बलरामपुर: पुलिस का अमानवीय चेहरा एक बार फिर सामने आया है. एक महिला ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि, जब पुलिस घर खाली कराने पहुंची चो उसकी नाबालिग बेटी अकेली थी. जिससे पुलिस ने मारपीट.
मामला रेहरा बाजार थाना क्षेत्र के बुधिपुर मजरा मटेहना गांव का है. यहां पर विधवा लक्ष्मी देवी ने तकरीबन 3 साल पहले जमीन खरीदकर मकान बनवाया था. जिस पर उसके पड़ोसी की नज़र गड़ गयी. उसने कागजातों में हेर फेर करके राजस्व विभाग और जिलाधिकारी से आर्डर ले लिया. जिसके बाद पुलिस लगातार बिना जांच किये खाली करवाने का दबाव बना रही थी. इसी आवास को खाली करवाने के लिए रेहरा पुलिस फ़ोर्स के साथ गयी थी. उस समय पीड़िता लक्ष्मी के घर उसकी नाबालिग बेटी के अलावा कोई नहीं था.
थानाध्यक्ष राम समुज प्रभाकर घर में घुसे और नाबालिग बेटी के साथ बात करने के बाद उस पर खाली करने का दबाव बनाने लगे. जब लड़की ने अकेली होने का हवाला दिया तो थानाध्यक्ष की आँखें टेढ़ी हो गयीं. आग बबूला होकर उन्होंने उसे मारना शुरू कर दिया. पीड़िता ने बताया कि बड़े साहब शाम के समय घर आए और उसे खाली करने को कहने लगे. जब उसमे मां के घर पर न होने की बात कही तो उन्होंने उसे पीटना शुरू कर दिया. उसके बाद भी जब उनका मन नहीं भरा तो मुझे थाना पर ले जाकर घंटों बैठाए रहे.
वहीं पीड़िता की मां लक्ष्मी ने बताया कि उसने 3 बीघा जमीन खरीद कर अपना घर बनवाया था. उसी के बगल में उसके पड़ोसी की भी जमीन थी, जिनकी नजर जमीन पर थी. उन्होंने कागजातों में हेरफेर करवा कर जमीन और घर को हथियाने की कोशिश की. इसके खिलाफ वह लगातार तहसील के लिए दौड़ रही थी. उसी समय थानाध्यक्ष आते हैं और उनकी बेटी को खूब मारते हैं. उसे कई जगह चोटें आई हैं. लेकिन कोई सुनवाई के लिए तैयार नहीं है. अब उसके पास घर भी नहीं है, इसलिए उसे अपनी बेटी के साथ जहां तहां रातें गुजारनी पड़ रही हैं.
इस मामले पर जब पुलिस अधीक्षक अनुराग आर्य से बात की गयी तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि डीएम साहब के आदेश पर घर खाली करवाने का आदेश था. थानाध्यक्ष ने केवल घर खाली करवाया है. मारपीट के बारे में उन्होंने किसी भी तरह की जानकारी से इनकार किया.जब डीआईजी राकेश सिंह से बात की गयी तो उन्होंने कहा कि मामला उनके संज्ञान में तो नहीं है. लेकिन मैं एसपी से पूछ कर आपको ब्रीफ करने के लिए बोलता हूं.