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खेतों में गाय, सड़कों पर किसान...योगी जी क्या ऐसे होगा इनकी समस्या का समाधान

यूपी के बलरामपुर में छुट्टा गोवंशों का कहर इस कदर है कि यहां किसानों को हर मौसम में 24 घंटे सड़कों के किनारे खेतों की रखवाली करनी पड़ती है. किसान पूरी रात बारी-बारी से अपने खेतों की चौकीदारी करते हैं. ईटीवी भारत ने किसानों की समस्या को देखने के लिए रात में तकरीबन 100 किलोमीटर का सफर तय करके, यह तस्दीक करने की कोशिश की कि कितनी संख्या में किसान, छुट्टा जानवरों से परेशान हैं और कितनी बड़े रकबे की फसलों को हर साल नुकसान हो रहा है ? पढ़िए ये रिपोर्ट...

सड़कों पर रहता है छुट्टा जानवरों का कब्जा
सड़कों पर रहता है छुट्टा जानवरों का कब्जा
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Published : Aug 5, 2021, 7:12 PM IST

बलरामपुर: सर्दी हो गर्मी हो या फिर बरसात यहां रहने वाले किसानों की एक बड़ी संख्या 24 घंटे खेतों की रखवाली करते हुए गुजरती है. पिछले तीन-चार सालों में छुट्टा जानवरों ने इस कदर कहर मचाया है कि खेती किसानी अब दूर की कौड़ी साबित हो रही है. तार लगवाने से लेकर तमाम चीजें करके देख ली गई, लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा है. पिछले साल गेहूं की खेती की थी, मुश्किल से तीन-चार बीघे ही काट सके था. इस बार गन्ना बोया है, तो उसके लिए रात भर जाग कर रखवाली करनी पड़ती है. फिर भी तीन चार बीघे पेड़ी छुट्टा गोवंशों द्वारा चरी जा चुकी है. पूरी रात बारी-बारी से अपने खेतों की रखवाली करने वाले किसान कहते हैं- तीन चार साल होई गवा साहेब, हम लोग बहुत परेशान हन बहेलन के चक्कर मा. बाहर सब गेहूं खाय लिहिन और हिंया गन्ना रहा वहउ सब खाय लेत हाय. पिछले तीन चार साल से खेती किसानी कुछ नाहीं बचत है.

किसानों के सामने खाने के लाले

ईटीवी भारत ने किसानों की समस्या को देखने के लिए रात में तकरीबन 100 किलोमीटर का सफर तय करके, यह तस्दीक करने की कोशिश की कि कितनी संख्या में किसान, छुट्टा जानवरों से परेशान हैं और कितनी बड़े रकबे की फसलों को हर साल नुकसान हो रहा है? इस दौरान सड़कों पर आवारा जानवरों का नजारा देखा और कई किसानों से बात की. 15 बीघे में किसानी करने वाले पीपतराम रात के तकरीबन 3:30 बजे अपने साथियों के साथ खेत की रखवाली कर रहे थे. उन्होंने बताया कि उनके पास या तो खुद की जमीन है या वो किसी बड़े काश्तकार से एक साल की लीज (बटाई) पर लेकर खेती करते हैं. इन किसानों के पास औसतन 10 बीघे की जमीन है, यानी एक हेक्टेयर से भी कम. ये सीमांत किसान किसी तरह खेती करते हैं, लेकिन तमाम समस्याएं इनके किसानी को कहीं न कहीं प्रभावित करती हैं. उनके सामने अब खाने के लाले पड़ रहे हैं.

