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बलरामपुर: एनजीटी के आदेशों की अवहेलना, अस्पताल में ही जलाए जा रहे कचरे - ngt

एनजीटी द्वारा मेडिकल कचरे के निस्तारण के लिए दिए गए आदेश के बावजूद जिला चिकित्सा प्रशासन बायो मेडिकल वेस्ट को निस्तारित करने के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं कर पा रहा है. एनजीटी के आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए बायो मेडिकल वेस्ट को अस्पताल में ही जलाया और फेंका जा रहा है.

जानकारी देते मुख्य चिकित्सा अधिकारी.
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Published : May 4, 2019, 9:43 AM IST

बलरामपुर: एनजीटी ने चिकित्सालय से निकलने वाले अस्पताली कचरे यानी बायो मेडिकल वेस्ट को लेकर सख्ती दिखाई थी. एनजीटी ने निर्देश दिए कि कूड़ा निस्तारण की उचित व्यवस्था नहीं पाए जाने पर संस्था संचालक (अस्पताल) पर 3 से 5 लाख और संबंधित जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी पर एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जाए.

अस्पताल कूड़ा निस्तारण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है.

  • जिला चिकित्सा प्रशासन के अंतर्गत संचालित होने वाले जिले में 9 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 24 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 60 हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर हैं.
  • इसके अतिरिक्त यदि आंकड़ों की मानें तो जिले में कुल 205 स्वास्थ्य उपकेंद्र भी संचालित किए जाते हैं.
  • इन सभी से रोजाना सैकड़ों किलो मेडिकल वेस्ट निकलता है. इनके निस्तारण की न तो अब तक कोई व्यवस्था की जा सकी है. इस तरह के कचरे के निस्तारण के लिए कोई संस्था भी बेहतर तरीके से काम नहीं कर रही है.
  • सादुल्लाह नगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के पीछे के हिस्से में भारी मात्रा में न केवल इंजेक्शन, दवाइयां और अन्य मेडिकल वेस्ट इकट्ठा करके जलाए जा रहे हैं, बल्कि कहीं-कहीं खुले में ही मेडिकल वेस्ट पड़ा मिला.
    जानकारी देते मुख्य चिकित्सा अधिकारी.

इस मामले पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. घनश्याम सिंह ने बताया

  • सरकारी स्वास्थ्य केंद्र के साथ निजी नर्सिंग होम संचालकों को भी कूड़ा निस्तारण की उचित व्यवस्था का आदेश दिया जा चुका है.
  • बिना उचित कूड़ा प्रबंधन के संचालित होने वाले केंद्रों को शीघ्र बंद कराने की व्यवस्था भी है, लेकिन हमारे सिस्टम में ही खराबी है.
  • अस्पतालों द्वारा एनजीटी के आदेशों की अवहेलना की जा रही है, लेकिन हम बार-बार उन्हें नोटिस दे रहे हैं.
  • यदि वह नोटिस को यथावत लागू नहीं कर पाते तो हम उनके खिलाफ एक्शन भी लेंगे.

बलरामपुर: एनजीटी ने चिकित्सालय से निकलने वाले अस्पताली कचरे यानी बायो मेडिकल वेस्ट को लेकर सख्ती दिखाई थी. एनजीटी ने निर्देश दिए कि कूड़ा निस्तारण की उचित व्यवस्था नहीं पाए जाने पर संस्था संचालक (अस्पताल) पर 3 से 5 लाख और संबंधित जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी पर एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जाए.

अस्पताल कूड़ा निस्तारण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है.

  • जिला चिकित्सा प्रशासन के अंतर्गत संचालित होने वाले जिले में 9 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 24 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 60 हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर हैं.
  • इसके अतिरिक्त यदि आंकड़ों की मानें तो जिले में कुल 205 स्वास्थ्य उपकेंद्र भी संचालित किए जाते हैं.
  • इन सभी से रोजाना सैकड़ों किलो मेडिकल वेस्ट निकलता है. इनके निस्तारण की न तो अब तक कोई व्यवस्था की जा सकी है. इस तरह के कचरे के निस्तारण के लिए कोई संस्था भी बेहतर तरीके से काम नहीं कर रही है.
  • सादुल्लाह नगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के पीछे के हिस्से में भारी मात्रा में न केवल इंजेक्शन, दवाइयां और अन्य मेडिकल वेस्ट इकट्ठा करके जलाए जा रहे हैं, बल्कि कहीं-कहीं खुले में ही मेडिकल वेस्ट पड़ा मिला.
    जानकारी देते मुख्य चिकित्सा अधिकारी.

