बलरामपुर: कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर देशभर में लॉकडाउन जारी है. लॉकडाउन के दौरान कई मजदूर अन्य प्रदेशों में फंसे हुए हैं, जिन्हें वापस लाने का प्रयास सरकार कर रही है. वहीं बलरामपुर का रहने वाला राजेंद्र फरीदाबाद में मजदूरी का काम करता था. वह लॉकडाउन के कारण परिवार के साथ वहीं फंसा हुआ था.
पैसे खत्म होने के कारण राजेंद्र के सामने खाने का संकट खड़ा हो गया. लिहाजा उसने घर वापस लौटने का फैसला किया. वह अपने एक साल के मासूम और पत्नी के साथ साइकिल से 750 किमी का सफर तय करते हुए बलरामपुर पहुंचा, जहां से उसे क्वारंटाइन सेंटर भेज दिया गया.
15 हजार रुपये लिए थे उधार
बलरामपुर में गौरा थाना क्षेत्र के धर्मपुर गांव का निवासी राजेन्द्र पांच साल से हरियाणा के ओल्ड फरीदाबाद में रहकर बेलदारी का काम करता था. राजेन्द्र वहां किराये के मकान में पत्नी पूनम और एक साल के मासूम के साथ रहता है. 22 मार्च को जब लाॅकडाउन-1 की घोषणा हुई. उसके बाद कारोबार ठप होने से राजेन्द्र बेरोजगार हो गया. राजेन्द्र के पास रुपये नहीं थे. लिहाजा उसने ठेकेदार से 15 हजार रुपये उधार लिए, जो लाॅकडाउन-2 की घोषणा होने के बाद खत्म हो गए.
ठेकेदार ने पैसे देने से मना किया
मकान मालिक भी पूरा किराया लेने के लिए अड़ा हुआ था और ठेकेदार ने भी दिहाड़ी मजदूरों को और पैसे देने से मना कर दिया. इसलिए राजेंद्र ने घर जाने का फैसला किया. उसने यात्रा के लिए साधन होने के कारण साइकिल का सहारा लिया. राजेन्द्र बच्चे को और पत्नी को बैठाकर पांच दिनों के लम्बे सफर के बाद बलरामपुर पहुंचा.
बलरामपुर-गोंडा बॉर्डर पर पहुंचते ही राजेन्द्र को रोक लिया गया और उसे वहां से क्वारंटाइन सेंटर भेज दिया गया. अब राजेन्द्र अपनी पत्नी और बच्चे के साथ 7 दिन से वहां रह रहा है. उसे उम्मीद है कि 14 दिनों का क्वारंटाइन पूरा होने के बाद वो अपने घर जा सकेगा.
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