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अवैध खनन पर्यावरण और मानव जीवन के लिए खतरा, NGT के आदेश महज कागजी

बुंदेलखंड में बड़ी संख्या में खनिज खदाने हैं. यहां कानूनी प्रतिबंधों और एनजीटी के आदेशों को अनदेखा कर अवैध खनन का काम सालों से होता आ रहा है. हालांकि स्वीकृत पट्टों से प्रदेश सरकार को बड़ा राजस्व पहुंचता है, लेकिन अवैध खनन से भूतल जल, पर्यावरण, नदियां, वनस्पतियां और जीव जंतु बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं.

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बांदा में अवैध खनन से भौगोलिक परिस्थिति बदली.
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Published : Jan 15, 2021, 1:28 PM IST

बांदा: बुंदेलखंड में खनिज संपदा बहुतायत मात्रा में है. यहां की नदियां रेत और बालू से भरी हैं. वहीं पहाड़ों को तोड़कर गिट्टी बनाई जाती है. इस खनिज संपदा से प्रदेश सरकार को हर महीने करोड़ों रुपये का राजस्व मिलता है. खनन को लेकर एनजीटी और सरकार के नियम हैं, जिसका पालन करते हुए खनन किया जाना है. हालांकि यहां मानकों को ताक पर रखकर खनन का काम कई सालों से संचालित है.

बांदा में अवैध खनन से भौगोलिक परिस्थिति बदली.

पर्यावरण के लिहाज से खनिज काफी नुकसानदेह है. यह मानव जीवन के लिए सही नहीं है. हालांकि खनन के बाद संबंधित क्षेत्र को सुरक्षित करने के लिए एनजीटी ने आदेश प्रस्तावित किए हैं, लेकिन बांदा खनन क्षेत्रों को खुला छोड़ दिया जाता है. खनन की वजह से नदियों में बड़े-बड़े गड्ढे हो जाते हैं, जिससे नदियों का स्वरूप बदल रहा है. पहाड़ों में खनन के बाद हजारों फीट गहरे खाई नुमा गड्ढे हो जाते हैं, जिसको सुरक्षित करने के लिए जिम्मेदारों के पास कोई इंतजाम नहीं है. इस गंभीर मामले पर जिम्मेदार कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं.

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अवैध खनन से बंजर जमीन.
मानकों के विपरीत हो रहा है खनन

बता दें कि बुंदेलखंड के करीब सभी जनपदों में बड़े पैमाने पर खनिज संपदा है. यहां झांसी से लेकर चित्रकूट तक सभी जिलों में नदियों और पहाड़ों में खनन का काम लंबे समय से होता चला आ रहा है, लेकिन खनन को लेकर जो नियम हैं, उसको दरकिनार कर पुलिस और प्रशासन की मिलीभगत से माफिया यहां अवैध खनन कर रहे हैं. परिणाम स्वरूप यहां नदियों में बड़े-बड़े गड्ढे हो गये हैं. वहीं पहाड़ भी खत्म होते जा रहे हैं.

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बुंदेलखंड में अवैध खनन.

NGT के नियमों का खुला उल्लंघन

नदियों में बड़ी-बड़ी मशीनों से बीच धारा से रेत निकालने का काम किया जाता है, जो एनजीटी और सरकार के नियमों का खुला उल्लंघन है. पहाड़ों में बारूद लगाकर हैवी ब्लास्टिंग कर इन्हें तोड़ने का काम भी यहां पर अवैध तरीके से किया जा रहा है, जिससे यहां की भौगोलिक स्थिति बदलती जा रही है. बांदा में केन, यमुना, बागे और चंद्रावल नदी से रेत निकालने को लेकर पट्टे आवंटित किए जाते हैं. यहां पर मानकों को दरकिनार कर अवैध तरीके से खनन का काम किया जाता है, जिसके फलस्वरूप भूतल का जलस्तर कम होता जा रहा है. खासकर गर्मियों के दिनों में लोगों को पानी की समस्या झेलनी पड़ती है. वहीं अवैध तरीके से खनन होने से जलीय जीव जंतु और वनस्पतियों को भी नुकसान पहुंच रहा है. इन क्षेत्रों के आसपास किसानों की जमीन बंजर होती जा रही हैं. उन्हें फसलों का उत्पादन भी नहीं मिल रहा है.

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बुंदेलखंड में खनिज संपदा की भरमार.

भविष्य के लिए खतरा बन रहा खनन

अवैध खनन को लेकर स्थानीय लोग चिंतित हैं. जानकार जमीन, नदियों और पहाड़ों के दोहन को मानव जीवन के खतरा बता रहे हैं. आज हो रहा खनन पीढ़ियों के लिए बहुत दुष्कर परिणाम देगा. अगर खनन मानकों के अनुरूप नहीं होगा तो पर्यावरण और मानव जीवन असुरक्षित होंगे.


पर्यावरण अधिकारी बोले

जिलाधिकारी आनंद सिंह ने बताया कि अवैध खनन को रोकने के लिए हमारी टीमें लगातार जांच करती रहती हैं. पर्यावरण क्षेत्रीय अधिकारी घनश्याम ने बताया कि खनन पट्टों को देने और देखरेख करने का काम जिला प्रशासन व खनिज विभाग के पास लेखा जोखा होता है. खनन क्षेत्र के विकास और भौगोलिक स्थिति को ठीक करने को लेकर एक विशेष फंड होता है, जो जनपद से जाने वाले राजस्व से लिया जाता है, लेकिन यहां पर ऐसा होता दिखाई नहीं देता. क्षेत्रीय अधिकारी ने कहा हम लोगों के पास कुछ मजबूरियां हैं और हमारे हाथ बंधे हुए हैं. इसलिए इस मामले में ज्यादा कुछ और नहीं बताया जा सकता.

