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हर्षवर्धन व्हीलचेयर पर दुबई में फहराएंगे तिरंगा !

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में दिव्यांग हर्षवर्धन मणि दीक्षित ने व्हीलचेयर पर तिरंगा फहराकर अपने देश के सम्मान को बढ़ाने की ठान ली है. दरअसल हर्षवर्धन पहले भी राज्य स्तर पर कई पदक जीत चुके हैं.

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दिव्यांग हर्षवर्धन मणि दीक्षित ने व्हीलचेयर पर दुबई में तिरंगा फैलाने की तैयारी में.
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Published : Dec 8, 2019, 4:52 PM IST

बलरामपुर: हर रोज गिरकर भी मुकम्मल खड़े हैं, ऐ जिंदगी देख मेरे हौसले तुझसे बड़े हैं. ये शेर उन सभी लोगों पर बिलकुल माकूल बैठता है, जो लोग जिंदगी में आने वाली मुश्किलों से हार नहीं मानते फिर वो चाहे कितनी भी बड़ी या कितनी भी छोटी परेशानी क्यों न हो. जो लोग हालातों के साथ समझौता नहीं करते, वहीं जिंदगी में मुकाम हासिल कर पाते हैं.

दिव्यांग हर्षवर्धन व्हीलचेयर पर दुबई में तिरंगा फैलाने की तैयारी में.

एक बेहतरीन पैराएथलीट
बलरामपुर जिले के सिविल लाइंस इलाके में रहने वाले हर्षवर्धन मणि दीक्षित कामयाबी के एक जीते जागते उदाहरण हैं. 20 साल के हर्षवर्धन न केवल एक बेहतरीन पैराएथलीट हैं, बल्कि उन्होंने पैरागेम्स में खुद को इतना काबिल बनाया है कि उत्तर प्रदेश के लिए एक दर्जन पदक भी जीत चुके हैं.

10 साल पहले लगी थी चोट
दिव्यांग हर्षवर्धन मणि दीक्षित एक बार फिर लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश में है. व्हील चेयर पर बैठकर पैरा एथलीट के तौर पर यूपी को कई मेडल दिलाने वाले हर्षवर्धन अब देश को मेडल दिलाने के लिए दुबई और पुर्तगाल जाने की तैयारी में हैं. तकरीबन 10 साल पहले जिम्नास्टिक की प्रैक्टिस करते हुए हर्षवर्धन तकरीबन 4 फुट की ऊंचाई से गर्दन की तरफ से गिर पड़े थे, जिसमें उनके गर्दन की नसें टूट गई थी. इसके बाद उन्हें स्पाइनल कॉर्ड इंजरी हो गई.

नहीं टूटी हौसले की कड़ी
इस बीमारी ने हर्षवर्धन के पूरे शरीर को डिसेबल कर दिया, लेकिन उनका दिल और दिमाग कतई डिसेबल नहीं हुआ. उनके परिवार की मेहनत और दिल्ली के एक रिहैबिलिटेशन सेंटर में 4 साल चले इलाज के बाद उनको न केवल एक नई जिंदगी मिली बल्कि उन्होंने स्पोर्ट्स के शौक को अपना लक्ष्य बना लिया. आज वह न केवल व्हील चेयर पर ही मैराथन दौड़ते हैं बल्कि डिस्कस थ्रो और क्लब थ्रो की प्रैक्टिस करते हुए अपने ही बनाए रिकॉर्ड को तोड़ने में लगे हुए हैं.

व्हीलचेयर मैराथन में जीता पहला पदक
ईटीवी भारत से बातचीत में 20 वर्षीय हर्षवर्धन दीक्षित ने कहा कि पहली बार मैंने मेडल जालंधर में आयोजित 5 किलोमीटर व्हीलचेयर मैराथन में जीती था. मैंने उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हुए राज्य को रजत पदक दिलाया था. इससे पहले चतुर्थ उत्तर प्रदेश पैरा एथलीट चैंपियंस में भी डिस्कस थ्रो में मैंने दूसरा स्थान हासिल किया था. अब तक मुझे कुल 11 पदक हासिल हो चुके हैं और कई जगहों पर सम्मान मिल चुका है.

देश का मान बढ़ाने का जूनून
अपनी आगे की योजना के बारे में बात करते हुए पैरा एथलीट हर्षवर्धन बताते हैं कि मेरा चयन ओलंपिक में वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स के लिए हुआ है, जिसके लिए मैं दिन-रात अभ्यास करने में जुटा हुआ हूं. मेरा लक्ष्य है कि इस बार दुबई और पुर्तगाल में होने वाले पैरालंपिक्स गेम्स में अपने देश के लिए न केवल पदक जीतूं बल्कि अपने व्हीलचेयर से तिरंगा फहराकर अपने देश के सम्मान को बढ़ा सकूं.

