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फर्जी दस्तावेजों के जरिए बेच रहे थे वैज्ञानिक की जमीन, हुआ खुलासा

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में पुलिस ने एक गिरोह का पर्दाफाश किया है. यह गिरोह फर्जी दस्तावेजों से एक वैज्ञानिक की जमीन बेच रहा था. मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

पकड़े गए गिरोह के साथ पुलिस
पकड़े गए गिरोह के साथ पुलिस
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Published : Nov 28, 2020, 6:18 AM IST

बाराबंकीः जिले में फर्जी दस्तावेज से करोड़ों की जमीन बेचने की कोशिश कर रहे गिरोह का पुलिस ने पर्दाफाश किया है. यह गिरोह कूटरचित तरीके से दस्तावेज तैयार कर एक वैज्ञानिक की करोड़ों रुपए की जमीन बेचने का प्रयास कर रहा था. पुलिस ने गिरोह के सरगना समेत पांच अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है. इनके पास से नकली नाम से बना आधार कार्ड और पैन कार्ड भी बरामद किए गए हैं. गिरोह ने असली मालिक के नाम का आधार कार्ड और पैन कार्ड ही नहीं बनवाया बल्कि बैंक में एकाउंट भी खुलवा लिया. पहली बार इस तरह के अनोखे फ्राड को देखकर सभी हैरान हैं.

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फर्जी दस्तावेज
अरुण कुमार की करोड़ों की जमीन बेच रहा था फर्जी गिरोहचंदौली जिले के धीना थानांतर्गत सिसोण्डा कला गांव के रहने वाले अरुण कुमार सिंह कोलकाता के भारतीय समुद्रीय विश्वविद्यालय में वैज्ञानिक हैं. अरुण कुमार ने वर्ष 1989 में बाराबंकी के देवां थानांतर्गत रेंदुआ पल्हरी में 66 हजार स्क्वायर फिट जमीन भगवान दीन, गुरुचरण और सन्तराम से खरीदी थी.पुलिस ने 5 को किया गिरफ्तारअरुण कुमार ने देवां थाने में तहरीर दी थी कि उनके नाम का प्रयोग कर और फर्जी कागजात तैयार कर उनकी जमीन को अपनी बताकर बेचने की कोशिश की जा रही है. पुलिस अधीक्षक ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मामले के खुलासे और इसमें संलिप्त लोगों की गिरफ्तारी के लिए एडिशनल एसपी के नेतृत्व में टीम का गठन किया. टीम ने डिजिटल साक्ष्य और दस्तावेजी साक्ष्यों के आधार पर इस गिरोह के 5 सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया.सुशील मिश्रा है गिरोह का सरगनापकड़े गए गिरोह का सरगना सुशील मिश्रा रामनगर थाने के गुंदौरा का रहने वाला है जो पेशे से वकील है, दूसरा अभियुक्त वीरेंद्र है जो बहराइच जिले के जरवल थाने के अहाता का रहने वाला है, तीसरा अभियुक्त जितेंद्र नगर कोतवाली के कोठी डीह का रहने वाला है, चौथा अभियुक्त अशोक कुमार है जो देवां थाने के मलूकपुर का रहने वाला है और पांचवा सबसे महत्वपूर्ण अभियुक्त सलिक राम है जो बहराइच के जरवल रोड अहाता का रहने वाला है.सालिकराम सबसे महत्वपूर्णदरअसल गिरोह में सालिकराम का रोल सबसे अहम था. गिरोह ने सालिकराम को अरुण कुमार सिंह बनाया और उसके पहले से बने आधार कार्ड में नाम बदलवाया. फोटो सालिकराम की ही रही, फिर इसी आधार के सहारे पैन कार्ड हासिल कर लिया और इन्ही फर्जी दस्तावेजों के सहारे बैंक खाता खुलवा लिया.कैसे खुला राजदरअसल जय प्रकाश पांडे नामक एक व्यक्ति को लखनऊ के करीब जमीन की तलाश थी. इसके लिए उन्होंने अपने एक दोस्त विशाल से संपर्क किया. विशाल को एक व्यक्ति ने इसी जमीन की बाबत बताया और सुशील मिश्रा से मिलने को कहा. जय प्रकाश ने सुशील से बात की और जमीन के मालिक से मिलने की इच्छा जताई. जय प्रकाश को महादेवा में सलिक से मुलाकात कराई गई. जय प्रकाश को वृद्ध ने अपना नाम अरुण कुमार सिंह बताया और कागजात दिखाए लेकिन जय प्रकाश को इस वृद्ध से बातचीत के दौरान कुछ संदेह हुआ और बाद में उन्होंने असली अरुण कुमार सिंह से ये बताया तो इस गोरखधंधे का खुलासा हुआ.कैसे बन गया आधार कार्ड इस मामले में हैरान कर देने वाली बात ये है कि कैसे एक आदमी ने गलत नाम से आधार कार्ड हासिल कर लिया, जबकि आधार कार्ड बनवाने में नाम और पते के साक्ष्यों के दस्तावेज लगाने होते हैं.

