बलरामपुर: तकरीबन 28 साल की नेहा चौहान पिछले दो सालों से पलमोनरी अट्र्रीस हाइपरटेंशन बीमारी से ग्रस्त है. इस बीमारी में हृदय के रास्ते निकलने वाली सभी धमनियां ब्लॉक हो जाती हैं. शरीर में गठिया जैसे रोगों का प्रभाव बढ़ने लगता है और प्रतिरोधक क्षमता कम होने के साथ-साथ ऑक्सीजन की कमी हो जाती है.
नेहा के परिवार की आर्थिक हालत अच्छी नहीं है कि वो ऑपरेशन में आने वाला तकरीबन 5 लाख रुपये का खर्च उठा सके. इस वजह से उसके माता-पिता ने मौजूदा विधायक से लेकर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ से गुहार लगाई है, उनकी मदद की जाए.
क्या है नेहा की बीमारी
नेहा चौहान तकरीबन दो सालों से पलमोनरी अट्र्रीस हाइपरटेंशन नाम की बीमारी से पीड़ित है. इस बीमारी में मूल रूप से हार्ट की सभी नसें ब्लॉक हो जाती हैं और गठिया जैसे रोगों का प्रकोप बढ़ने लगता है. इसके साथ-साथ शरीर में ऑक्सीजन की लगातार कमी होती रहती है. इस रोग में खून की कमी होना, घबराहट होना, बार-बार बेहोश होना आम बात हो जाती है. इस रोग से पीड़ित व्यक्ति बिना ऑक्सीजन सिलेंडर के सांस तक नहीं ले पाता है.
परिवार के पास नहीं है इलाज का पैसा
इस रोग का इलाज लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में संभव है, लेकिन इसके एवज में अच्छी खासी रकम लगती है. परिवार की आर्थिक हालत कुछ साल पहले तो ठीक-ठाक थी, लेकिन कुछ ऐसा हुआ जिससे बिजनेस डूब गया और परिवार गरीबी की गर्त में चला गया. अब परिवार एक किराए के मकान में बलरामपुर के भगवतीगंज के विशुनीपुर क्षेत्र में रहता है.
नेहा की मां का कहना है कि उनके पास इलाज के लिए इतनी बड़ी रकम नहीं है. इसलिए उन्होंने विधायक, सांसद और मुख्यमंत्री तक सबसे गुहार लगाई है कि इलाज में आने वाले तकरीबन पांच लाख रुपये का किसी तरह इंतजाम किया जाए. इस मामले में नेहा ने ईटीवी भारत को बताया कि सीएम योगी से अपील की है कि इलाज में आने वाले खर्च की व्यवस्था की जाए. बताया कि इस बीमारी का पता खबरों के माध्यम से समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को पता चला तो उन्होंने सपा के स्थानीय नेता सलिल सिंह 'टीटू' के हाथों एक लाख रुपये की नकद धनराशि भिजवाई.
वहीं बलरामपुर मेमोरियल चिकित्सालय में तैनात फिजीशियन डॉक्टर अजय पांडे का कहना है कि यह बीमारी जन्म से होती है. इसके कारण रक्त का संचार नहीं हो पाता और उलझन होने लगती है. उन्होंने बताया कि अगर इस बारे में शुरुआत में पता चल जाए तो इस चीज को दवाइयों से सही किया जा सकता है. वहीं बीमारी का पता अगर देर से चले तो ऑपरेशन ही एक मात्र इलाज है.