रात-रातभर खेतों की रखवाली कर रहे किसान

सड़कों पर भी रहता है छुट्टा जानवरों का कब्जा

इस रिपोर्ट को करने के दौरान हमें सड़कों पर तकरीबन 7000 से 8000 गोवंश तकरीबन 100 किलोमीटर के अंदर दिखाई दिए. जबकि हम केवल बलरामपुर, तुलसीपुर और हर्रैया सतघरवा विकास खंड में ही जा सके. पूरी उतरौला तहसील और पचपेड़वा, गैसड़ी, श्रीदत्तगंज विकासखंड में हमारा जाना नहीं हो सका. छुट्टा गोवंशों के कारण न केवल किसानों को बड़े पैमाने पर कृषि संबंधी परेशानियां हो रही हैं, बल्कि आम राहगीरों का चलना भी दूभर हो गया है. आए दिन दुर्घटनाएं, लोगों का घायल होना और मौत, अब आम बात हो चुकी है. छुट्टा जानवर भी लगातार गाड़ियों की टक्कर से घायल हो जाते और कई बार तो उनकी मौत भी हो जाती है. उनके शव कई-कई दिनों तक सड़कों पर पड़ी सड़ती रहती है, लेकिन कोई पूछने वाला नहीं है. अमूमन अगर पूरे जिले के आंकड़े को देखा जाए तो हर रोज 3-5 दुर्घटनाएं छुट्टा जानवरों के कारण हो रही हैं. रोजाना 5 से 10 गोवंश भी इन दुर्घटनाओं में या तो घायल हो रहे हैं या मारे जा रहे हैं. एक अनुमानित आंकड़े के अनुसार जिले की सभी सड़कों पर तकरीबन 30 हजार छुट्टा गोवंशों का कब्जा है, जो किसानों की फसल नष्ट कर रहे हैं और आम दिनों में होने वाली दुर्घटनाओं के कारक बन रहे हैं.

बीच सड़क पर बैठे गोवंश
बीच सड़क पर बैठे गोवंश

रात-रातभर खेतों की रखवाली कर रहे किसान

हम आगे बढ़े तो नेशनल हाईवे 730 पर बलुआ-बलुई चौराहे पर कुछ किसान अपने खेतों की रखवाली करते मिले. जब उनसे बात करने की कोशिश की गई तो अनायास ही उनकी आंखें नम होने लगी. तकरीबन 10 से ज्यादा किसान इस दौरान लाठी-डंडे और अन्य व्यवस्थाओं के साथ अपने खेतों के आसपास बारिश के मौसम में डटे हुए थे. कुछ किसान सो भी रहे थे, जब उनकी बारी आएगी आती तो उन्हें खेतों की रखवाली करनी थी. ईटीवी भारत ने किसानों से बात की तो उन्होंने बताया कि जब से योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी है, तब से छुट्टा जानवरों और उनके आतंक को लेकर तमाम तरह की दिक्कतें हो रही हैं. किसान बताते हैं कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा जिले में बनाए जा रहे गांव आश्रय स्थल या वृहद गो संरक्षण केंद्र न केवल इतनी बड़ी संख्या में लोगों द्वारा छोड़े गए छुट्टा गोवंशों के लिए अपर्याप्त हैं, बल्कि किसानों के लिए परेशानी का सबब भी हैं. अगर वास्तव में सरकार इस दिशा में कुछ करना चाहती है तो उसे बड़े पैमाने पर गांव-गांव में गोशालाओं का निर्माण करवाना होगा. जिसकी क्षमता भी ठीक-ठाक हो, क्योंकि हर गांव में बड़ी संख्या में छुट्टा जानवर घूम रहे हैं.

सड़कों पर टहलते मवेशी
सड़कों पर टहलते मवेशी

सरकारी दावे जमीन पर फेल

2011 की जनगणना के अनुसार तकरीबन 20 लाख की आबादी वाले बलरामपुर जिले में 2,95,032 किसान है. इन किसानों के द्वारा हर साल 2,12,546 हेक्टेयर के रकबे पर खेती-किसानी की जाती है. जिले के प्रमुख फसल गन्ना, धान, गेहूं, सरसों व मसूर हैं. इसके अलावा छोटे-छोटे किसानों द्वारा अन्य फसलों की खेती कम रकबों में खेती की जाती है. यह सारे किसान अपनी खेती को बचाने के लिए दिन रात मेहनत करते हैं. खेती किसानी के अलावा इन किसानों के हिस्से में छुट्टा जानवरों से अपनी फसलों को बचाने का एक अतिरिक्त काम भी पिछले 3-4 वर्षों में जुड़ गया है. ईटीवी भारत ने किसानों से गोशालाओं की हकीकत जाननी चाही तो लोगों ने बताया कि हर गांव में कम से कम 200-300 छुट्टा जानवर हैं. सरकार द्वारा जिन गोशालाओं की व्यवस्था का दावा किया जाता है, वह जमीन पर पूरी तरह से फेल हैं. आप अगर गोशालाओं में जाएं और देखें तो पता चलेगा कि वहां गोवंश ही नहीं हैं, क्योंकि वह तो सड़कों पर हैं. लेकिन सब कुछ सही दिखाने का नाटक किया जा रहा है. किसान बताते हैं कि हमें अपनी फसलों को बचाने के लिए दिन और रात में बारी-बारी से अपने खेतों की रखवाली करनी पड़ती है. अगर हम थोड़ी भी देर के लिए खेतों से दूर हो जाएं तो एक झुंड आता है और वह फसलों को सफाचट कर जाता है. खेती किसानी अब फायदे का सौदा नहीं रहा. अगर बच्चे बाहर काम करने न जाएं तो हो सकता है कि खाने पीने के लाले पड़ जाएं.

