बुनकरों की है चाहे वो हिन्दू हों या मुस्लिम.
उन्होंने कहा कि किसी भी पार्टी ने सत्ता में रहकर बुनकरों के लिए कोई काम नहीं किया. मोमिन कांफ्रेंस की जो भी समस्याएं हैं, जो भी दल उनको अपने मेनिफेस्टो में शामिल करेगा, संगठन उसका साथ देगा.
क्या है ऑल इंडिया मोमिन कांफ्रेंस
ऑल इंडिया मोमिन कांफ्रेंस एक राजनीतिक दल है. इसकी स्थापना 1911 में हुई थी. इसके गठन का उद्देश्य मोमिन अंसारी समुदाय के हितों के लिए काम करना था. मोमिन कांफ्रेंस देश के बुनकरों को आर्थिक और सामाजिक स्तर पर ऊपर लाने के लिए काम करती है. मोमिन कांफ्रेंस ने भारत के बंटवारे का विरोध किया था और हमेशा गांधी और नेहरू के साथ पाकिस्तान के विरोध में खड़ी रही.
इसे भी पढ़ें- मुख्तार अंसारी के चक्कर में ही समाजवादी पार्टी से हुआ विघटन: शिवपाल यादव