बलरामपुर: एनजीटी ने चिकित्सालय से निकलने वाले अस्पताली कचरे यानी बायो मेडिकल वेस्ट को लेकर सख्ती दिखाई थी. एनजीटी ने निर्देश दिए कि कूड़ा निस्तारण की उचित व्यवस्था नहीं पाए जाने पर संस्था संचालक (अस्पताल) पर 3 से 5 लाख और संबंधित जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी पर एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जाए.
अस्पताल कूड़ा निस्तारण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है.
- जिला चिकित्सा प्रशासन के अंतर्गत संचालित होने वाले जिले में 9 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 24 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 60 हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर हैं.
- इसके अतिरिक्त यदि आंकड़ों की मानें तो जिले में कुल 205 स्वास्थ्य उपकेंद्र भी संचालित किए जाते हैं.
- इन सभी से रोजाना सैकड़ों किलो मेडिकल वेस्ट निकलता है. इनके निस्तारण की न तो अब तक कोई व्यवस्था की जा सकी है. इस तरह के कचरे के निस्तारण के लिए कोई संस्था भी बेहतर तरीके से काम नहीं कर रही है.
- सादुल्लाह नगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के पीछे के हिस्से में भारी मात्रा में न केवल इंजेक्शन, दवाइयां और अन्य मेडिकल वेस्ट इकट्ठा करके जलाए जा रहे हैं, बल्कि कहीं-कहीं खुले में ही मेडिकल वेस्ट पड़ा मिला.
इस मामले पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. घनश्याम सिंह ने बताया
- सरकारी स्वास्थ्य केंद्र के साथ निजी नर्सिंग होम संचालकों को भी कूड़ा निस्तारण की उचित व्यवस्था का आदेश दिया जा चुका है.
- बिना उचित कूड़ा प्रबंधन के संचालित होने वाले केंद्रों को शीघ्र बंद कराने की व्यवस्था भी है, लेकिन हमारे सिस्टम में ही खराबी है.
- अस्पतालों द्वारा एनजीटी के आदेशों की अवहेलना की जा रही है, लेकिन हम बार-बार उन्हें नोटिस दे रहे हैं.
- यदि वह नोटिस को यथावत लागू नहीं कर पाते तो हम उनके खिलाफ एक्शन भी लेंगे.