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51 हजार दियों से जगमगाया बाराबंकी का चैनपुरवा गांव - बाराबंकी दीपोत्सव

यूपी के बाराबंकी का जीआईसी ग्राउंड शनिवार देर शाम 51 हजार दीपों से जगमगा उठा. जिला प्रशासन ने चैनपुरवा की महिलाओं को ये दीपोत्सव समर्पित किया. ये महिलाएं पुलिस कप्तान के प्रयास से अवैध शराब के कारोबार से मुक्त होकर अब मोम के दीये बनाकर बदलाव की अलख जगा रही हैं.

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जीआईसी ग्राउंड में चैनपुरवा गांव की महिलाओं के सम्मान में जलाए गए 51 हजार दीप.
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Published : Nov 8, 2020, 8:54 AM IST

बाराबंकी : जिले का जीआईसी ग्राउंड शनिवार देर शाम 51 हजार दीपों से जगमगा उठा. जिला प्रशासन ने इस खास दीपोत्सव को आयोजित किया था. ये दीपोत्सव यहां की तराई में बसने वाली चैनपुरवा की महिलाओं को समर्पित था. इन महिलाओं के हाथों के बने मोम के दीये जैसे ही जले उनके चेहरे खुशी की रोशनी से खिल उठे.

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जीआईसी ग्राउंड में चैनपुरवा गांव की महिलाओं के सम्मान में जलाए गए 51 हजार दीप.
दरअसल, रामनगर तहसील क्षेत्र स्थित चैनपुरवा गांव की महिलाएं कुछ दिनों पहले मजबूरन अवैध शराब बनाने के धंधे में लिप्त थीं. करीब तीन महीने पहले 80 परिवारों के इस गांव पर पुलिस कप्तान डॉ. अरविंद चतुर्वेदी की नजर पड़ी और फिर इस गांव का कायाकल्प हो गया. अब इस गांव की महिलाएं शराब नहीं, बल्कि मोमबत्ती बनाकर दूसरों के घरों में रोशनी फैला रही हैं.
जीआईसी ग्राउंड में चैनपुरवा गांव की महिलाओं के सम्मान में जलाए गए 51 हजार दीप.

शनिवार रात इन महिलाओं के सम्मान में दीपोत्सव का आयोजन किया गया. शहर के जीआईसी ग्राउंड और ऑडिटोरियम में इन्हीं के हाथों के बने 51 हजार दीये रोशन किए गए. साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी हुआ. पुलिस कप्तान ने इन दीयों की महत्ता बताई. शराब के धंधे को छोड़कर मधुमक्खी पालन और मोम के दीये बनाने में लगी इन महिलाओं और गांव वालों के लिए प्रशासन स्थायी रोजगार देने की बात कह रहा है, ताकि इन्हें मुख्यधारा से जोड़ा जा सके.

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जीआईसी ग्राउंड में चैनपुरवा गांव की महिलाओं के सम्मान में जलाए गए 51 हजार दीप.
कैसे हुआ कायाकल्प

रामनगर तहसील के तराई में बसने वाले गांव चैनपुरवा में लगभग 80 घर हैं. गांव में कोई काम धंधा न होने और शिक्षा का स्तर कम होने से यहां के लोग अवैध देशी शराब बनाने में लग गए. बच्चे, बूढ़े और महिलाएं भी इस धंधे में लिप्त हो गईं और उनका ये मुख्य व्यवसाय बनकर रह गया. जब भी कभी आबकारी टीम या पुलिस की दबिश होती थी, इन पर कार्रवाई होती और फिर थोड़े दिन बाद ये फिर अपने धंधे में लग जाते.

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जीआईसी ग्राउंड में चैनपुरवा गांव की महिलाओं के सम्मान में जलाए गए 51 हजार दीप.
पुलिस कप्तान ने बनाई योजना

करीब तीन महीने पहले पुलिस कप्तान डॉ. अरविंद चतुर्वेदी की नजर इस गांव पर पड़ी और फिर उन्होंने इस गांव के कायाकल्प की योजना बनानी शुरू की. इसी बीच इनकी मुलाकात मधुमक्खी वाला निमित सिंह से हुई. इन्होंने प्लान किया कि इस गांव के लोगों को मधुमक्खी पालन के लिए प्रेरित किया जाए. लिहाजा इन्होंने लगातार इस गांव में कई बैठकें की और लोगों को जागरूक किया.

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जीआईसी ग्राउंड में चैनपुरवा गांव की महिलाओं के सम्मान में जलाए गए 51 हजार दीप.

बनाये गए महिला समूह

प्रशासन की मदद से गांव में महिला समूह बनाये गए और निमित सिंह ने इन समूहों को मधुमक्खी पालन की ट्रेनिंग दी. उसके बाद गांव में मधुमक्खी के बॉक्स रखवाए गए. साथ ही इन्हें मधुमक्खी का मोम उपलब्ध कराया गया. प्रशासन से सहयोग लेकर इनको मिट्टी के दीये उपलब्ध कराए गए, जिन्हें इन महिलाओं ने मोम के दिये में तब्दील कर दिया.

