बलरामपुर: पिछले 43 वर्षों से अपने उत्थान की बांट जोह रही परियोजना को आखिरकार पूरा कर लिया गया है. 1978 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (The then Prime Minister Indira Gandhi) के समय महज दो जिलों के लिए शुरू की गई सिंचाई परियोजना का जल्द ही लोकार्पण होगा. इस योजना की तब लागत लगभग 79 करोड़ रुपये थी. लेकिन विकास की सुस्त रफ्तार और जमीन अधिग्रहण कानून में अड़चन के साथ ही अन्य वजहों से इस परियोजना को पूरा होने में 43 साल लग गए. अब सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना बनकर तैयार है. वहीं, आगामी 11 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका लोकार्पण करने के लिए बलरामपुर आ रहे हैं. इसकी जानकारी प्रदेश के जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ने दी.
बलरामपुर जिले के दौरे पर आए जल शक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह ने जिले व मंडल के अधिकारियों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावित दौरे को लेकर बैठक की. प्रेस वार्ता के दौरान जानकारी देते उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी 11 दिसंबर को बलरामपुर जिले में बहराइच रोड पर स्थित हंसुवाडोल गांव (Hansuvadol village on Bahraich road) के पास एक कार्यक्रम में शामिल होंगे.
वहीं से वे सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना को बटन दबाकर लोकार्पित करेंगे. इस दौरान कार्यक्रम स्थल पर तकरीबन दो लाख लोगों के आने की संभावना है, जिन्हें प्रधानमंत्री मोदी जनसभा के दौरान संबोधित करेंगे. लोकार्पण कार्यक्रम का लाइव प्रसारण भी देशभर में होगा. सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना के बारे में बात करते हुए जल शक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि अब किसानों के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन आएगा और यह परियोजना 9 जिलों के लिए वरदान साबित होगी.
उन्होंने कहा कि आजाद भारत में 78.68 करोड़ की लागत से 1978 में दो जिलों में सिंचाई के लिए राज्य सरकार ने छोटे स्तर पर इस परियोजना को शुरू किया था. चार साल बाद 1982 में इसे विस्तारित करते हुए बलरामपुर सहित नौ जिलों को इस परियोजना से जोड़ गया था.
जल शक्ति मंत्री ने कहा कि 2012 में इसका नाम परिवर्तित कर सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना कर दिया गया. नाम परिवर्तन के साथ-साथ इसकी लागत भी पुनरीक्षित कर 78.68 करोड़ से बढ़कर 2021 तक 9802.68 करोड़ रुपये हो गई. साथ ही सिंचित क्षेत्र की क्षमता भी 3.12 लाख हेक्टेअर से बढ़कर 14.04 लाख हेक्टेअर पहुंच गई.
जल शक्ति मंत्री डॉ. सिंह ने बताया कि सरयू नहर परियोजना के लिए घाघरा, राप्ती, बाणगंगा, सरयू व रोहिणी नदी को आपस में जोड़ा गया है. इस परियोजना की पुनरीक्षित लागत 9802.68 करोड़ रुपये है. परियोजना पर मार्च 2021 तक 9562.68 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं. इस परियोजना के लिए कुल 25027.72 हेक्टेअर भूमि की आवश्यकता थी. इसके सापेक्ष 25021.497 हेक्टेअर भूमि विभाग ने पहले ही खरीद लिया है.
उन्होंने बताया कि सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना के तहत सरयू लिंक चैनल, सरयू मुख्य नहर तथा उसकी समस्त शाखाएं, राप्ती लिंक नहर व राप्ती मुख्य नहर का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है. इससे पूर्वी उत्तर प्रदेश के बहराइच, गोंडा, श्रावस्ती, बलरामपुर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीर नगर, गोरखपुर व महराजगंज में सिंचाई सुविधा का विस्तार होगा.
जल शक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह ने कहा कि इस परियोजना के तहत रेलवे ब्रिज का भी निर्माण कार्य अंतिम चरण में है. इसके साथ ही जो भी छोटी मोटी कमियां इस प्रोजेक्ट में रह गई हैं. उसे भी जल्द से जल्द पूरी कर ली जाएंगी. बड़ी संख्या में इससे न केवल किसान लाभान्वित होंगे, बल्कि बाढ़ जैसी मुसीबतों से भी हमें छुटकारा मिल सकेगा. अब इसका लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कराकर परियोजना देश को समर्पित किया जाएगा.
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