बांदा: बुंदेलखंड में खनिज संपदा बहुतायत मात्रा में है. यहां की नदियां रेत और बालू से भरी हैं. वहीं पहाड़ों को तोड़कर गिट्टी बनाई जाती है. इस खनिज संपदा से प्रदेश सरकार को हर महीने करोड़ों रुपये का राजस्व मिलता है. खनन को लेकर एनजीटी और सरकार के नियम हैं, जिसका पालन करते हुए खनन किया जाना है. हालांकि यहां मानकों को ताक पर रखकर खनन का काम कई सालों से संचालित है.

बांदा में अवैध खनन से भौगोलिक परिस्थिति बदली.

पर्यावरण के लिहाज से खनिज काफी नुकसानदेह है. यह मानव जीवन के लिए सही नहीं है. हालांकि खनन के बाद संबंधित क्षेत्र को सुरक्षित करने के लिए एनजीटी ने आदेश प्रस्तावित किए हैं, लेकिन बांदा खनन क्षेत्रों को खुला छोड़ दिया जाता है. खनन की वजह से नदियों में बड़े-बड़े गड्ढे हो जाते हैं, जिससे नदियों का स्वरूप बदल रहा है. पहाड़ों में खनन के बाद हजारों फीट गहरे खाई नुमा गड्ढे हो जाते हैं, जिसको सुरक्षित करने के लिए जिम्मेदारों के पास कोई इंतजाम नहीं है. इस गंभीर मामले पर जिम्मेदार कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं.

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अवैध खनन से बंजर जमीन.
मानकों के विपरीत हो रहा है खनन

बता दें कि बुंदेलखंड के करीब सभी जनपदों में बड़े पैमाने पर खनिज संपदा है. यहां झांसी से लेकर चित्रकूट तक सभी जिलों में नदियों और पहाड़ों में खनन का काम लंबे समय से होता चला आ रहा है, लेकिन खनन को लेकर जो नियम हैं, उसको दरकिनार कर पुलिस और प्रशासन की मिलीभगत से माफिया यहां अवैध खनन कर रहे हैं. परिणाम स्वरूप यहां नदियों में बड़े-बड़े गड्ढे हो गये हैं. वहीं पहाड़ भी खत्म होते जा रहे हैं.

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बुंदेलखंड में अवैध खनन.

NGT के नियमों का खुला उल्लंघन

नदियों में बड़ी-बड़ी मशीनों से बीच धारा से रेत निकालने का काम किया जाता है, जो एनजीटी और सरकार के नियमों का खुला उल्लंघन है. पहाड़ों में बारूद लगाकर हैवी ब्लास्टिंग कर इन्हें तोड़ने का काम भी यहां पर अवैध तरीके से किया जा रहा है, जिससे यहां की भौगोलिक स्थिति बदलती जा रही है. बांदा में केन, यमुना, बागे और चंद्रावल नदी से रेत निकालने को लेकर पट्टे आवंटित किए जाते हैं. यहां पर मानकों को दरकिनार कर अवैध तरीके से खनन का काम किया जाता है, जिसके फलस्वरूप भूतल का जलस्तर कम होता जा रहा है. खासकर गर्मियों के दिनों में लोगों को पानी की समस्या झेलनी पड़ती है. वहीं अवैध तरीके से खनन होने से जलीय जीव जंतु और वनस्पतियों को भी नुकसान पहुंच रहा है. इन क्षेत्रों के आसपास किसानों की जमीन बंजर होती जा रही हैं. उन्हें फसलों का उत्पादन भी नहीं मिल रहा है.

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बुंदेलखंड में खनिज संपदा की भरमार.

भविष्य के लिए खतरा बन रहा खनन

अवैध खनन को लेकर स्थानीय लोग चिंतित हैं. जानकार जमीन, नदियों और पहाड़ों के दोहन को मानव जीवन के खतरा बता रहे हैं. आज हो रहा खनन पीढ़ियों के लिए बहुत दुष्कर परिणाम देगा. अगर खनन मानकों के अनुरूप नहीं होगा तो पर्यावरण और मानव जीवन असुरक्षित होंगे.


पर्यावरण अधिकारी बोले

जिलाधिकारी आनंद सिंह ने बताया कि अवैध खनन को रोकने के लिए हमारी टीमें लगातार जांच करती रहती हैं. पर्यावरण क्षेत्रीय अधिकारी घनश्याम ने बताया कि खनन पट्टों को देने और देखरेख करने का काम जिला प्रशासन व खनिज विभाग के पास लेखा जोखा होता है. खनन क्षेत्र के विकास और भौगोलिक स्थिति को ठीक करने को लेकर एक विशेष फंड होता है, जो जनपद से जाने वाले राजस्व से लिया जाता है, लेकिन यहां पर ऐसा होता दिखाई नहीं देता. क्षेत्रीय अधिकारी ने कहा हम लोगों के पास कुछ मजबूरियां हैं और हमारे हाथ बंधे हुए हैं. इसलिए इस मामले में ज्यादा कुछ और नहीं बताया जा सकता.

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