युवाओं को नहीं माननी चाहिए हार
युवाओं के लिए संदेश देते हुए पैरा एथलीट हर्षवर्धन कहते हैं कि आज के युवाओं की सबसे बड़ी कमजोरी जल्दी हार मान लेना है, लेकिन अगर कोशिश की जाए तो हम किसी भी लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं. मुश्किलें सबके साथ आती है, लेकिन जो मुश्किलों के सामने खड़ा रहता है, वह एक दिन सूरज की तरह चमकता है.

बलरामपुर: हर रोज गिरकर भी मुकम्मल खड़े हैं, ऐ जिंदगी देख मेरे हौसले तुझसे बड़े हैं. ये शेर उन सभी लोगों पर बिलकुल माकूल बैठता है, जो लोग जिंदगी में आने वाली मुश्किलों से हार नहीं मानते फिर वो चाहे कितनी भी बड़ी या कितनी भी छोटी परेशानी क्यों न हो. जो लोग हालातों के साथ समझौता नहीं करते, वहीं जिंदगी में मुकाम हासिल कर पाते हैं.

दिव्यांग हर्षवर्धन व्हीलचेयर पर दुबई में तिरंगा फैलाने की तैयारी में.

एक बेहतरीन पैराएथलीट
बलरामपुर जिले के सिविल लाइंस इलाके में रहने वाले हर्षवर्धन मणि दीक्षित कामयाबी के एक जीते जागते उदाहरण हैं. 20 साल के हर्षवर्धन न केवल एक बेहतरीन पैराएथलीट हैं, बल्कि उन्होंने पैरागेम्स में खुद को इतना काबिल बनाया है कि उत्तर प्रदेश के लिए एक दर्जन पदक भी जीत चुके हैं.

10 साल पहले लगी थी चोट
दिव्यांग हर्षवर्धन मणि दीक्षित एक बार फिर लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश में है. व्हील चेयर पर बैठकर पैरा एथलीट के तौर पर यूपी को कई मेडल दिलाने वाले हर्षवर्धन अब देश को मेडल दिलाने के लिए दुबई और पुर्तगाल जाने की तैयारी में हैं. तकरीबन 10 साल पहले जिम्नास्टिक की प्रैक्टिस करते हुए हर्षवर्धन तकरीबन 4 फुट की ऊंचाई से गर्दन की तरफ से गिर पड़े थे, जिसमें उनके गर्दन की नसें टूट गई थी. इसके बाद उन्हें स्पाइनल कॉर्ड इंजरी हो गई.

नहीं टूटी हौसले की कड़ी
इस बीमारी ने हर्षवर्धन के पूरे शरीर को डिसेबल कर दिया, लेकिन उनका दिल और दिमाग कतई डिसेबल नहीं हुआ. उनके परिवार की मेहनत और दिल्ली के एक रिहैबिलिटेशन सेंटर में 4 साल चले इलाज के बाद उनको न केवल एक नई जिंदगी मिली बल्कि उन्होंने स्पोर्ट्स के शौक को अपना लक्ष्य बना लिया. आज वह न केवल व्हील चेयर पर ही मैराथन दौड़ते हैं बल्कि डिस्कस थ्रो और क्लब थ्रो की प्रैक्टिस करते हुए अपने ही बनाए रिकॉर्ड को तोड़ने में लगे हुए हैं.

व्हीलचेयर मैराथन में जीता पहला पदक
ईटीवी भारत से बातचीत में 20 वर्षीय हर्षवर्धन दीक्षित ने कहा कि पहली बार मैंने मेडल जालंधर में आयोजित 5 किलोमीटर व्हीलचेयर मैराथन में जीती था. मैंने उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हुए राज्य को रजत पदक दिलाया था. इससे पहले चतुर्थ उत्तर प्रदेश पैरा एथलीट चैंपियंस में भी डिस्कस थ्रो में मैंने दूसरा स्थान हासिल किया था. अब तक मुझे कुल 11 पदक हासिल हो चुके हैं और कई जगहों पर सम्मान मिल चुका है.

देश का मान बढ़ाने का जूनून
अपनी आगे की योजना के बारे में बात करते हुए पैरा एथलीट हर्षवर्धन बताते हैं कि मेरा चयन ओलंपिक में वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स के लिए हुआ है, जिसके लिए मैं दिन-रात अभ्यास करने में जुटा हुआ हूं. मेरा लक्ष्य है कि इस बार दुबई और पुर्तगाल में होने वाले पैरालंपिक्स गेम्स में अपने देश के लिए न केवल पदक जीतूं बल्कि अपने व्हीलचेयर से तिरंगा फहराकर अपने देश के सम्मान को बढ़ा सकूं.

