बलरामपुर: जिले से होकर गुजरने वाली पीलीभीत-बस्ती में राजमार्ग संख्या 126 के दोनों ओर के अवैध निर्माण को खाली करवाने के लिए धारा 441 और 447 के मझौवा ग्रामसभा के लोगों को 26 जनवरी 2020 को नोटिस दिया गया था. जिस पर शनिवार को जिला प्रशासन के आला-अधिकारियों ने भारी पुलिस बल के साथ खाली करवाना शुरु कर दिया. अधिकारियों ने बुलडोजर और पुकलैंड चलवाकर कई मकानों को गिरवाकर अवैध निर्माण को हटाया गया. यह कार्रवाई उच्च न्यायालय की खंडपीठ लखनऊ के आदेश के बाद हुआ है.
वर्षों से सड़क किनारे मकान बनाकर रह रहे लोगों के लिए खतरे की घंटी बज चुकी है, क्योंकि पीलीभीत बस्ती-राजमार्ग 126 पर अब लखनऊ हाईकोर्ट ने अपने फैसले में सख्त आदेश हुए डीएम को यह निर्देशित किया है कि वह जल्द से जल्द अवैध निर्माण को खाली करवाकर उन्हें रिपोर्ट करें.
ग्रामीण ने आत्मदाह करने की चेतावनी दी
बलरामपुर जिले के भगवतीगंज से कुछ दूर महुआ ग्राम सभा में शनिवार को लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों, उपजिलाधिकारी नागेंद्र नाथ यादव, क्षेत्राधिकारी राधारमण सिंह और भारी पुलिस बल के साथ सभी पहुंचे और अवैध निर्माण को गिराने की कार्रवाई शुरू की गई, जिस पर कुछ ग्रामीण बेहद परेशान भी नजर आए. कुछ ने प्रशासन के सामने ही आत्मदाह करने की चेतावनी तक दी.
ग्रामीण ने मांगा दो दिन का समय, प्रशासन की कार्रवाई जारी
ग्रामीण रमेश कुमार तिवारी ने बताया कि अगर हमारे मकान को गिराने के लिए 2 दिन का समय नहीं दिया गया। तो हम आत्महत्या कर लेंगे. जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी. ग्रामीण ने यह भी बताया कि मात्र 2 दिन पहले ही हमें नोटिस उपलब्ध करवाई गई है. इतने कम समय में कोई अपने पूरे मकान को कैसे खाली कर सकता है.
6 माह पूर्व न्यायालय से आया था आदेश
मामले में उपजिलाधिकारी नागेंद्र नाथ यादव ने बताया कि बलरामपुर के निवासी योगेंद्र सिंह द्वारा उच्च न्यायालय की खंडपीठ लखनऊ में एक याचिका दायर करके अवैध निर्माण को हटाने की मांग की गई थी, जिस पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने तकरीबन 6 माह पूर्व सड़क के दोनों तरफ का कब्जा हटाने का निर्देश दिया था. इस पर तमाम कार्रवाई करते हुए अब आगे बढ़ा जा रहा है और अनाधिकृत रूप से बने सभी तरह के निर्माणों को गिराया जा रहा है.
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उन्होंने बताया कि नोटिस 26 तारीख को उपलब्ध करवाई गई थी और तकरीबन 15 दिन का समय सभी लोगों को दिया गया था कि वह खुद से अपना अवैध निर्माण हटा लें, लेकिन जब कोई इसके लिए आगे नहीं आया तो हमें मजबूरन खुद खड़े होकर यह कार्रवाई करनी पड़ रही है.