रखवाली करते किसान.
रखवाली करते किसान.

ये है गोशालाओं की संख्या

आंकड़ों के अनुसार बलरामपुर में कुल 67 वृहद लघु गौशाला हैं, जिनमें 2265 गोवंश पल रहे हैं. सहभागिता योजना के अंतर्गत 419 गोवंश को व्यक्तिगत तौर पर परिवारों द्वारा पाला जा रहा है, जिसमें सरकार उन्हें 30 रुपये प्रति गोवंश प्रतिदिन की सहायता उपलब्ध करवाती है. अगर जिले में गोवंश की संख्या पर गौर करें (जिन्हें टैग लगाया गया है) तो उनकी संख्या 1,30,155 है. गोशालाओं में रहने वाले गोवंशों के पालन पोषण के लिए वृहद गोशालाओं में जहां 5 से 6 लोग रहते हैं. वहीं 50 गायों की क्षमता वाले गोशालाओं में एक या दो लोग रहते हैं. 15 वे वित्त योजना द्वारा इन्हें वेतनमान प्रदान किया जाता है, जबकि गौशालाओं में रहने वाली गायों के लिए भी उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा ₹30 प्रति गोवंश का खर्चा दिया जाता है, जिसके लिए पूरी तरह से पशुपालन विभाग, उपजिलाधिकारी, तहसीलदार व जिला अधिकारी जिम्मेदार होते हैं.

पशु चिकित्सा विभाग के पास नहीं है कोई आंकड़ा

किसानों और आम लोगों को छुट्टा गोवंशों से निजात दिलाने के लिए बलरामपुर के कोइलरा में 300 की क्षमता वाले एक वृहद गौशाला का निर्माण करवाया जा रहा है. जबकि तुलसीपुर के पास स्थित परसपुर करौंदा 300 की क्षमता के साथ संचालित है. सभी नगर निकायों द्वारा भी एक-एक वृहद गोशालाओं का निर्माण कराया जाना है, लेकिन तुलसीपुर को छोड़कर अन्य किसी वृहद गोशाला में अभी तक गोवंश के भरण-पोषण की व्यवस्था नहीं हो सकी है. पशु चिकित्सा विभाग से जब हमने यह जानने की कोशिश की कि आपके जिले में कितने गोवंश सड़कों या खेतों पर घूम रहे हैं तो उन्होंने कहा कि हमारे पास इसका कोई आंकड़ा नहीं है. हम टैग वाले गोवंशों को ही अपनी गोशालाओं में रखते हैं. हम लोग नियमतः काम करते हुए गोवंशों को संरक्षित कर रहे हैं.

बनाए जा रहे गो आश्रय स्थल

जब ईटीवी भारत ने छुट्टा गोवंशों को संरक्षित करने के बाबत सरकार द्वारा की जा रही व्यवस्थाओं की जानकारी लेने की कोशिश की तो मुख्य विकास अधिकारी रिया केजरीवाल ने बताया कि बारिश के मौसम के कारण तमाम जगहों पर जलभराव है, इसी वजह कई गोवंश सड़कों पर आकर बैठ गए हैं. इन्हें अगर आप ध्यान से देखेंगे तो कुछ के गले में गले में घण्टियां बंधी हुई हैं, यह ज्यादातर व्यक्तिगत लोगों की हैं. इन्हें दोपहर या शाम के समय चरने के लिए छोड़ दिया जाता हैं. क्योंकि गाय कीचड़ में बैठना पसंद नहीं करती हैं, इस वजह से वह सड़कों पर आकर बैठ जाती हैं, इस वजह से तमाम दिक्कतें होती हैं. उन्होंने बताया कि इस समस्या से निजात पाने के लिए शासन स्तर से प्रयास किया जा रहा है. प्रत्येक न्याय पंचायत स्तर पर एक गोशाला या गांव आश्रय स्थल का निर्माण करवाया जा रहा है. इसमें कई सारे गो आश्रय स्थल हमारे यहां संचालित भी हैं. इसमें तकरीबन 2800 गोवंश अभी पल भी रहे हैं. इसके अलावा तुलसीपुर ब्लॉक में एक वृहद गोशाला संचालित है. कुछ ही दिनों में बलरामपुर में भी एक वृहद गांव आश्रय स्थल संचालित हो जाएगा. हमारी कोशिश है कि अधिक से अधिक गायों को इनके आश्रय स्थलों पर ले जाकर संरक्षित किया जाए, जिससे किसानों के साथ-साथ आम लोगों को जो समस्याएं हो रहे हैं उससे निजात मिल सके.

