बलरामपुरः राजस्थान के जैसलमेर में एक कंपनी ने सोलर पावर प्लांट लगाने के लिए किसानों की 6 हजार हेक्टेयर जमीन ली थी. इस जमीन पर खेजड़ी के पेड़ लगे थे. कंपनी द्वारा खेजड़ी के पेड़ो को काटकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया गया है. पेड़ों के कटान को लेकर एनजीटी (National Green Tribunal) सख्त हो गया है. अब एनजीटी इस पर कार्रवाई की तैयारी कर रहा है.
एनजीटी के न्यायधीश डॉ. अफरोज मंगलवार को बलरामपुर में आयोजित जिला पर्यावरण समिति की समीक्षा बैठक में हिस्सा लेने आए थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि राजस्थान में खेजड़ी के पेड़ वहां के लिए पूजनीय हैं और विश्नोई समाज उसे पूजता है. उन्होंने कहा कि पर्यावरण को धर्म के रूप में लेना चाहिए, क्योंकि पर्यावरण का हमारे धर्मों में बहुत महत्त्व है. यदि हम पर्यावरण को धर्म के रूप में लेते हैं तो पर्यावरण को बचाया जा सकता है
डॉ. अफरोज ने गंगा और दूसरी नदियों की सफाई का ज्रिक करते हुए कहा कि गंगा और दूसरी सहायक नदियों को बहुत दूषित किया गया है. पहले बनारस में घाटों पर बदबू आती थी, लेकिन आज गंगा का पानी शुद्ध हुआ है. आक्सीजन लेवल भी बढ़ा है और गंगा के पानी का कलर भी अच्छा हुआ है. उन्होंने कहा कि गंगा और सहायक नदियों को बचाने के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार लगातार चिंतित है और तमाम योजनाएं बनाई गई हैं जिस पर कार्य हो रहा है.
उन्होंने कहा कि नदियों की सफाई में अभी और समय लगेगा, जिस पर कार्रवाई हो रही है. न्यायाधीश डॉ. अफरोज ने कहा कि बलरामपुर में सूआव नाला जो गंगा की सहायक नदी है उस पर अतिक्रमण कर लिया गया है. एनजीटी द्वारा बनाई गई कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर उसे गंगा की सहायक नदी घोषित कर दिया गया है. 120 किमी की इस सहायक नदी पर अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए गए हैं तथा नदी के दोनों तरफ 50 मीटर चिन्हित कर दोनों तरफ नो डिपार्टमेंट जोन घोषित कर दिया है.
पढ़ेंः प्रदेश में दम तोड़ रहीं छोटी नदियों के प्राकृतिक प्रवाह को लौटाना बड़ी चुनौती!