बलरामपुर: कोरोना वायरस महामारी से लड़ने और इसे समझने के लिए तमाम संस्थान लगातार शोध कर रहे हैं. धूम्रपान से जुड़े कई शोध हुए हैं, जिसका प्रभाव तमाम देशों में संक्रमण के दौरान देखने को भी मिला है. इन शोधों में मुख्य तौर पर कहा गया है कि कोरोना महामारी के संक्रमण की चपेट में आने से बचना है तो धूम्रपान से तौबा करने में ही भलाई है.
थूकने पर होगी कार्रवाई
सिगरेट संक्रमित हो सकते हैं और उंगलियों और होंठों के संपर्क में आकर वह आसानी से संक्रमण फैला सकते हैं. हालांकि सरकार ने सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पादों की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा रखा है. फिर भी लोग चोरी-चुपके इनका इस्तेमाल कर रहे हैं इन उत्पादों का सेवन कर इधर-उधर थूकने के कारण भी संक्रमण का खतरा ज्यादा हो सकता है, इसलिए प्रदेश सरकार ने खुले में थूकने पर भी रोक लगा रखी है. नियम का उल्लंघन करने पर दण्ड का प्रावधान भी किया गया है.
धूम्रपान करने वालों को खतरा ज्यादा
तम्बाकू से जुड़े उत्पादों और उनके सेवन पर बात करते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. घनश्याम सिंह ने बताया कि धूम्रपान से व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है. इस कारण कोरोना जैसे वायरस सबसे पहले ऐसे लोगों को ही अपनी चपेट में लेते हैं. उन्होंने कहा कि इसके अलावा बीमारी की चपेट में आने पर ऐसे लोगों के इलाज पर भी नकारात्मक असर पड़ता है. धूम्रपान न करने वालों की तुलना में धूम्रपान करने वालों को कोरोना महामारी के संक्रमण का खतरा कई गुना ज़्यादा रहता है.
फेफड़ों को पहुंचाता है नुकसान
सीएमओ डॉ सिंह ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन भी बाकायदा दिशा-निर्देश जारी कर धूम्रपान से कोरोना की जद में आने के खतरे के बारे में सचेत कर चुका है. एसीएमओ और नोडल अधिकारी डॉ. एके सिंघल का कहना है कि कोरोना वायरस का संक्रमण छींकने, खांसने और थूकने से निकलने वाली बूंदों के जरिए एक-दूसरे को संक्रमित करता है. धूम्रपान से श्वसन प्रणाली, सांस की नली और फेफड़ों को भारी नुकसान पहुँचता है. यही कारण है कि फेफड़ों की कोशिकाएं कमजोर हो जाती हैं.