दावे और हकीकत में बड़ा अंतर

सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अधिकारी और जिम्मेदार कुछ भी कहें लेकिन, जिले सहित प्रदेश के तमाम हिस्सों के किसानों की छुट्टा गोवंशों के कारण लगातार खेती किसानी चौपट हो रही है. बड़ी संख्या में हो रही दुर्घटनाओं के कारण गोवंशों सहित आम लोगों की मौत भी हो रही है. इनके कारण सड़कों पर हर रोज दुर्घटनाओं का होना आम हो गया है. फिर भी सरकार लोगों को इन समस्याओं से निजात दिलाने की असल कोशिश करने के बजाय आंकड़े बाजी का खेल खेल रही है.

बलरामपुर: सर्दी हो गर्मी हो या फिर बरसात यहां रहने वाले किसानों की एक बड़ी संख्या 24 घंटे खेतों की रखवाली करते हुए गुजरती है. पिछले तीन-चार सालों में छुट्टा जानवरों ने इस कदर कहर मचाया है कि खेती किसानी अब दूर की कौड़ी साबित हो रही है. तार लगवाने से लेकर तमाम चीजें करके देख ली गई, लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा है. पिछले साल गेहूं की खेती की थी, मुश्किल से तीन-चार बीघे ही काट सके था. इस बार गन्ना बोया है, तो उसके लिए रात भर जाग कर रखवाली करनी पड़ती है. फिर भी तीन चार बीघे पेड़ी छुट्टा गोवंशों द्वारा चरी जा चुकी है. पूरी रात बारी-बारी से अपने खेतों की रखवाली करने वाले किसान कहते हैं- तीन चार साल होई गवा साहेब, हम लोग बहुत परेशान हन बहेलन के चक्कर मा. बाहर सब गेहूं खाय लिहिन और हिंया गन्ना रहा वहउ सब खाय लेत हाय. पिछले तीन चार साल से खेती किसानी कुछ नाहीं बचत है.

किसानों के सामने खाने के लाले

ईटीवी भारत ने किसानों की समस्या को देखने के लिए रात में तकरीबन 100 किलोमीटर का सफर तय करके, यह तस्दीक करने की कोशिश की कि कितनी संख्या में किसान, छुट्टा जानवरों से परेशान हैं और कितनी बड़े रकबे की फसलों को हर साल नुकसान हो रहा है? इस दौरान सड़कों पर आवारा जानवरों का नजारा देखा और कई किसानों से बात की. 15 बीघे में किसानी करने वाले पीपतराम रात के तकरीबन 3:30 बजे अपने साथियों के साथ खेत की रखवाली कर रहे थे. उन्होंने बताया कि उनके पास या तो खुद की जमीन है या वो किसी बड़े काश्तकार से एक साल की लीज (बटाई) पर लेकर खेती करते हैं. इन किसानों के पास औसतन 10 बीघे की जमीन है, यानी एक हेक्टेयर से भी कम. ये सीमांत किसान किसी तरह खेती करते हैं, लेकिन तमाम समस्याएं इनके किसानी को कहीं न कहीं प्रभावित करती हैं. उनके सामने अब खाने के लाले पड़ रहे हैं.