युवाओं को नहीं माननी चाहिए हार
युवाओं के लिए संदेश देते हुए पैरा एथलीट हर्षवर्धन कहते हैं कि आज के युवाओं की सबसे बड़ी कमजोरी जल्दी हार मान लेना है, लेकिन अगर कोशिश की जाए तो हम किसी भी लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं. मुश्किलें सबके साथ आती है, लेकिन जो मुश्किलों के सामने खड़ा रहता है, वह एक दिन सूरज की तरह चमकता है.

Intro:(वीडियो और इंटरव्यू साथ में पैकेज के लिए भेजा जा रहा है। डेस्क के साथियों से अनुरोध है कि बेहतरीन पैकेजिंग करें। जिससे खबर को प्रभावशाली ढंग से प्रसारित किया जा सके। योगेंद्र त्रिपाठी, 09839325432)

हर रोज गिरकर भी मुकम्मल खड़े हैं। / ऐ जिंदगी देख मेरे हौसले तुझसे बड़े हैं।। ये शेर उन सभी लोगों पर बिलकुल माकूल बैठता है, जो लोग जिंदगी में आने वाली मुश्किलों से हार नहीं मानते। वो चाहे कितनी भी बड़ी या कितनी भी छोटी परेशानी क्यों ना हो। जो लोग हालातों के साथ समझौता नहीं करतेम वही जिंदगी में मुकाम हासिल कर पाते हैं।
बलरामपुर जिले के सिविल लाइंस इलाके में रहने वाले हर्षवर्धन मणि दीक्षित इसका एक जीता जागता उदाहरण हैं। 20 साल के हर्षवर्धन न केवल एक बेहतरीन पैराएथलीट हैं। बल्कि उन्होंने पैरा गेम्स में ख़ुद को इतना काबिल बनाया है कि उत्तर प्रदेश के लिए एक दर्जन पदक जीत चुके हैं।


Body:दिव्यांग हर्षवर्धन मणि दीक्षित एक बार फिर लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश में है। व्हील चेयर पर बैठकर पैरा एथलीट के तौर पर यूपी को कई मेडल दिलाने वाले हर्षवर्धन अब देश को मेडल दिलाने के लिए दुबई व पुर्तगाल जाने की तैयारी में हैं।
तकरीबन 10 साल पहले जिमनास्टिक की प्रैक्टिस करते हुए हर्षवर्धन तकरीबन 4 फुट की ऊंचाई से गर्दन की तरफ से गिर पड़े थे। उनके गर्दन की नसें टूट गई थी। जिसके बाद उन्हें स्पाइनल कॉर्ड इंजरी हो गयी। इस बीमारी ने हर्षवर्धन के पूरे शरीर को डिसएबल कर दिया। लेकिन उनका दिल और दिमाग कतई डिसएबल नहीं हुआ। उनके परिवार की मेहनत और दिल्ली के एक रिहैबिलिटेशन सेंटर में 4 साल चले इलाज के बाद उन्हें ने केवल एक नई जिंदगी मिली। बल्कि उन्होंने स्पोर्ट्स के शौक को अपना लक्ष्य बना लिया। आज वह न केवल व्हील चेयर पर ही मैराथन दौड़ते हैं। बल्कि डिस्कस थ्रो व क्लब थ्रो की प्रैक्टिस करते हुए अपने ही बनाए रिकॉर्ड को तोड़ने में लगे हुए हैं।
हमसे बात करते हुए 20 वर्षीय हर्षवर्धन दीक्षित ने कहा कि पहली बार मैंने मेडल जालंधर में आयोजित 5 किलोमीटर व्हीलचेयर मैराथन में जीती था। मैंने उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हुए राज्य को रजत पदक दिलाया था। इससे पहले चतुर्थ उत्तर प्रदेश पैरा एथलीट चैंपियंस में भी डिस्कस थ्रो में मैंने दूसरा स्थान हासिल किया था। अब तक मुझे कुल 11 पदक हासिल हो चुके हैं। और कई जगहों पर सम्मान मिल चुका है।
अपनी आगे की योजना के बारे में बात करते हुए पैरा एथलीट हर्षवर्धन बताते हैं कि मेरा चयन ओलंपिक में वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स के लिए हुआ है। जिसके लिए मैं दिन-रात अभ्यास करने में जुटा हुआ हूँ। मेरा लक्ष्य है कि इस बार दुबई व पुर्तगाल में होने वाले पैरालंपिक्स गेम्स में, मैं अपने देश के लिए न केवल पदक जीतूं। बल्कि अपने व्हीलचेयर से तिरंगा फहराकर अपने देश के सम्मान को बढ़ा सकूं।


Conclusion:युवाओं के लिए संदेश देते हुए पैरा एथलीट हर्षवर्धन कहते हैं कि आज के युवाओं की सबसे बड़ी कमजोरी जल्दी हार मान लेना है। लेकिन यदि कोशिश करते रह जाए तो हम किसी भी लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं। मुश्किलें सबके साथ आती है लेकिन जो मुश्किलों के सामने खड़ा रहता है। वह एक दिन सूरज की तरह चमकता है।
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