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बलरामपुर: बाढ़ व कटान के साथ उफान पर राप्ती नदी, तटवर्ती गांव हुए प्रभावित

बलरामपुर जिले में राप्ती नदी में आई बाढ़ ने जमकर कहर बरपाया है. राप्ती नदी व पहाड़ी नाले अपने उफान पर हैं. बाढ़ से कई गांव बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. साथ ही कई मार्गों का मुख्यालय से आवागमन टूट गया.

राप्ती नदी का कहर.
राप्ती नदी का कहर.
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Published : Aug 9, 2020, 10:35 AM IST

बलरामपुर: राप्ती नदी इस समय अपने उफान पर बह रही है. नेपाल से पानी छोड़े जाने के कारण राप्ती नदी का जलस्तर काफी बढ़ गया है. बाढ़ और कटान का नाता कुछ इस तरह से है कि कई गांवों का अस्तित्व समाप्त हो चुका है. बावजूद इसके प्रशासन ने बाढ़ पीड़ितों के लिए पुख्ता इंतजाम नहीं किए हैं. बलरामपुर जिले के सदर ब्लॉक के तकरीबन 10 गांव बाढ़ और कटान के चपेट में आ जाते हैं.

इस बाबत जिला प्रशासन, सिंचाई विभाग, बाढ़ खण्ड कच्चे तौर पर काम तो कर रहे हैं, लेकिन राप्ती नदी का बहाव काफी ज्यादा हो गया है. प्रशासन के सारे प्रयास नाकाफी नजर आ रहे हैं. सदर ब्लॉक के गनवरिया ग्रामसभा अंतर्गत आने वाले दोडरी मजरे का हाल कटान के कारण बेहद खराब है. जमालीजोत से गांव को जोड़ने वाली मुख्य सड़क के तकरीबन 100 मीटर हिस्से को राप्ती नदी ने काट दिया है. अब राप्ती नदी से ग्रामीणों के घरों की दूरी महज 10 मीटर से कम रह गई है.

बाढ़ में बह गए ग्रामीणों के खेत.
बाढ़ में बह गए ग्रामीणों के खेत.

कटान इतनी तेजी से हो रहा है कि यहां काम कर रहे बाढ़ खण्ड के लोग काबू नहीं कर पा रहे हैं. ग्रामीणों का साफ कहना है कि जिस तरह से कटान को रोकने का प्रयास किया जाना चाहिए, पिछले दिनों वैसा नहीं किया गया. बाढ़ और कटान आने के बाद खण्ड के अधिकारियों ने यहां आकर काम शुरू किया है. अब खण्ड के अधिकारी बंबू क्रेट डालकर ग्रामीणों को बाढ़ से निजात दिलाने की कोशिश कर रहे हैं. राप्ती के बहाव के आगे ये सब कुछ बेअसर साबित हो रहा है. नदी के कटान का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है.

बाढ़ पीड़ितों से बातचीत.

नदी ने पिछले 7 दिन में ही तकरीबन 500 मीटर तक का कटान किया है. कई किसानों के कई एकड़ तक खेत नदी में समाहित हो गए हैं. ग्रामीणों का कहना है कि बाढ़ से ग्रामीणों को बचाने के लिए जिला प्रशासन को अधिक प्रयास करने की जरूरत है. बड़े जिओ ट्यूब और बड़े पत्थरों का सहारा लेना चाहिए, जिससे समय रहते ही राप्ती नदी के कटान को रोकने के लिए मजबूत व्यवस्था बनाया जा सके. बांस की बल्लियां और सीमेंट के बोरों के सहारे तो नदी का कटान नहीं रुकेगा.

बाढ़ खण्ड अधिकारी प्रीतम लाल ने बताया कि कटान की तीव्रता पिछले एक हफ्ते से बहुत अधिक है, नदी ने तकरीबन खुद को 500 मीटर से ज्यादा मोड़ लिया है. लोगों के खेत और जमीन के साथ-साथ इस गांव को जोड़ने वाली मुख्य सड़क भी कट गई है. बंबू और ट्री क्रेट लगाकर ग्रामीणों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है. जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश का कहना है कि बाढ़ पीड़ितों को बचाने के लिए लेखपालों व अन्य अधिकारियों को निर्देशित किया गया है.

पलायन करने को मजबूर ग्रामीण.
पलायन करने को मजबूर ग्रामीण.

