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बलरामपुर: 'महिला स्वयं सहायता समूह' के जरिए महिलाएं बन रहीं आर्थिक रुप से आत्मनिर्भर - महिला स्वयं सहायता समूह से महिलाएं बन रहीं आत्मनिर्भर

बलरामपुर जिले में महिलाओं को रोजगार देने के साथ ही उन्हें सशक्त बनाने के लिए प्रशिक्षण कार्य चलाया जा रहा है. जिले में महिलाओं को महिला स्वयं सहायता समूह के जरिए न केवल आर्थिक रुप से सशक्त बनाया जा रहा है बल्कि समाज में बेहतर स्थान दिलाने का काम भी किया जा रहा है.

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'महिला स्वयं सहायता समूह' के जरिए महिलाएं बन रहीं आर्थिक रुप से आत्मनिर्भर
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Published : Jan 25, 2020, 6:43 AM IST

बलरामपुर: जिले की आधी आबादी को सशक्त बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा किया जा रहा प्रयास अब रंग लाने लगा है. इस प्रयास की बानगी शुक्रवार को उत्तर प्रदेश दिवस के दिन आयोजित समारोह में दिखी. जिले के 801 ग्रामसभाओं में चल रहे 3,954 महिला स्वयं सहायता समूहों के जरिए जिला प्रशिक्षण इकाई महिलाओं में स्वालंबन और ताकत की भावना पैदा कर रही है. महिलाओं को न केवल आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा रहा है बल्कि समाज में बेहतर स्थान दिलाने के लिए शिक्षित बनाने का काम भी किया रहा है.

आर्थिक तौर पर मजबूत हो रहीं महिलाएं
जिले के 801 ग्रामसभाओं में रहने वाली तकरीबन 3,954 ग्रुप बनाकर महिला स्वयं सहायता समूहों के जरिए, 42 हजार से ज्यादा महिलाओं को सभी नौ ब्लॉकों में जोड़ा गया है. इस योजना के अंतर्गत अभी तक 800 स्वयं सहायता समूह को आरएफ प्रदान किया जा चुका है. जबकि 700 से अधिक स्वयं सहायता समूहों को सीआईएफ प्रदान किया जा चुका है.इस योजना पर अब तक 12 करोड़ रुपए की आरएफ धनराशि दी जा चुकी है. जिनमें महिलाएं टेडी बियर बनाना, सब्जी की खेती करना, खिलौने बनाना, सजावट के आइटम को बनाना इत्यादि सीख रही हैं. इसके लिए जिला प्रशिक्षण इकाई बाकायदा उन्हें प्रशिक्षण देकर सामान बनाने और बेचने की विधियां तक बता रहा है. इस काम को आगे बढ़ाने के लिए जिला प्रशिक्षण इकाई द्वारा समय-समय पर महिलाओं को विकास भवन या ब्लॉक स्तर पर प्रशिक्षित किया जाता है.विकास भवन में आयोजित कार्यक्रम में अपना स्टॉल लगाए हुए, महिलाओं ने बताया कि जिला प्रशिक्षण इकाई द्वारा हमें टेडी बियर बनाने व अन्य खिलौने के आइटम्स को बनाने के लिए एक महीने का प्रशिक्षण दिया गया है. प्रशिक्षण के बाद हमें चीजों के बेचने का भी तरीका बताया जाता है हमें तमाम हाट बाजार उपलब्ध करवाए जाते हैं. इसके साथ ही भारत के तमाम हिस्सों व नेपाल राष्ट्र के तमाम जगहों पर इन महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा बनाए गए सामानों को बेचने की तैयारी में विभाग लगा हुआ है.जिला प्रशिक्षण इकाई के स्टेट एंकर पर्सन गोवर्धन कुमार इस मामले में बताते हैं कि बाजार के साथ-साथ कच्चा माल उपलब्ध करवाने पर भी सोचा जा रहा है. अब तक तमाम तरह की सुविधाएं इन महिलाओं को दी जा चुकी हैं. जिला इकाई द्वारा तकरीबन 800 महिला स्वयं सहायता समूह का गठन किया जा चुका है. इन्हें आरएफ फंड के जरिए 12 करोड़ 72 लाख रुपए भी उपलब्ध करवाए गए हैं.

