बलरामपुर: जिले के 2235 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ाई करने वाले तकरीबन 2,35,000 छात्रों को मूलभूत सुविधाओं से युक्त करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने 'ऑपरेशन कायाकल्प' लागू किया था. वहीं जिले में इस योजना के पीछे करोड़ों खर्च होने के बाद भी खटाई में पड़ती नजर आ रही है.
योजना के तहत विद्यालय का हुआ कायाकल्प
जिला प्रशासन और जिला बेसिक शिक्षा विभाग का दावा है कि उसने ऑपरेशन के तहत विद्यालयों का कायाकल्प करा दिया है, लेकिन जिन विद्यालयों का कायाकल्प किया गया है, वहां की सूरत बदरंग ही नजर आती है. उतरौला शिक्षा क्षेत्र के अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय रुस्तमनगर की सूरत आज भी बदरंग ही नजर आती है. यहां पर 'कायाकल्प योजना' लागू होने के बाद भी विद्यालय में पढ़ने वाले तकरीबन 125 बच्चे आज भी बिल्डिंग जर्जर होने के कारण डर के साए में अपनी पढ़ाई कर रहे हैं.
स्कूल परिसर में भर जाया करता है पानी
प्राथमिक विद्यालय रुस्तमनगर में न तो चारदीवारी है और न ही शौचालय तक जाने के लिए पक्का रास्ता. बरसात के मौसम में तो स्थिति इतनी खराब हो जाती है कि यहां से गुजरना दूभर हो जाता है. लो लाइन एरिया होने के कारण पूरे स्कूल परिसर में पानी भर जाया करता है. इससे बच्चों के लिए तमाम तरह की समस्याएं खड़ी हो जाती हैं.
ये भी पढ़ें- डिजिटल एक्सरे मशीन का स्वास्थ्य मंत्री ने किया उद्घाटन, मंत्री के जाते ही गायब हुईं बेड से चादर
बरसात में टपकने लगती है छत
कक्षा 1 से 5 तक पढ़ने वाले छोटे-छोटे बच्चे किसी तरह जान जोखिम में डालकर विद्यालय भवन तक पहुंचते हैं. कक्षाओं की हालत यह है कि यहां पर थोड़ी सी बरसात में छत से पानी टपकने लगता है. कक्षाओं में पानी भर जाता है.
मूलभूत सुविधाओं की कमी
बच्चों का कहना है कि विद्यालय में मूलभूत सुविधाओं की बेहद कमी है. यहां शौचालय तक आने-जाने के लिए न कोई रास्ता है, न ही चारदीवारी है. यहां पेयजल की भी बड़ी समस्या है. विद्यालय में बिजली न होने के कारण हम लोग स्मार्ट क्लास की सुविधा भी नहीं उठा पा रहे हैं.
ये भी पढ़ें- बलरामपुर: तीन साल की बच्ची बनी जंगली जानवर का निवाला
विद्यालय में हुआ आधा-अधूरा काम
'कायाकल्प योजना' के तहत इस विद्यालय का रिनोवेशन भी करवाया गया, लेकिन रिनोवेशन कारगर नहीं हो सका. ग्राम प्रधान ने आधा-अधूरा काम करवा कर विद्यालय को ऐसे ही वंचित छोड़ दिया.
अध्यापिका ने कहा
यहां पर प्रभारी अध्यापिका के पद पर तैनात पूनम का कहना है कि विद्यालय में तमाम मूलभूत सुविधाओं की बेहद कमी है. यहां न तो चारदिवारी है और न ही पेयजल की सुविधा. कक्षाओं की छतों से पानी रिसता रहता है. मिड डे मील का शेड न होने के कारण बच्चे बरामदे में खाते हैं.
जिन विद्यालयों में 'कायाकल्प योजना' लागू हो गई है और उनकी स्थिति में सुधार नहीं आया है. उसके लिए हम बेसिक शिक्षा अधिकारी से कन्वर्जन रेट मांग कर फिर से विकास करने का काम करेंगे. इसके साथ ही हम यह भी सुनिश्चित करेंगे कि इस योजना में किसी भी तरह का भ्रष्टाचार न हो सके. अगर किसी ने इस योजना में लापरवाही की तो हम जांच करवाकर उसे दंडित भी करेंगे.
-अमनदीप डुली , मुख्य विकास अधिकारी
बलरामपुर जिला तराई क्षेत्र के अंतर्गत आता है. यहां पर अक्सर ही पानी भर जाने के कारण काफी विद्यालय डूब जाते हैं. लगभग सभी विद्यालयों का कायाकल्प तो करा दिया गया है, लेकिन बरसात के कारण तमाम विद्यालय फिर से जर्जर हो गए हैं. इन विद्यालयों की सूची को फिर से रिवोक कर रहे हैं. स्थिति साफ होने पर इन विद्यालयों को फिर से रीनोवेट कराया जाएगा. बच्चों के लिए किसी भी सुविधा की कोई कमी नहीं होगी.
-कृष्णा करुणेश , जिलाधिकारी