जरूरी नहीं कि सख्त पुलिसिंग से बुराइयों पर काबू पाया जा सकता है, बल्कि साफ नियत और इरादे नेक हों तो इंसान तमाम बुराइयों पर काबू पा सकता है. कम से कम बाराबंकी पुलिस कप्तान ने तो यही साबित किया है.

बाराबंकी : जिले का जीआईसी ग्राउंड शनिवार देर शाम 51 हजार दीपों से जगमगा उठा. जिला प्रशासन ने इस खास दीपोत्सव को आयोजित किया था. ये दीपोत्सव यहां की तराई में बसने वाली चैनपुरवा की महिलाओं को समर्पित था. इन महिलाओं के हाथों के बने मोम के दीये जैसे ही जले उनके चेहरे खुशी की रोशनी से खिल उठे.

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जीआईसी ग्राउंड में चैनपुरवा गांव की महिलाओं के सम्मान में जलाए गए 51 हजार दीप.
दरअसल, रामनगर तहसील क्षेत्र स्थित चैनपुरवा गांव की महिलाएं कुछ दिनों पहले मजबूरन अवैध शराब बनाने के धंधे में लिप्त थीं. करीब तीन महीने पहले 80 परिवारों के इस गांव पर पुलिस कप्तान डॉ. अरविंद चतुर्वेदी की नजर पड़ी और फिर इस गांव का कायाकल्प हो गया. अब इस गांव की महिलाएं शराब नहीं, बल्कि मोमबत्ती बनाकर दूसरों के घरों में रोशनी फैला रही हैं.
जीआईसी ग्राउंड में चैनपुरवा गांव की महिलाओं के सम्मान में जलाए गए 51 हजार दीप.

शनिवार रात इन महिलाओं के सम्मान में दीपोत्सव का आयोजन किया गया. शहर के जीआईसी ग्राउंड और ऑडिटोरियम में इन्हीं के हाथों के बने 51 हजार दीये रोशन किए गए. साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी हुआ. पुलिस कप्तान ने इन दीयों की महत्ता बताई. शराब के धंधे को छोड़कर मधुमक्खी पालन और मोम के दीये बनाने में लगी इन महिलाओं और गांव वालों के लिए प्रशासन स्थायी रोजगार देने की बात कह रहा है, ताकि इन्हें मुख्यधारा से जोड़ा जा सके.

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जीआईसी ग्राउंड में चैनपुरवा गांव की महिलाओं के सम्मान में जलाए गए 51 हजार दीप.
कैसे हुआ कायाकल्प

रामनगर तहसील के तराई में बसने वाले गांव चैनपुरवा में लगभग 80 घर हैं. गांव में कोई काम धंधा न होने और शिक्षा का स्तर कम होने से यहां के लोग अवैध देशी शराब बनाने में लग गए. बच्चे, बूढ़े और महिलाएं भी इस धंधे में लिप्त हो गईं और उनका ये मुख्य व्यवसाय बनकर रह गया. जब भी कभी आबकारी टीम या पुलिस की दबिश होती थी, इन पर कार्रवाई होती और फिर थोड़े दिन बाद ये फिर अपने धंधे में लग जाते.

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जीआईसी ग्राउंड में चैनपुरवा गांव की महिलाओं के सम्मान में जलाए गए 51 हजार दीप.
पुलिस कप्तान ने बनाई योजना

करीब तीन महीने पहले पुलिस कप्तान डॉ. अरविंद चतुर्वेदी की नजर इस गांव पर पड़ी और फिर उन्होंने इस गांव के कायाकल्प की योजना बनानी शुरू की. इसी बीच इनकी मुलाकात मधुमक्खी वाला निमित सिंह से हुई. इन्होंने प्लान किया कि इस गांव के लोगों को मधुमक्खी पालन के लिए प्रेरित किया जाए. लिहाजा इन्होंने लगातार इस गांव में कई बैठकें की और लोगों को जागरूक किया.

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जीआईसी ग्राउंड में चैनपुरवा गांव की महिलाओं के सम्मान में जलाए गए 51 हजार दीप.

बनाये गए महिला समूह

प्रशासन की मदद से गांव में महिला समूह बनाये गए और निमित सिंह ने इन समूहों को मधुमक्खी पालन की ट्रेनिंग दी. उसके बाद गांव में मधुमक्खी के बॉक्स रखवाए गए. साथ ही इन्हें मधुमक्खी का मोम उपलब्ध कराया गया. प्रशासन से सहयोग लेकर इनको मिट्टी के दीये उपलब्ध कराए गए, जिन्हें इन महिलाओं ने मोम के दिये में तब्दील कर दिया.

जरूरी नहीं कि सख्त पुलिसिंग से बुराइयों पर काबू पाया जा सकता है, बल्कि साफ नियत और इरादे नेक हों तो इंसान तमाम बुराइयों पर काबू पा सकता है. कम से कम बाराबंकी पुलिस कप्तान ने तो यही साबित किया है.

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