बलरामपुर: जिले की आधी आबादी को सशक्त बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा किया जा रहा प्रयास अब रंग लाने लगा है. इस प्रयास की बानगी शुक्रवार को उत्तर प्रदेश दिवस के दिन आयोजित समारोह में दिखी. जिले के 801 ग्रामसभाओं में चल रहे 3,954 महिला स्वयं सहायता समूहों के जरिए जिला प्रशिक्षण इकाई महिलाओं में स्वालंबन और ताकत की भावना पैदा कर रही है. महिलाओं को न केवल आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा रहा है बल्कि समाज में बेहतर स्थान दिलाने के लिए शिक्षित बनाने का काम भी किया रहा है.

आर्थिक तौर पर मजबूत हो रहीं महिलाएं
जिले के 801 ग्रामसभाओं में रहने वाली तकरीबन 3,954 ग्रुप बनाकर महिला स्वयं सहायता समूहों के जरिए, 42 हजार से ज्यादा महिलाओं को सभी नौ ब्लॉकों में जोड़ा गया है. इस योजना के अंतर्गत अभी तक 800 स्वयं सहायता समूह को आरएफ प्रदान किया जा चुका है. जबकि 700 से अधिक स्वयं सहायता समूहों को सीआईएफ प्रदान किया जा चुका है.इस योजना पर अब तक 12 करोड़ रुपए की आरएफ धनराशि दी जा चुकी है. जिनमें महिलाएं टेडी बियर बनाना, सब्जी की खेती करना, खिलौने बनाना, सजावट के आइटम को बनाना इत्यादि सीख रही हैं. इसके लिए जिला प्रशिक्षण इकाई बाकायदा उन्हें प्रशिक्षण देकर सामान बनाने और बेचने की विधियां तक बता रहा है. इस काम को आगे बढ़ाने के लिए जिला प्रशिक्षण इकाई द्वारा समय-समय पर महिलाओं को विकास भवन या ब्लॉक स्तर पर प्रशिक्षित किया जाता है.विकास भवन में आयोजित कार्यक्रम में अपना स्टॉल लगाए हुए, महिलाओं ने बताया कि जिला प्रशिक्षण इकाई द्वारा हमें टेडी बियर बनाने व अन्य खिलौने के आइटम्स को बनाने के लिए एक महीने का प्रशिक्षण दिया गया है. प्रशिक्षण के बाद हमें चीजों के बेचने का भी तरीका बताया जाता है हमें तमाम हाट बाजार उपलब्ध करवाए जाते हैं. इसके साथ ही भारत के तमाम हिस्सों व नेपाल राष्ट्र के तमाम जगहों पर इन महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा बनाए गए सामानों को बेचने की तैयारी में विभाग लगा हुआ है.जिला प्रशिक्षण इकाई के स्टेट एंकर पर्सन गोवर्धन कुमार इस मामले में बताते हैं कि बाजार के साथ-साथ कच्चा माल उपलब्ध करवाने पर भी सोचा जा रहा है. अब तक तमाम तरह की सुविधाएं इन महिलाओं को दी जा चुकी हैं. जिला इकाई द्वारा तकरीबन 800 महिला स्वयं सहायता समूह का गठन किया जा चुका है. इन्हें आरएफ फंड के जरिए 12 करोड़ 72 लाख रुपए भी उपलब्ध करवाए गए हैं.
Intro:

बलरामपुर जिले की आधी आबादी को सशक्त बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा किया जा रहा प्रयास अब रंग लाने लगा है। इस प्रयास की बानगी आज उत्तर प्रदेश दिवस के दिन आयोजित समारोह में दिखी। जिले के 801 ग्रामसभाओं में चल रहे 3954 महिला स्वयं सहायता समूहों के जरिए जिला प्रशिक्षण इकाई महिलाओं में स्वालंबन और ताकत की भावना पैदा कर रही है। उन्हें न केवल आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा रहा है। समाज में बेहतर स्थान दिलाने के लिए शिक्षित बनाने का काम भी हो रहा है।


