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बलरामपुर पुलिस पर सवाल खड़े करती है आतंकी अबू युसूफ की दिल्ली में गिरफ्तारी

आतंकी अबू यूसुफ का दिल्ली के धौलाकुआं में मिलना बलरामपुर पुलिस की नाकामी को बयां करता है. ईटीवी भारत जब दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के जाने के बाद सोमवार को आंतकी के घर भैंसाही गांव पहुंचा तो वहां सन्नाटा पसरा नजरा आया है. कोई भी बात करने के लिए तैयार नहीं था. कहा जा रहा है कि पुलिस-प्रशासन ने लोगों पर दबाव बनाया है.

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Published : Aug 25, 2020, 1:02 PM IST

questions on balrampur police
बलरामपुर का भैंसाही गांव.

बलरामपुर: आतंकी अबू युसूफ उर्फ मुस्तकीम के नाम से सुर्खियों में आए बलरामपुर जिले का बढ़या भैंसाही गांव में इस समय सन्नाटा छाया हुआ है. जो लोग कल तक एटीएस, पुलिस टीम और मीडिया कर्मियों की चहलकदमी से भरा हुआ था, वे आज खामोश हैं. लोग घरों में कैद हैं. कोई भी बाहर निकल कर बात करने को तैयार नहीं हैं.

जानकारी देते संवाददाता.

कल तक जो आतंकी मुस्तकीम का परिवार वाले चीख चीख कर अपने बेटे को दोषी बताकर उसके लिए क्षमा याचना की गुहार लगा रहे थे, वह भी आज अपने घरों में कैद हैं. कल तक जो गांव वाले चीख-चीख कर कह रहे थे कि गांव में एक ब्लास्ट हुआ था, वह भी आज अपना मुंह खोलने को तैयार नहीं हैं.

सूत्रों की मानें तो स्थानीय पुलिस प्रशासन ने अपनी कमियों को छुपाने के लिए रविवार देर शाम ग्रामीणों पर काफी दबाव बनाया, जिससे यह बात खुलकर सामने न आ सके कि गांव में कोई ब्लास्ट हुआ था या लोकल स्तर पर पुलिस की कोई कमी है.

मामले को लेकर स्थानीय पुलिस और लोकल इंटेलिजेंस यूनिट पर सवाल भी खड़े हो रहे हैं कि आखिर जो साजिश इस गांव में 2 साल से रची जा रही थी, उसकी भनक आखिर कैसे बलरामपुर पुलिस को नहीं लगी. या कोई ऐसा है, जिसे सब कुछ पता होने के बाद भी मामले को दबाने का प्रयास किया गया.

ये भी पढ़ें: आतंकी अबू यूसुफ के बलरामपुर कनेक्शन ने खड़े किए कई सवाल

बलरामपुर: आतंकी अबू युसूफ उर्फ मुस्तकीम के नाम से सुर्खियों में आए बलरामपुर जिले का बढ़या भैंसाही गांव में इस समय सन्नाटा छाया हुआ है. जो लोग कल तक एटीएस, पुलिस टीम और मीडिया कर्मियों की चहलकदमी से भरा हुआ था, वे आज खामोश हैं. लोग घरों में कैद हैं. कोई भी बाहर निकल कर बात करने को तैयार नहीं हैं.

जानकारी देते संवाददाता.

कल तक जो आतंकी मुस्तकीम का परिवार वाले चीख चीख कर अपने बेटे को दोषी बताकर उसके लिए क्षमा याचना की गुहार लगा रहे थे, वह भी आज अपने घरों में कैद हैं. कल तक जो गांव वाले चीख-चीख कर कह रहे थे कि गांव में एक ब्लास्ट हुआ था, वह भी आज अपना मुंह खोलने को तैयार नहीं हैं.

सूत्रों की मानें तो स्थानीय पुलिस प्रशासन ने अपनी कमियों को छुपाने के लिए रविवार देर शाम ग्रामीणों पर काफी दबाव बनाया, जिससे यह बात खुलकर सामने न आ सके कि गांव में कोई ब्लास्ट हुआ था या लोकल स्तर पर पुलिस की कोई कमी है.

मामले को लेकर स्थानीय पुलिस और लोकल इंटेलिजेंस यूनिट पर सवाल भी खड़े हो रहे हैं कि आखिर जो साजिश इस गांव में 2 साल से रची जा रही थी, उसकी भनक आखिर कैसे बलरामपुर पुलिस को नहीं लगी. या कोई ऐसा है, जिसे सब कुछ पता होने के बाद भी मामले को दबाने का प्रयास किया गया.

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