अधिकारी रोजाना तौर पर मॉनिटर कर प्रभावित लोगों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं. कटान की समस्या से निपटने के लिए लगातार नायब तहसीलदार, तहसीलदार, उपजिलाधिकारी फील्ड में मौका मुआयना कर रहे हैं. इनके रिपोर्ट के बाद बाढ़ खण्ड के अधिकारियों को स्थिति को काबू में लाने के लिए लगाया जा रहा है. इसके अतिरिक्त जहां से भी कटान की सूचना आ रही है, वहां के लोगों के लिए राहत कार्य को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है.

बलरामपुर: राप्ती नदी इस समय अपने उफान पर बह रही है. नेपाल से पानी छोड़े जाने के कारण राप्ती नदी का जलस्तर काफी बढ़ गया है. बाढ़ और कटान का नाता कुछ इस तरह से है कि कई गांवों का अस्तित्व समाप्त हो चुका है. बावजूद इसके प्रशासन ने बाढ़ पीड़ितों के लिए पुख्ता इंतजाम नहीं किए हैं. बलरामपुर जिले के सदर ब्लॉक के तकरीबन 10 गांव बाढ़ और कटान के चपेट में आ जाते हैं.

इस बाबत जिला प्रशासन, सिंचाई विभाग, बाढ़ खण्ड कच्चे तौर पर काम तो कर रहे हैं, लेकिन राप्ती नदी का बहाव काफी ज्यादा हो गया है. प्रशासन के सारे प्रयास नाकाफी नजर आ रहे हैं. सदर ब्लॉक के गनवरिया ग्रामसभा अंतर्गत आने वाले दोडरी मजरे का हाल कटान के कारण बेहद खराब है. जमालीजोत से गांव को जोड़ने वाली मुख्य सड़क के तकरीबन 100 मीटर हिस्से को राप्ती नदी ने काट दिया है. अब राप्ती नदी से ग्रामीणों के घरों की दूरी महज 10 मीटर से कम रह गई है.

बाढ़ में बह गए ग्रामीणों के खेत.
बाढ़ में बह गए ग्रामीणों के खेत.

कटान इतनी तेजी से हो रहा है कि यहां काम कर रहे बाढ़ खण्ड के लोग काबू नहीं कर पा रहे हैं. ग्रामीणों का साफ कहना है कि जिस तरह से कटान को रोकने का प्रयास किया जाना चाहिए, पिछले दिनों वैसा नहीं किया गया. बाढ़ और कटान आने के बाद खण्ड के अधिकारियों ने यहां आकर काम शुरू किया है. अब खण्ड के अधिकारी बंबू क्रेट डालकर ग्रामीणों को बाढ़ से निजात दिलाने की कोशिश कर रहे हैं. राप्ती के बहाव के आगे ये सब कुछ बेअसर साबित हो रहा है. नदी के कटान का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है.

बाढ़ पीड़ितों से बातचीत.

नदी ने पिछले 7 दिन में ही तकरीबन 500 मीटर तक का कटान किया है. कई किसानों के कई एकड़ तक खेत नदी में समाहित हो गए हैं. ग्रामीणों का कहना है कि बाढ़ से ग्रामीणों को बचाने के लिए जिला प्रशासन को अधिक प्रयास करने की जरूरत है. बड़े जिओ ट्यूब और बड़े पत्थरों का सहारा लेना चाहिए, जिससे समय रहते ही राप्ती नदी के कटान को रोकने के लिए मजबूत व्यवस्था बनाया जा सके. बांस की बल्लियां और सीमेंट के बोरों के सहारे तो नदी का कटान नहीं रुकेगा.

बाढ़ खण्ड अधिकारी प्रीतम लाल ने बताया कि कटान की तीव्रता पिछले एक हफ्ते से बहुत अधिक है, नदी ने तकरीबन खुद को 500 मीटर से ज्यादा मोड़ लिया है. लोगों के खेत और जमीन के साथ-साथ इस गांव को जोड़ने वाली मुख्य सड़क भी कट गई है. बंबू और ट्री क्रेट लगाकर ग्रामीणों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है. जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश का कहना है कि बाढ़ पीड़ितों को बचाने के लिए लेखपालों व अन्य अधिकारियों को निर्देशित किया गया है.

पलायन करने को मजबूर ग्रामीण.
पलायन करने को मजबूर ग्रामीण.

अधिकारी रोजाना तौर पर मॉनिटर कर प्रभावित लोगों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं. कटान की समस्या से निपटने के लिए लगातार नायब तहसीलदार, तहसीलदार, उपजिलाधिकारी फील्ड में मौका मुआयना कर रहे हैं. इनके रिपोर्ट के बाद बाढ़ खण्ड के अधिकारियों को स्थिति को काबू में लाने के लिए लगाया जा रहा है. इसके अतिरिक्त जहां से भी कटान की सूचना आ रही है, वहां के लोगों के लिए राहत कार्य को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है.

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