Body:जिले के 801 ग्रामसभाओं में रहने वाली महिलाओं की अब न केवल तस्वीर बदल रही है। बल्कि महिला सशक्तिकरण और स्वयं सहायता समूहों के जरिए। पुरानी तस्वीर को बदलने का भी काम किया जा रहा है। जिले में तकरीबन 3954 महिला स्वयं सहायता समूहों के जरिए 42 हजार से ज्यादा महिलाओं को सभी नौ ब्लॉकों को में जोड़ा गया है। इस योजना के अंतर्गत अभी तक 800 स्वयं सहायता समूह को आर्य प्रदान किया जा चुका है जबकि 700 से अधिक स्वयं सहायता समूहों को सीआईएफ प्रदान किया जा चुका है। इस योजना पर अब तक 12 करोड़ रुपए की आरएफ धनराशि दी जा चुकी है। जिनमें महिलाएं टेडी बियर बनाना सब्जी की खेती करना, खिलौने बनाना, सजावट के आइटम को बनाना इत्यादि सीख रही है। इसके लिए जिला प्रशिक्षण इकाई बाकायदा उन्हें प्रशिक्षण देकर सामान बनाने और बेचने की विधियां तक बता रहा है।
इस इस काम को आगे बढ़ाने के लिए जिला प्रशिक्षण इकाई द्वारा समय-समय पर महिलाओं को विकास भवन या ब्लॉक स्तर पर प्रशिक्षित किया जाता है। प्रशिक्षण में उन्हें लगातार किसी प्रोडक्ट को बनाने और उसे बेचने की जानकारी दी जाती है। इसके अंतर्गत महिला स्वयं सहायता समूह का गठन किया जाता है। और ग्रामसभा स्तर पर हर स्वयं सहायता समूह में कम से कम 10 से 15 महिलाओं को जोड़ा जाता है।
विकास भवन में आयोजित कार्यक्रम में अपना स्टॉल लगाए हुए। महिलाओं ने हमसे बात करते हुए बताया कि जिला प्रशिक्षण इकाई द्वारा हमें टेडी बियर बनाने व अन्य खिलौने के आइटम्स को बनाने के लिए एक महीने का प्रशिक्षण दिया गया है। प्रशिक्षण के बाद हमें चीजों के बेचने का भी तरीका बताया जाता है हमें तमाम हाट बाजार उपलब्ध करवाए जाते हैं। इसके साथ ही भारत के तमाम हिस्सों व नेपाल राष्ट्र के तमाम जगहों पर इन महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा बनाए गए सामानों को बेचने की तैयारी में विभाग लगा हुआ है।


Conclusion:वही, प्रशिक्षण प्राप्त कर खिलौना बनाने का काम कर रही महिलाओं के अंदर कुछ टीस भी है। महिलाएं बताती हैं कि अगर हमें सस्ते दरों पर कच्चा माल उपलब्ध करवाया जाए और उन्हें बेहतर बाजार उपलब्ध करवाया जाए। तो तमाम चीजें खुद-ब-खुद सुधर जाएंगी।
जिला प्रशिक्षण इकाई के स्टेट एंकर पर्सन गोवर्धन कुमार इस मामले में बताते हैं कि बाजार के साथ-साथ कच्चा माल उपलब्ध करवाने पर भी सोचा जा रहा है। अब तक तमाम तरह की सुविधाएं इन महिलाओं को दी जा चुकी हैं। जिला इकाई द्वारा तकरीबन 800 महिला स्वयं सहायता समूह का गठन किया जा चुका है। इन्हें आरएफ फंड के जरिए 12 करोड़ 72 लाख रुपए भी उपलब्ध करवाए गए हैं।
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