बाराबंकीः जिले में फर्जी दस्तावेज से करोड़ों की जमीन बेचने की कोशिश कर रहे गिरोह का पुलिस ने पर्दाफाश किया है. यह गिरोह कूटरचित तरीके से दस्तावेज तैयार कर एक वैज्ञानिक की करोड़ों रुपए की जमीन बेचने का प्रयास कर रहा था. पुलिस ने गिरोह के सरगना समेत पांच अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है. इनके पास से नकली नाम से बना आधार कार्ड और पैन कार्ड भी बरामद किए गए हैं. गिरोह ने असली मालिक के नाम का आधार कार्ड और पैन कार्ड ही नहीं बनवाया बल्कि बैंक में एकाउंट भी खुलवा लिया. पहली बार इस तरह के अनोखे फ्राड को देखकर सभी हैरान हैं.

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फर्जी दस्तावेज
अरुण कुमार की करोड़ों की जमीन बेच रहा था फर्जी गिरोहचंदौली जिले के धीना थानांतर्गत सिसोण्डा कला गांव के रहने वाले अरुण कुमार सिंह कोलकाता के भारतीय समुद्रीय विश्वविद्यालय में वैज्ञानिक हैं. अरुण कुमार ने वर्ष 1989 में बाराबंकी के देवां थानांतर्गत रेंदुआ पल्हरी में 66 हजार स्क्वायर फिट जमीन भगवान दीन, गुरुचरण और सन्तराम से खरीदी थी.पुलिस ने 5 को किया गिरफ्तारअरुण कुमार ने देवां थाने में तहरीर दी थी कि उनके नाम का प्रयोग कर और फर्जी कागजात तैयार कर उनकी जमीन को अपनी बताकर बेचने की कोशिश की जा रही है. पुलिस अधीक्षक ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मामले के खुलासे और इसमें संलिप्त लोगों की गिरफ्तारी के लिए एडिशनल एसपी के नेतृत्व में टीम का गठन किया. टीम ने डिजिटल साक्ष्य और दस्तावेजी साक्ष्यों के आधार पर इस गिरोह के 5 सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया.सुशील मिश्रा है गिरोह का सरगनापकड़े गए गिरोह का सरगना सुशील मिश्रा रामनगर थाने के गुंदौरा का रहने वाला है जो पेशे से वकील है, दूसरा अभियुक्त वीरेंद्र है जो बहराइच जिले के जरवल थाने के अहाता का रहने वाला है, तीसरा अभियुक्त जितेंद्र नगर कोतवाली के कोठी डीह का रहने वाला है, चौथा अभियुक्त अशोक कुमार है जो देवां थाने के मलूकपुर का रहने वाला है और पांचवा सबसे महत्वपूर्ण अभियुक्त सलिक राम है जो बहराइच के जरवल रोड अहाता का रहने वाला है.सालिकराम सबसे महत्वपूर्णदरअसल गिरोह में सालिकराम का रोल सबसे अहम था. गिरोह ने सालिकराम को अरुण कुमार सिंह बनाया और उसके पहले से बने आधार कार्ड में नाम बदलवाया. फोटो सालिकराम की ही रही, फिर इसी आधार के सहारे पैन कार्ड हासिल कर लिया और इन्ही फर्जी दस्तावेजों के सहारे बैंक खाता खुलवा लिया.कैसे खुला राजदरअसल जय प्रकाश पांडे नामक एक व्यक्ति को लखनऊ के करीब जमीन की तलाश थी. इसके लिए उन्होंने अपने एक दोस्त विशाल से संपर्क किया. विशाल को एक व्यक्ति ने इसी जमीन की बाबत बताया और सुशील मिश्रा से मिलने को कहा. जय प्रकाश ने सुशील से बात की और जमीन के मालिक से मिलने की इच्छा जताई. जय प्रकाश को महादेवा में सलिक से मुलाकात कराई गई. जय प्रकाश को वृद्ध ने अपना नाम अरुण कुमार सिंह बताया और कागजात दिखाए लेकिन जय प्रकाश को इस वृद्ध से बातचीत के दौरान कुछ संदेह हुआ और बाद में उन्होंने असली अरुण कुमार सिंह से ये बताया तो इस गोरखधंधे का खुलासा हुआ.कैसे बन गया आधार कार्ड इस मामले में हैरान कर देने वाली बात ये है कि कैसे एक आदमी ने गलत नाम से आधार कार्ड हासिल कर लिया, जबकि आधार कार्ड बनवाने में नाम और पते के साक्ष्यों के दस्तावेज लगाने होते हैं.
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