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देवीपाटन मेला कल से, बिना मास्क वालों की नो एंट्री

यूपी के बलरामपुर में शक्तिपीठ देवीपाटन में एक महीने तक चलने वाला राजकीय मेला कल से शुरू गो जाएगा. इस मेले में बिना मास्क के किसी को भी जाने की अनुमति नहीं मिलेगी. पूजा के दौरान मंदिर में प्रसाद चढ़ाने की अनुमति भी नहीं दी गई है.

बलरामपुर में शक्तिपीठ देवीपाटन
बलरामपुर में शक्तिपीठ देवीपाटन
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Published : Apr 12, 2021, 7:15 PM IST

बलरामपुर: 13 अप्रैल ( मंगलवार) से शक्तिपीठ देवीपाटन में एक महीने तक चलने वाला राजकीय मेला शुरू हो जाएगा. अगर आप मेले में जाना चाहते हैं तो कोविड-19 के प्रोटोकोल का पालन करें वरना आपको मेला क्षेत्र में एंट्री नहीं मिलेगी. मेले के एंट्री गेट पर ही भक्तों की थर्मल स्क्रीनिंग की जाएगी. देवीपाटन के महंत मिथिलेश नाथ योगी ने बताया कि पूजा के दौरान प्रसाद चढ़ाने की अनुमति नहीं दी गई है. साथ ही वहां मौजूद पुजारी भी किसी भक्त को तिलक नहीं लगाएंगे.

जानकारी देते महंत.

पिछले साल अप्रैल में नहीं लगा था मेला
51 शक्तिपीठों में प्रधान पीठ शक्तिपीठ देवीपाटन में चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि के मौके पर एक महीने का मेला लगता है. मंदिर की ऐतिहासिकता के देखते हुए इसे राजकीय मेला का दर्जा प्राप्त है. इस मेले में न सिर्फ उत्तर प्रदेश के जिलों से बल्कि नेपाल से भी भक्त दर्शन-पूजन के लिए आते हैं. पिछले साल कोरोना महामारी के प्रकोप के कारण चैत्र नवरात्रि में मेले का आयोजन नहीं हुआ था. मगर इस साल प्रशासन की निगरानी में मेले का आयोजन किया जा रहा है.

तुसलीपुर के एंट्री गेट पर होगी श्रद्धालुओं की स्क्रीनिंग
महंत मिथिलेशनाथ योगी ने बताया कि इस बार तुलसीपुर के प्रवेश सीमा और मंदिर के एंट्री रूट पर श्रद्धालुओं की स्क्रीनिंग की जाएगी. वहां से आगे आने की अनुमति उन भक्तों को ही मिलेगी, जो मास्क लगाएंगे. मेला अवधि के दौरान मंदिर प्रशासन लोगों को जागरूक करेगा. साथ ही भक्तों से कोविड-19 से बचाव को लेकर जारी निर्देशों का पालन कराएगा. मेले की व्यवस्था और कोविड से बचाव को लेकर मंडलायुक्त और डीआईजी समीक्षा बैठक कर चुके हैं.

पंचमी को नेपाल से आएगी शोभायात्रा, बॉर्डर पर होगा कोरोना टेस्ट
चैत्र नवरात्रि की पंचमी को शोभायात्रा नेपाल से देवीपाटन मंदिर पहुंचेगी. शोभायात्रा में शामिल सभी संतों और श्रद्धालुओं का नेपाल सीमा पर ही कोविड टेस्ट कराया जाएगा. सीएमओ डॉ. विजय बहादुर सिंह ने बताया कि नेपाल सीमा पर ही जनकपुर गांव में यात्रा में शामिल सभी लोगों की कोविड जांच की जाएगी. बता दें कि हर साल नेपाल के डांग चौखड़ा से पीर रतननाथ योगी की शोभायात्रा चैत्र नवरात्रि के पंचमी के दिन शक्तिपीठ देवीपाटन पहुंचती है. मान्यता के अनुसार, यह परंपरा सैकड़ों साल से चली आ रही है. यह यात्रा नेपाल और भारत के बीच सांस्कृतिक सामांजस्य की प्रतीक भी है.

महादेवी सती, गुरु गोरक्षनाथ और दानवीर कर्ण से जुड़ी है मान्यता
शक्तिपीठ मंदिर देवीपाटन अपने धार्मिक ऐतिहासिक महत्त्व के लिए पूरे दुनिया में प्रसिद्ध है. माना जाता है कि यहां मां सती का वस्त्र सहित बायां कंधा गिरा था. पट सहित गिरने से यहां महासती को देवी पाटेश्वरी के नाम से पूजा जाता है. इस शक्तिपीठ से महायोगी गुरु गोरक्षनाथ जी का भी इतिहास जुड़ा हुआ है. महायोगी ने ही यहां देवी की स्थापना की थी. मान्यता के अनुसार, महायोगी ने तब जो धूनि जलाई थी, वह आज भी प्रज्जवलित है. श्रद्धालु मां पाटेश्वरी के दर्शन बाद अखंड धूनी का भी पूजन करते हैं. यह स्थान महाभारत कालीन राजा कर्ण से भी जुड़ा रहा है. यहां राजा कर्ण स्नान के बाद सूर्य उपासना किया करते थे. वह कुंड आज भी यहां विद्यमान है, जिसे सूर्यकुंड के नाम से जाना जाता है. इस शक्तिपीठ का संचालन गोरक्षपीठ गोरखपुर की ओर से की जा रही है.

