बलरामपुर: जिले में हर साल 100 से अधिक गांव और कम से कम 5 लाख लोगों की आबादी बाढ़ के कारण परेशान होती है. पहाड़ी नालों और राप्ती नदी में लगातार आने वाले उफान से स्थिति कुछ इस कदर बदरंग हो जाती है कि जिला प्रशासन को नावों की व्यवस्था करवानी पड़ती है. जिला प्रशासन अगर नावों की व्यवस्था न करवाएं तो लोगों का मुख्य मार्गो से जुड़ पाना तक असंभव हो जाता है.
मल्लाह कर रहे लोगों से वसूली
इससे बाढ़ प्रभावित इलाकों के लोग अपने गांवों से निकलकर जिला मुख्यालय से जुड़ सकें. हालांकि इन तमाम जगहों पर तैनात नावों और मल्लाह के बारे में लगातार यह शिकायत मिल रही है कि इनके ओर से प्रति व्यक्ति 10 रुपये एक बार का किराया और मोटरसाइकिल उतारने के लिए 50 रुपये तक का किराया वसूला जा रहा है.
10 रुपये से 50 रुपये तक की हो रही वसूली
दतरंगवा डिप पर खड़े लोगों ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि इस डिप को पार करना अपनी जान को जोखिम में डालने जैसा है फिर भी वे लोग मजबूरन पैदल या अपने वाहनों से पार करते हैं. लोग बताते हैं कि सरकार की ओर से नाव तो उपलब्ध करवा दिया गया है, लेकिन यहां पर तैनात मल्लाह दोनों तरफ से आने-जाने के लिए पैसे वसूलते हैं. 10 रुपये से लेकर 50 रुपये तक एक तरफ का किराया वसूला जाता है. वहीं न देने पर उन्हें नावों से उतार दिया जाता है. लोग बताते हैं कि उन्होंने कई बार पुलिस चौकी और थाने पर शिकायत भी की. कुछ दिनों के लिए यह खेल बंद भी हुआ, लेकिन फिर कुछ दिनों बाद उसी तरह यहां पर वसूली शुरू कर दी गई.
अधिकारी कर रहे कार्रवाई करने की बात
इस बारे में बात करते हुए जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश बताते हैं कि जनपद में कुल 60 स्थानों पर नावों की व्यवस्था करवाई गई है. इसके अतिरिक्त 45 नावों का ऑडर दिया जा चुका है. वह बताते हैं कि कुछ नावों को बाढ़ के संकट के लिए रिजर्व भी रखा गया है, जिससे ग्रामीणों को मुश्किल समय में त्वरित सहायता दी जा सके. वह कहते हैं कि यह नाव की सुविधाएं पूरी तरह से जनता के लिए निशुल्क है और प्रशासन की ओर से प्रदान की जा रही है. इस पर किसी तरह का शुल्क नहीं लिया जा सकता. उन्होंने कहा कि मामला संज्ञान में लाया जा रहा है. जांच करवाकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.