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जलगांव नाम से जाना जाता है बुंदेलखंड का यह गांव, जानिए वजह...

बांदा शहर से लगभग 25 किलोमीटर दूर जखनी गांव को जलगांव नाम से जाना जाता है. इस गांव में पानी की किल्लत नहीं है.

जलगांव नाम से जाना जाता है बुंदेलखंड का यह गांव.
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Published : Jun 11, 2019, 10:45 PM IST

बांदा: एक तरफ देश के तमाम हिस्से इस समय जल संकट से जूझ रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ सूखा क्षेत्र नाम से जाना जाने वाले बुंदेलखंड में एक गांव ऐसा भी है जिसे जलगांव नाम से जाना जाता है. यहां के लोगों ने बिना किसी सरकारी मदद के खुद से ही जल संरक्षण के लिए काम किया है.

जलगांव नाम से जाना जाता है बुंदेलखंड का यह गांव.
  • बांदा शहर से लगभग 25 किलोमीटर दूर जखनी गांव को जलगांव नाम से जाना जाता है.
  • बुंदेलखंड देश का एक ऐसा क्षेत्र है जो सूखे और पानी की किल्लत के लिए जाना जाता है.
  • वहीं इस क्षेत्र के इस गांव में पानी की किल्लत नहीं है.
  • यहां के किसान सब्जियों का उत्पादन करने के साथ-साथ तालाबों में मछली पालन कर भी भरण पोषण कर रहे हैं.
  • गांव निवासी पिछले लगभग 6-7 वर्षों से परंपरागत तरीके से जल संरक्षण और जल संचय का काम कर रहे है.
  • यहां के लोग हैंडपंपों और अपने घरों से निकले वेस्ट पानी को संरक्षित करते हैं.
  • वहीं वर्षा के पानी और नहरों के पानी को भी लोग यहां के तालाबों में संचय करते हैं.
  • वहीं इस गांव में महज 6 से 7 फीट गहराई में ही पानी है.

ग्रामीणों का कहना है
लोगों का कहना है कि पिछले कई सालों से वह जल को संरक्षित करने का काम कर रहे हैं. उनकी यह सोच है कि गांव का पानी गांव में ही रहे. इसी सोच को लेकर उन्होंने काम किया. गांव में पानी की जरा भी दिक्कत नहीं है. इस गांव को देखकर आस-पास के गांव के लोग भी इनकी तरह ही अब काम कर रहे हैं.

बांदा: एक तरफ देश के तमाम हिस्से इस समय जल संकट से जूझ रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ सूखा क्षेत्र नाम से जाना जाने वाले बुंदेलखंड में एक गांव ऐसा भी है जिसे जलगांव नाम से जाना जाता है. यहां के लोगों ने बिना किसी सरकारी मदद के खुद से ही जल संरक्षण के लिए काम किया है.

जलगांव नाम से जाना जाता है बुंदेलखंड का यह गांव.
  • बांदा शहर से लगभग 25 किलोमीटर दूर जखनी गांव को जलगांव नाम से जाना जाता है.
  • बुंदेलखंड देश का एक ऐसा क्षेत्र है जो सूखे और पानी की किल्लत के लिए जाना जाता है.
  • वहीं इस क्षेत्र के इस गांव में पानी की किल्लत नहीं है.
  • यहां के किसान सब्जियों का उत्पादन करने के साथ-साथ तालाबों में मछली पालन कर भी भरण पोषण कर रहे हैं.
  • गांव निवासी पिछले लगभग 6-7 वर्षों से परंपरागत तरीके से जल संरक्षण और जल संचय का काम कर रहे है.
  • यहां के लोग हैंडपंपों और अपने घरों से निकले वेस्ट पानी को संरक्षित करते हैं.
  • वहीं वर्षा के पानी और नहरों के पानी को भी लोग यहां के तालाबों में संचय करते हैं.
  • वहीं इस गांव में महज 6 से 7 फीट गहराई में ही पानी है.

ग्रामीणों का कहना है
लोगों का कहना है कि पिछले कई सालों से वह जल को संरक्षित करने का काम कर रहे हैं. उनकी यह सोच है कि गांव का पानी गांव में ही रहे. इसी सोच को लेकर उन्होंने काम किया. गांव में पानी की जरा भी दिक्कत नहीं है. इस गांव को देखकर आस-पास के गांव के लोग भी इनकी तरह ही अब काम कर रहे हैं.