बलरामपुर: 13 अप्रैल ( मंगलवार) से शक्तिपीठ देवीपाटन में एक महीने तक चलने वाला राजकीय मेला शुरू हो जाएगा. अगर आप मेले में जाना चाहते हैं तो कोविड-19 के प्रोटोकोल का पालन करें वरना आपको मेला क्षेत्र में एंट्री नहीं मिलेगी. मेले के एंट्री गेट पर ही भक्तों की थर्मल स्क्रीनिंग की जाएगी. देवीपाटन के महंत मिथिलेश नाथ योगी ने बताया कि पूजा के दौरान प्रसाद चढ़ाने की अनुमति नहीं दी गई है. साथ ही वहां मौजूद पुजारी भी किसी भक्त को तिलक नहीं लगाएंगे.

जानकारी देते महंत.

पिछले साल अप्रैल में नहीं लगा था मेला
51 शक्तिपीठों में प्रधान पीठ शक्तिपीठ देवीपाटन में चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि के मौके पर एक महीने का मेला लगता है. मंदिर की ऐतिहासिकता के देखते हुए इसे राजकीय मेला का दर्जा प्राप्त है. इस मेले में न सिर्फ उत्तर प्रदेश के जिलों से बल्कि नेपाल से भी भक्त दर्शन-पूजन के लिए आते हैं. पिछले साल कोरोना महामारी के प्रकोप के कारण चैत्र नवरात्रि में मेले का आयोजन नहीं हुआ था. मगर इस साल प्रशासन की निगरानी में मेले का आयोजन किया जा रहा है.

तुसलीपुर के एंट्री गेट पर होगी श्रद्धालुओं की स्क्रीनिंग
महंत मिथिलेशनाथ योगी ने बताया कि इस बार तुलसीपुर के प्रवेश सीमा और मंदिर के एंट्री रूट पर श्रद्धालुओं की स्क्रीनिंग की जाएगी. वहां से आगे आने की अनुमति उन भक्तों को ही मिलेगी, जो मास्क लगाएंगे. मेला अवधि के दौरान मंदिर प्रशासन लोगों को जागरूक करेगा. साथ ही भक्तों से कोविड-19 से बचाव को लेकर जारी निर्देशों का पालन कराएगा. मेले की व्यवस्था और कोविड से बचाव को लेकर मंडलायुक्त और डीआईजी समीक्षा बैठक कर चुके हैं.

पंचमी को नेपाल से आएगी शोभायात्रा, बॉर्डर पर होगा कोरोना टेस्ट
चैत्र नवरात्रि की पंचमी को शोभायात्रा नेपाल से देवीपाटन मंदिर पहुंचेगी. शोभायात्रा में शामिल सभी संतों और श्रद्धालुओं का नेपाल सीमा पर ही कोविड टेस्ट कराया जाएगा. सीएमओ डॉ. विजय बहादुर सिंह ने बताया कि नेपाल सीमा पर ही जनकपुर गांव में यात्रा में शामिल सभी लोगों की कोविड जांच की जाएगी. बता दें कि हर साल नेपाल के डांग चौखड़ा से पीर रतननाथ योगी की शोभायात्रा चैत्र नवरात्रि के पंचमी के दिन शक्तिपीठ देवीपाटन पहुंचती है. मान्यता के अनुसार, यह परंपरा सैकड़ों साल से चली आ रही है. यह यात्रा नेपाल और भारत के बीच सांस्कृतिक सामांजस्य की प्रतीक भी है.

महादेवी सती, गुरु गोरक्षनाथ और दानवीर कर्ण से जुड़ी है मान्यता
शक्तिपीठ मंदिर देवीपाटन अपने धार्मिक ऐतिहासिक महत्त्व के लिए पूरे दुनिया में प्रसिद्ध है. माना जाता है कि यहां मां सती का वस्त्र सहित बायां कंधा गिरा था. पट सहित गिरने से यहां महासती को देवी पाटेश्वरी के नाम से पूजा जाता है. इस शक्तिपीठ से महायोगी गुरु गोरक्षनाथ जी का भी इतिहास जुड़ा हुआ है. महायोगी ने ही यहां देवी की स्थापना की थी. मान्यता के अनुसार, महायोगी ने तब जो धूनि जलाई थी, वह आज भी प्रज्जवलित है. श्रद्धालु मां पाटेश्वरी के दर्शन बाद अखंड धूनी का भी पूजन करते हैं. यह स्थान महाभारत कालीन राजा कर्ण से भी जुड़ा रहा है. यहां राजा कर्ण स्नान के बाद सूर्य उपासना किया करते थे. वह कुंड आज भी यहां विद्यमान है, जिसे सूर्यकुंड के नाम से जाना जाता है. इस शक्तिपीठ का संचालन गोरक्षपीठ गोरखपुर की ओर से की जा रही है.

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