बांदा: कभी हमारे घरों के आंगन और मुडेरों पर चहकने वाली गौरैया आज विलुप्त सी हो गई है. गौरैया यदा-कदा ही देखने को मिलती है. ऐसे में गौरैया को बचाने के लिए लगभग 20 साल से गौरैया संरक्षण पर काम कर रहे समाजसेवी शुभारंभ कश्यप ने विश्व गौरैया दिवस मनाया. इस मौके पर उन्होंने बांदा में जगह-जगह पेड़ों पर घोंसले टांगे और चिड़ियों के दाना पानी की व्यवस्था की. समाजसेवी ने वन विभाग से इसकी शुरुआत की और इसके बाद शहर में कई जगह पेड़ों पर गौरैया संरक्षण को लेकर घोंसले टांगे.
आज विश्व गौरैया दिवस है, जिसका उद्देश्य यह है कि गौरैया को बचाने के लिए लोगों को जागरूक किया जाए और इसी के मद्देनजर शक्रवार को बांदा के वन विभाग में गौरैया दिवस के मौके पर कार्यक्रम किया गया है. जहां पर हमारी तिरंगा वितरण समिति द्वारा यहां पर पेड़ों में लकड़ी के घोंसले और पानी की मटकियां टांगी गई हैं. हमारी समाज के लोगों से भी अपील है कि चिड़ियों को बचाने में सहयोग करें.
शुभारंभ कश्यप, समाजसेवी
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आज विश्व गौरैया दिवस है. गौरैया हमारी घरेलू चिड़िया रही है. मगर धीरे-धीरे हमारी जीवनशैली में परिवर्तन होने के साथ गौरैया विलुप्त होती गई और गौरैया का संरक्षण धीरे-धीरे कम होता गया, जिसके चलते यह आज बहुत कम हो गई है और अगर इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले दिनों में गौरैया पूरी तरह से विलुप्त हो जाएगी. आज वन विभाग की ओर से गौरैया के संरक्षण को लेकर जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है.
कृष्ण कुमार सिंह, मुख्य वन संरक्षक