Intro:SLUG- बुंदेलखंड में एक गांव ऐसा जिसे कहते हैं जलगांव
PLACE- BANDA
REPORT- ANAND TIWARI
DATE- 11.06.19
ANCHOR- जहां एक तरफ देश के तमाम हिस्से इस समय जल संकट से जूझ रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ सूखा क्षेत्र नाम से जाना जाने वाले बुंदेलखंड में एक गांव ऐसा भी है जिसे जलगांव नाम से जाना जाता है। और वह इसलिए क्योंकि यहां पर लोगों ने बिना किसी सरकारी मदद के खुद से ही जल संरक्षण के लिए ऐसा काम किया है जो दूसरों के लिए नजीर बना हुआ है । यहां के युवा जो कभी बाहर नौकरी करने चले गए थे वह भी वापस आकर अब गांव में खेती कर रहे हैं ।
यह रिपोर्ट देखिये....


Body:वीओ- तालाबों में पानी, कुओं में पानी, हैंडपंपों में भी पानी, जहां नजर पड़े वहां पानी ही पानी । इन तस्वीरों को देखकर ऐसा नहीं लगता कि यह बुंदेलखंड का कोई गांव है लेकिन यह तस्वीरें बुंदेलखंड के ही एक गांव की है। आपके जहन में यह सवाल जरूर आ रहा होगा कि आखिर बुंदेलखंड के इस गांव में इतना पानी कहां से आया । तो चलिए हम आपको बताते हैं कि इस गांव में पानी के होने राज

वीओ- दरअसल यह गांव बुंदेलखंड के बांदा जनपद का एक गांव है जिसका नाम जखनी है। बांदा शहर से लगभग 25 किलोमीटर दूर इस गांव को जलगांव नाम से भी जाना जाता है । और आप समझ ही गए होंगे कि आखिर इसे जलगांव क्यों कहा जाता है । आपको पता ही होगा किबबुंदेलखंड देश का एक ऐसा क्षेत्र है जो सुखे और पानी की किल्लत के लिए जाना जाता है । वही इस क्षेत्र के इस गांव में पानी की जरा भी किल्लत नहीं है । जिससे यहां के किसान खूब सब्जियों का उत्पादन करते हैं तो वहीं तालाबों में मछली पालन कर भी भरण पोषण कर रहे हैं और वह इसलिए क्योंकि यहां के लोग पिछले लगभग 6-7 वर्षों से परंपरागत तरीके से जल संरक्षण और जल संचयन का काम कर रहे है। यहां के लोग हैंडपंपों और अपने घरों से निकले वेस्टेज पानी को संरक्षित करते हैं। नालियों के जरिये ये यहां के पानी को अपने खेतों में ले जाते हैं जिससे ये सब्जियों का उत्पादन करते हैं तो वहीं तालाबों में भी वेस्टेज पानी को यहां के लोग इकट्ठा करते हैं जिससे यहां के मवेशी भी प्यासे नहीं रहते। वहीं वर्षा के पानी व नहरों के पानी को भी लोग यहां के तालाबों के संचय करते हैं जिससे पूरे साल यहां तालाबों में भरपूर पानी रहता है। और जल संचय के इन तरीको से वाटर लेवल भी ठीक है और इनके गांव में महज 6 से 7 फीट में ही पानी है ।


Conclusion:वीओ- यहां के लोगों को कहना है कि पिछले कई सालों से वह जल को संरक्षित करने का काम कर रहे हैं और उनकी यह सोच है कि गांव का पानी गांव में ही रहना चाहिए । इसी सोच को लेकर उन्होंने काम किया और उन्होंने अपने खेतों में मेड़बंदी कराई जिससे वर्षा का पानी खेतों में ही जमा हो गया और वहां की जमीन ने उसे सोख लिया । वहीं खेतों का अतिरिक्त पानी उन्होंने तालाबों में इकट्ठा कर लिया जो परंपरागत तरीके से जल संचय का एक बहुत बड़ा जरिया है । और आज उनके गांव में पानी की जरा भी दिक्कत नहीं है । और उनका गांव दूसरों के लिए नजीर बना हुआ है। इस गांव को देखकर आसपास के गांव के लोग भी इनकी तरह ही अब काम कर रहे हैं। वहीं केंद्र सरकार ने भी इस गांव की तर्ज पर देश में जलगांव बनाए हैं ।

बाइट- शांती, महिला किसान
बाइट- अली मोहम्मद, मछली पालने वाले किसान
बाइट- राजाभैया वर्मा, किसान
बाइट- उमाशंकर पांडेय, इस गांव के रहने वाले व समाजसेवी

ANAND TIWARI
BANDA
9795000076

नोट- शैलेन्द्र सर के निर्देश पर भेजी गयी स्पेशल खबर, कृपया इसका संज्ञान लें ।
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