बलरामपुर: यूं तो लोग कहते हैं कि खेती किसानी अब मुनाफे का सौदा नहीं रहा. कोई लागत का हवाला देता है, तो कोई फसल की गिरती कीमतों का. वही बलरामपुर जिले के तकरीबन 35 वर्षीय किसान अदील अहमद उन किसानों के सामने एक ऐसा उदाहरण पेश कर रहे है, जिन्हें इस काम में असफलता मिलती नजर नहीं आती.
जानिए कैसे करते है अदील अहमद केले की किसानी
- जिले सादुल्लाहनगर थाना के ग्रामसभा इटाई अब्दुल्लाह चपरतलवा के रहने वाले अदील अहमद केले की किसानी करते है.
- अदील अहमद ने दसवीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी.
- अदील ने अपने किसान पिता रियाज अहमद की मदद करना शुरू कर दिया था.
- पिता पहले बेहद छोटे पैमाने पर केले की खेती किया करते थे.
- खेती-किसानी का जुनून अदिल पर ऐसा चढ़ा की वह बाराबंकी के पद्मश्री से सम्मानित किसान रामशरण वर्मा के घर चले गए.
- कुछ दिन रामशरण वर्मा को पास रहकर किसानी सीखी.
- वापस इटई लौटने पर अब्दुल्लाह ने खेतों को लीज पर लेकर काम शुरू किया.
- आज तकरीबन 250 बीघे से ज़्यादा में अदिल खेती करते है.
- खेती की कमाई से लाखों की मशीनें खरीदी है.
अदिल अहमद बताते है की उचाट वाली जमीन हो या दोयम बलुई मिट्टी हो, खेत को बराबर कर लिया जाए और मिट्टी की जांच करवा ली जाए और उसके हिसाब से पोषक तत्व को डाल दिया जाए, तो केले की खेती की जा सकती है. समय-समय पर देख रहे और नमी को बनाए रखना, केले की खेती की यूएसपी है. केले की फसल 12 से 14 महीने में तैयार हो जाती है और इसके बाद गेहूं की फसल लगाकर मुनाफा और बढ़ाया जा सकता है.
हमारे तैयार केले दिल्ली, चंडीगढ़, महाराष्ट्र के व्यापारी खरीदकर ले जाते है. फेसबुक और व्हाट्सएप जैसे माध्यमों ने हमारे फसलों को बिकने का आसान जरिया दिया है. हम यहां पर फोटो इत्यादि डालकर खरीददार से बात कर लेते हैं और माल लदवाकर भेज दिया करते है. जो भी किसान केले की खेती शुरू करना चाहते है, वह कर सकते है. उन्हें इसमें इतना बढ़िया पैसा मिलेगा कि नौकरी फेल हो जाएगी. इससे बढियां कोई भी खेती नही है.
अदील अहमद, किसान