बलरामपुर: जिले में हुई सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद पीड़िता की मौत के मामले में पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है. घटना में लिप्त अन्य आरोपियों की तलाश की जा रही है. मृतका की मां ने एक दिन पहले यानी बीते बुधवार को मृतका के कमर में चोट और पैर के टूटे होने की बात मीडिया में बताई थी.
परिजनों का कहना है कि 29 सितंबर सुबह करीब 10 बजे 22 वर्षीय छात्रा बीकाॅम में एडमिशन कराने घर से निकली थी. शाम करीब 5 बजे तक छात्रा घर नहीं लौटी तो परिजनों ने उसकी खोजबीन शुरू कर दी. शाम तकरीबन 7 बजे पीड़ित छात्रा एक रिक्शे से बुरी तरह घायल अवस्था में घर पहुंची. दो डॉक्टरों को दिखाने के बाद जैसे ही जिला मुख्यालय पर इलाज करवाने के लिए गांव से बाहर निकले तो तुलसीपुर पहुंचते-पहुंचते छात्रा की मौत हो गई.
बताया जा रहा है कि जब छात्रा घर पहुंची तो कीचड़ से लथपथ थी. उसके हाथ में ग्लूकोज चढ़ाने वाला वीगो लगा हुआ था. परिजनों ने गांव में पता करने की कोशिश की तो पता चला कि गांव के ही एक डॉक्टर को गांव के ही एक लड़के ने एक घर में छात्रा के इलाज के लिए बुलाया था. परिजनों ने बताया कि पूछताछ में पता चला कि जब छात्रा पचपेड़वा स्थित एक महाविद्यालय में एडमिशन कराकर लौट रही थी तभी गांव के ही पांच से छह लड़कों ने उसका अपहरण कर लिया. साथ ही गांव के ही एक घर में ले जाकर गैंगरेप की वारदात को अंजाम दिया. जिस रिक्शे पर छात्रा को घर पहुंचाया गया था, उस पर खून के धब्बे और रास्ते में उसकी जूती भी पाई गई है.
मृतका की मां अपने बयान पर कायम
मृतका की मां का आरोप है कि उसकी बेटी को इंजेक्शन लगाकर हैवानियत की वारदात को अंजाम दिया गया. उसकी कमर में चोट और दोनों टांगों को तोड़कर रिक्शे पर बैठाकर घर भेज दिया गया. वह कुछ भी बोल नहीं पा रही थी. वो सिर्फ इतना कह पाई कि बहुत दर्द है, अब मैं बचूंगी नहीं. मृतका की मां के बयान के बाद पुलिस अधीक्षक देवरंजन वर्मा की भी प्रतिक्रिया आई है.
पुलिस अधीक्षक देवरंजन वर्मा ने विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ऐसी किसी भी बात का जिक्र नहीं है कि मृतका का हाथ-पैर टूटा हुआ है. उन्होंने कहा कि मीडिया में चल रही यह खबरें निराधार हैं. एसपी के बयान के बाद ईटीवी भारत की टीम ने एक बार फिर मृतका की मां से बात की. मृतका की मां आज भी अपने बयान पर कायम हैं. मृतका की मां का कहना है कि उनकी बेटी का पैर टूटा था. उसके कमर में चोट थी और वह चल भी नहीं पा रही थी.