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बलरामपुर: एक ही जैसे फैलते हैं टीबी और कोरोना, बरतें ये सावधानियां

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में डॉक्टरों को टीबी की जांच कराने वाले मरीजों की कोरोना वायरस की जांच करने के भी निर्देश दिए गए हैं. ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि दोनों के फैलने का तरीका और लक्षण लगभग समान है.

टीबी और कोरोना
टीबी और कोरोना
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Published : May 10, 2020, 10:21 AM IST

बलरामपुर: एक तरफ पूरी दुनिया कोरोना वायरस से लड़ रही है. वहीं क्षय रोग जैसी बीमारियों ने पहले ही देश में पांव पसार रखा है. इसे खत्म करने के लिए सरकार एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. इस दौरान स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने एक एडवाइजरी जारी करके यह कहा है कि यदि आवश्यकता पड़ती है तो क्षय रोग की जांच कराने वाले मरीजों की कोरोना जांच भी करवाई जाए, क्योंकि दोनों के सिम्टम्स एक जैसे होते हैं और इनके फैलने का तरीका भी एक जैसा होता है.

कोरोना वायरस और क्षय रोग के संक्रमण का तरीका और लक्षण लगभग एक जैसे हैं, इसलिए इनके संक्रमण की जद में आने से बचने के लिए मरीजों के साथ-साथ स्वास्थ्यकर्मियों को भी विशेष सावधानी बरतने की जरूरत बताई जा रही है. इसी को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्यकर्मियों को ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जा रहा है. कोई टीबी की जांच के लिए आता है तो वह किस तरह के सावधानी बरतते हुए खुद को सुरक्षित रख सकते हैं.

दोनों मरीजों की जांच के लिए पीपीई किट अनिवार्य
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. सजीवन लाल ने बताया कि कोरोना जहां एक वायरस यानी विषाणु है, वहीं टीबी एक बैक्टीरिया यानी जीवाणु है. दोनों ही सूक्ष्म और अदृश्य हैं. इनके संक्रमण के लक्षण भी पहली नजर में एक जैसा ही है. इसलिए इस तरह के लक्षण वाले मरीजों के सामने आने पर उनकी बारीकी से जांच की आवश्यकता बताई जाती है.

उन्होंने बताया कि अगर किसी में समान लक्षण के चलते निर्णय करने में दिक्कत आ रही है, तो उचित चिकित्सीय परामर्श के साथ ऐसे मरीजों की टीवी और कोरोना वायरस दोनों की जांच करवाई जा सकती है. इसके अलावा ऐसे मरीजों का सैंपल लेते वक्त मास्क, ग्लब्स और पर्सनल प्रोटक्शन इक्विपमेंट यानि पीपीई किट के इस्तेमाल को अनिवार्य बताया गया है.

डॉक्टरों को दी जा रही है ऑनलाइन ट्रेनिंग
टीबी के जिला कार्यक्रम समन्वयक अविनाश विक्रम सिंह कहते हैं कि कोरोना और टीबी दोनों मामलों में संक्रमित व्यक्ति के खासने या छींकने से निकलने वाली बूंदें ही लोगों को संक्रमित करने का मुख्य कारण बताई जाती हैं. इसीलिए दोनों में साफ-सफाई उचित दूरी बनाने की सलाह दी जाती है.

उन्होंने बताया कि टीबी क्लीनिक और अन्य जगहों पर काम करने वाले क्षय रोग से जुड़े कर्मचारियों को ऑनलाइन माध्यम से विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है, जिससे वह खुद को सुरक्षित रखते हुए मरीजों की जांच कर सकें और उन्हें दवाइयां उपलब्ध करवा सकें.

कोरोना की भी करा सकते हैं जांच
इसके अलावा अगर स्वास्थ्यकर्मियों को लगता है कि मरीज में टीबी से अधिक कोरोना के लक्षण नजर आ रहे हैं तो वह चिकित्सीय परामर्श लेकर कोरोना जांच भी करवा सकता है. इतना ही नहीं टीवी की जांच में इस्तेमाल होने वाली सीबीनॉट मशीन कोरोना की जांच भी कर सकती है और प्रदेश में कई जगह पर करवाई जा रही है.