इस मामले पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. घनश्याम सिंह ने बताया

  • सरकारी स्वास्थ्य केंद्र के साथ निजी नर्सिंग होम संचालकों को भी कूड़ा निस्तारण की उचित व्यवस्था का आदेश दिया जा चुका है.
  • बिना उचित कूड़ा प्रबंधन के संचालित होने वाले केंद्रों को शीघ्र बंद कराने की व्यवस्था भी है, लेकिन हमारे सिस्टम में ही खराबी है.
  • अस्पतालों द्वारा एनजीटी के आदेशों की अवहेलना की जा रही है, लेकिन हम बार-बार उन्हें नोटिस दे रहे हैं.
  • यदि वह नोटिस को यथावत लागू नहीं कर पाते तो हम उनके खिलाफ एक्शन भी लेंगे.
Intro:सरकार निर्देश और आदेश चाहे जितने दे दे। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण कितने ही जुर्माने लगाने के आदेश क्यों न दे दे, लेकिन बलरामपुर जिला चिकित्सा विभाग और अस्पताल प्रशासन इन आदेशों को लागू करवाने में नाकाम साबित हो रहा है। असल में, कुछ दिनों पहले एनजीटी ने एक मामले की सुनवाई करते हुए चिकित्सालय से निकलने वाले अस्पताली कचरे यानी बायो मेडिकल वेस्ट को लेकर शक्ति दिखाई थी। एनजीटी ने इसके बाद एक जांच भी करवाई, जिसमें कूड़ा निस्तारण की उचित व्यवस्था नहीं पाए जाने पर संस्था संचालक (अस्पताल) पर 3 से 5 लाख व संबंधित जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी पर एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना करने की बात भी कही थी।


Body:NOTE _ UP_BLP_YOGENDRA TRIPATHI_03 MAY 2019_HEALTH DEPARTMENT IS AVOIDING THE NGTS ORDER_VIDEO वीडियो फीड इस नाम से एफटीपी पर प्रेषित है। डेस्क के सहयोगी कृपया संज्ञान लें।)

इसके बाद भी जिला प्रशासन कितने का नाम नहीं ले रहा है। जिला चिकित्सा प्रशासन के अंतर्गत संचालित होने वाले जिले में 9 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र 24 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व 60 हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर हैं। इसके अतिरिक्त यदि आंकड़ों की माने तो जिले में कुल 205 स्वास्थ्य उपकेंद्र भी संचालित किए जाते हैं। इन सभी से रोजाना सैकड़ों किलो मेडिकल वेस्ट निकलता है। जिन के निस्तारण की ना तो अब तक कोई व्यवस्था की जा सकी है। और ना ही इस तरह के कचरे के निस्तारण के लिए कोई संस्था बेहतर तरीके से काम ही कर रही है।
हमें इस बात का अंदाजा तब लगा, जब ईटीवी की टीम जिले के सुदूर इलाके मैं स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सादुल्लाह नगर पहुंची। सादुल्लाह नगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के पीछे के हिस्से में भारी मात्रा में न केवल सुईया, दवाइयां व अन्य मेडिकल वेस्ट इकट्ठा करके जलाए जा रहे थे। बल्कि कहीं-कहीं खुले में ही मेडिकल वेस्ट पड़ा मिला।
इस मामले पर जब हमने स्थानीय अस्पताल प्रशासन से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया।


Conclusion:इस मामले पर जब हमने मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ घनश्याम सिंह से बात की तो उन्होंने कहा कि सरकारी स्वास्थ्य केंद्र के साथ, निजी नर्सिंग होम संचिका संचालकों को भी कूड़ा निस्तारण की उचित व्यवस्था का आदेश दिया जा चुका है। बिना उचित कूड़ा प्रबंधन के संचालित होने वाले केंद्रों को शीघ्र बंद कराने की व्यवस्था भी है। लेकिन हमारे सिस्टम में ही खराबी है।
वही जब हमने एनजीटी के आदेशों की अवहेलना पर बात की तो उन्होंने कहा कि फिलहाल तो अस्पतालों द्वारा एनजीटी के आदेशों की अवहेलना ही की जा रही है। लेकिन हम बार-बार उन्हें नोटिस दे रहे हैं यदि वह नोटिस पर हमारी बातों को यथावत लागू नहीं कर पाते तो हम उनके खिलाफ एक्शन भी लेंगे।
हम आपको बताते चलें कि पिछले दिनों जब एनजीटी द्वारा मेडिकल कूड़े के निस्तारण के लिए आदेश दिया गया था। तब जिला चिकित्सा प्रशासन द्वारा कई अस्पतालों पर बायो मेडिकल वेस्ट के रखने के लिए 3 गड्ढे वाला स्टोरेज सेंटर बनाया जाना तय हुआ था। इसके तहत कई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व जिला मेमोरियल चिकित्सालय, महिला चिकित्सालय व संयुक्त जिला चिकित्सालय में बायो मेडिकल वेस्ट को निस्तारित करने के लिए तीन गड्ढों वाला एक केंद्र बनाया जाना शुरू भी हो चुका है। लेकिन उससे पहले एनजीटी के आदेशों की धज्जियां उड़ती दिखाई दे रही हैं।
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