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बलरामपुर: प्रदेश बार संघ के पूर्व अध्यक्ष हरिशंकर सिंह ने अधिवक्ताओं को दिया समर्थन - बलरामपुर ताजा खबर

यूपी के बलरामपुर में 6 करोड़ रुपये की लागत से नवीन न्यायालय भवन बनाया गया था. इसमें अधिवक्ताओं के बैठने के लिए चैम्बर न बनाए जाने से वकीलों में रोष है. आक्रोशित अधिवक्ताओं का आंदोलन पिछले 11 दिनों से लगातार जारी जारी है. वहीं गुरुवार को यूपी बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष हरिशंकर सिंह ने भी आंदोलन को अपना समर्थन दिया.

प्रदेश बार संघ के पूर्व अध्यक्ष हरिशंकर सिंह ने अधिवक्ताओं को दिया समर्थन
प्रदेश बार संघ के पूर्व अध्यक्ष हरिशंकर सिंह ने अधिवक्ताओं को दिया समर्थन
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Published : Oct 22, 2020, 4:30 PM IST

बलरामपुर: जिले में तकरीबन 6 करोड़ रुपये की लागत से बने नवीन न्यायालय भवन में अधिवक्ताओं के बैठने के लिए चैम्बर न बनाए जाने से वकीलों में रोष है. आक्रोशित अधिवक्ताओं का आंदोलन पिछले 11 वें दिनों से लगातार जारी जारी है. जिसे तमाम अधिवक्ता संघ का समर्थन भी मिल रहा है. इस दौरान न्यायिक अधिकारियों और अधिवक्ताओं के बीच हुई कई बार बातचीत का नतीजा पूरी तरह विफल रहा है.

पूर्व अध्यक्ष का मिला समर्थन
अधिवक्ताओं के अनिश्चित कालीन आंदोलन का समर्थन करते हुए गुरुवार को यूपी बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष हरिशंकर सिंह बलरामपुर पहुंचे. नवीन न्यायालय गेट पर चल रहे अधिवक्ताओं के आंदोलन को अपना समर्थन देते हुए मांगे न माने जाने पर आर-पार की लड़ाई लड़ने व अधिवक्ताओं को पूर्ण सहयोग का आश्वासन भी दिया.

न्यायिक अधिकारियों के साथ डीएम से भी की मुलाकात
पूर्व अध्यक्ष हरिशंकर सिंह ने अधिवक्ताओं के साथ नवीन न्यायालय भवन का भ्रमण कर न्यायिक अधिकारियों से मुलाकात की. न्यायिक अधिकारियों से हुई वार्ता विफल होने पर उन्होंने डीएम से भी मुलाकात कर समस्या के निराकरण की मांग की.

डीएम करेंगे शासन से पत्राचार
वकीलों ने डीएम को अपनी समस्याओं से अवगत कराते हुए नवीन न्यायालय भवन में ही बैठने की समुचित व्यवस्था के साथ-साथ अन्य समस्याओं से भी जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश को अवगत करवाया. डीएम ने वकीलों की समस्याओं के निराकरण के लिए शासन से पत्राचार करने की बात कही.

क्या बोले पूर्व अध्यक्ष हरिशंकर सिंह
पूर्व अध्यक्ष हरिशंकर सिंह ने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि नवीन न्यायालय में अधिवक्ताओं के बैठने की कोई जगह नहीं दी गई है. ऐसे ही स्थिति में अधिवक्ता काम नहीं कर सकता. ये बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. हम अपनी मांगों को लेकर अब आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे. फिर चाहे हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट ही जाना पड़े.

उन्होंने कहा कि बिना बार के बेंच की परिकल्पना भी नहीं की जा सकती, लेकिन यहां के न्यायाधीश पूरी तरह से तानाशाही के मूड में है. उन्होंने वकीलों को मुख्य गेट से एंट्रेंस तक नहीं दिया है. उन्होंने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक व्यवस्था वाला देश है. यहां पर सबकी बात सुनी जानी चाहिए. अगर न्याय विभाग अधिवक्ताओं की ही समस्या का निराकरण नहीं कर पा रहा है. आवाज दबाने की कोशिश कर रहा है, तो आम लोगों के साथ उसका रवैया क्या होगा.

बलरामपुर: जिले में तकरीबन 6 करोड़ रुपये की लागत से बने नवीन न्यायालय भवन में अधिवक्ताओं के बैठने के लिए चैम्बर न बनाए जाने से वकीलों में रोष है. आक्रोशित अधिवक्ताओं का आंदोलन पिछले 11 वें दिनों से लगातार जारी जारी है. जिसे तमाम अधिवक्ता संघ का समर्थन भी मिल रहा है. इस दौरान न्यायिक अधिकारियों और अधिवक्ताओं के बीच हुई कई बार बातचीत का नतीजा पूरी तरह विफल रहा है.

पूर्व अध्यक्ष का मिला समर्थन
अधिवक्ताओं के अनिश्चित कालीन आंदोलन का समर्थन करते हुए गुरुवार को यूपी बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष हरिशंकर सिंह बलरामपुर पहुंचे. नवीन न्यायालय गेट पर चल रहे अधिवक्ताओं के आंदोलन को अपना समर्थन देते हुए मांगे न माने जाने पर आर-पार की लड़ाई लड़ने व अधिवक्ताओं को पूर्ण सहयोग का आश्वासन भी दिया.

न्यायिक अधिकारियों के साथ डीएम से भी की मुलाकात
पूर्व अध्यक्ष हरिशंकर सिंह ने अधिवक्ताओं के साथ नवीन न्यायालय भवन का भ्रमण कर न्यायिक अधिकारियों से मुलाकात की. न्यायिक अधिकारियों से हुई वार्ता विफल होने पर उन्होंने डीएम से भी मुलाकात कर समस्या के निराकरण की मांग की.

डीएम करेंगे शासन से पत्राचार
वकीलों ने डीएम को अपनी समस्याओं से अवगत कराते हुए नवीन न्यायालय भवन में ही बैठने की समुचित व्यवस्था के साथ-साथ अन्य समस्याओं से भी जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश को अवगत करवाया. डीएम ने वकीलों की समस्याओं के निराकरण के लिए शासन से पत्राचार करने की बात कही.

क्या बोले पूर्व अध्यक्ष हरिशंकर सिंह
पूर्व अध्यक्ष हरिशंकर सिंह ने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि नवीन न्यायालय में अधिवक्ताओं के बैठने की कोई जगह नहीं दी गई है. ऐसे ही स्थिति में अधिवक्ता काम नहीं कर सकता. ये बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. हम अपनी मांगों को लेकर अब आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे. फिर चाहे हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट ही जाना पड़े.

उन्होंने कहा कि बिना बार के बेंच की परिकल्पना भी नहीं की जा सकती, लेकिन यहां के न्यायाधीश पूरी तरह से तानाशाही के मूड में है. उन्होंने वकीलों को मुख्य गेट से एंट्रेंस तक नहीं दिया है. उन्होंने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक व्यवस्था वाला देश है. यहां पर सबकी बात सुनी जानी चाहिए. अगर न्याय विभाग अधिवक्ताओं की ही समस्या का निराकरण नहीं कर पा रहा है. आवाज दबाने की कोशिश कर रहा है, तो आम लोगों के साथ उसका रवैया क्या होगा.

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