इसे भी पढ़ें- COVID-19: UP में कोरोना के 155 नए मामले आए सामने, आंकड़ा पहुंचा 3,214

बलरामपुर: एक तरफ पूरी दुनिया कोरोना वायरस से लड़ रही है. वहीं क्षय रोग जैसी बीमारियों ने पहले ही देश में पांव पसार रखा है. इसे खत्म करने के लिए सरकार एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. इस दौरान स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने एक एडवाइजरी जारी करके यह कहा है कि यदि आवश्यकता पड़ती है तो क्षय रोग की जांच कराने वाले मरीजों की कोरोना जांच भी करवाई जाए, क्योंकि दोनों के सिम्टम्स एक जैसे होते हैं और इनके फैलने का तरीका भी एक जैसा होता है.

कोरोना वायरस और क्षय रोग के संक्रमण का तरीका और लक्षण लगभग एक जैसे हैं, इसलिए इनके संक्रमण की जद में आने से बचने के लिए मरीजों के साथ-साथ स्वास्थ्यकर्मियों को भी विशेष सावधानी बरतने की जरूरत बताई जा रही है. इसी को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्यकर्मियों को ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जा रहा है. कोई टीबी की जांच के लिए आता है तो वह किस तरह के सावधानी बरतते हुए खुद को सुरक्षित रख सकते हैं.

दोनों मरीजों की जांच के लिए पीपीई किट अनिवार्य
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. सजीवन लाल ने बताया कि कोरोना जहां एक वायरस यानी विषाणु है, वहीं टीबी एक बैक्टीरिया यानी जीवाणु है. दोनों ही सूक्ष्म और अदृश्य हैं. इनके संक्रमण के लक्षण भी पहली नजर में एक जैसा ही है. इसलिए इस तरह के लक्षण वाले मरीजों के सामने आने पर उनकी बारीकी से जांच की आवश्यकता बताई जाती है.

उन्होंने बताया कि अगर किसी में समान लक्षण के चलते निर्णय करने में दिक्कत आ रही है, तो उचित चिकित्सीय परामर्श के साथ ऐसे मरीजों की टीवी और कोरोना वायरस दोनों की जांच करवाई जा सकती है. इसके अलावा ऐसे मरीजों का सैंपल लेते वक्त मास्क, ग्लब्स और पर्सनल प्रोटक्शन इक्विपमेंट यानि पीपीई किट के इस्तेमाल को अनिवार्य बताया गया है.

डॉक्टरों को दी जा रही है ऑनलाइन ट्रेनिंग
टीबी के जिला कार्यक्रम समन्वयक अविनाश विक्रम सिंह कहते हैं कि कोरोना और टीबी दोनों मामलों में संक्रमित व्यक्ति के खासने या छींकने से निकलने वाली बूंदें ही लोगों को संक्रमित करने का मुख्य कारण बताई जाती हैं. इसीलिए दोनों में साफ-सफाई उचित दूरी बनाने की सलाह दी जाती है.

उन्होंने बताया कि टीबी क्लीनिक और अन्य जगहों पर काम करने वाले क्षय रोग से जुड़े कर्मचारियों को ऑनलाइन माध्यम से विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है, जिससे वह खुद को सुरक्षित रखते हुए मरीजों की जांच कर सकें और उन्हें दवाइयां उपलब्ध करवा सकें.

कोरोना की भी करा सकते हैं जांच
इसके अलावा अगर स्वास्थ्यकर्मियों को लगता है कि मरीज में टीबी से अधिक कोरोना के लक्षण नजर आ रहे हैं तो वह चिकित्सीय परामर्श लेकर कोरोना जांच भी करवा सकता है. इतना ही नहीं टीवी की जांच में इस्तेमाल होने वाली सीबीनॉट मशीन कोरोना की जांच भी कर सकती है और प्रदेश में कई जगह पर करवाई जा रही है.

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