रात-रातभर खेतों की रखवाली कर रहे किसान

सड़कों पर भी रहता है छुट्टा जानवरों का कब्जा

इस रिपोर्ट को करने के दौरान हमें सड़कों पर तकरीबन 7000 से 8000 गोवंश तकरीबन 100 किलोमीटर के अंदर दिखाई दिए. जबकि हम केवल बलरामपुर, तुलसीपुर और हर्रैया सतघरवा विकास खंड में ही जा सके. पूरी उतरौला तहसील और पचपेड़वा, गैसड़ी, श्रीदत्तगंज विकासखंड में हमारा जाना नहीं हो सका. छुट्टा गोवंशों के कारण न केवल किसानों को बड़े पैमाने पर कृषि संबंधी परेशानियां हो रही हैं, बल्कि आम राहगीरों का चलना भी दूभर हो गया है. आए दिन दुर्घटनाएं, लोगों का घायल होना और मौत, अब आम बात हो चुकी है. छुट्टा जानवर भी लगातार गाड़ियों की टक्कर से घायल हो जाते और कई बार तो उनकी मौत भी हो जाती है. उनके शव कई-कई दिनों तक सड़कों पर पड़ी सड़ती रहती है, लेकिन कोई पूछने वाला नहीं है. अमूमन अगर पूरे जिले के आंकड़े को देखा जाए तो हर रोज 3-5 दुर्घटनाएं छुट्टा जानवरों के कारण हो रही हैं. रोजाना 5 से 10 गोवंश भी इन दुर्घटनाओं में या तो घायल हो रहे हैं या मारे जा रहे हैं. एक अनुमानित आंकड़े के अनुसार जिले की सभी सड़कों पर तकरीबन 30 हजार छुट्टा गोवंशों का कब्जा है, जो किसानों की फसल नष्ट कर रहे हैं और आम दिनों में होने वाली दुर्घटनाओं के कारक बन रहे हैं.

बीच सड़क पर बैठे गोवंश
बीच सड़क पर बैठे गोवंश

रात-रातभर खेतों की रखवाली कर रहे किसान

हम आगे बढ़े तो नेशनल हाईवे 730 पर बलुआ-बलुई चौराहे पर कुछ किसान अपने खेतों की रखवाली करते मिले. जब उनसे बात करने की कोशिश की गई तो अनायास ही उनकी आंखें नम होने लगी. तकरीबन 10 से ज्यादा किसान इस दौरान लाठी-डंडे और अन्य व्यवस्थाओं के साथ अपने खेतों के आसपास बारिश के मौसम में डटे हुए थे. कुछ किसान सो भी रहे थे, जब उनकी बारी आएगी आती तो उन्हें खेतों की रखवाली करनी थी. ईटीवी भारत ने किसानों से बात की तो उन्होंने बताया कि जब से योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी है, तब से छुट्टा जानवरों और उनके आतंक को लेकर तमाम तरह की दिक्कतें हो रही हैं. किसान बताते हैं कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा जिले में बनाए जा रहे गांव आश्रय स्थल या वृहद गो संरक्षण केंद्र न केवल इतनी बड़ी संख्या में लोगों द्वारा छोड़े गए छुट्टा गोवंशों के लिए अपर्याप्त हैं, बल्कि किसानों के लिए परेशानी का सबब भी हैं. अगर वास्तव में सरकार इस दिशा में कुछ करना चाहती है तो उसे बड़े पैमाने पर गांव-गांव में गोशालाओं का निर्माण करवाना होगा. जिसकी क्षमता भी ठीक-ठाक हो, क्योंकि हर गांव में बड़ी संख्या में छुट्टा जानवर घूम रहे हैं.

सड़कों पर टहलते मवेशी
सड़कों पर टहलते मवेशी

सरकारी दावे जमीन पर फेल

2011 की जनगणना के अनुसार तकरीबन 20 लाख की आबादी वाले बलरामपुर जिले में 2,95,032 किसान है. इन किसानों के द्वारा हर साल 2,12,546 हेक्टेयर के रकबे पर खेती-किसानी की जाती है. जिले के प्रमुख फसल गन्ना, धान, गेहूं, सरसों व मसूर हैं. इसके अलावा छोटे-छोटे किसानों द्वारा अन्य फसलों की खेती कम रकबों में खेती की जाती है. यह सारे किसान अपनी खेती को बचाने के लिए दिन रात मेहनत करते हैं. खेती किसानी के अलावा इन किसानों के हिस्से में छुट्टा जानवरों से अपनी फसलों को बचाने का एक अतिरिक्त काम भी पिछले 3-4 वर्षों में जुड़ गया है. ईटीवी भारत ने किसानों से गोशालाओं की हकीकत जाननी चाही तो लोगों ने बताया कि हर गांव में कम से कम 200-300 छुट्टा जानवर हैं. सरकार द्वारा जिन गोशालाओं की व्यवस्था का दावा किया जाता है, वह जमीन पर पूरी तरह से फेल हैं. आप अगर गोशालाओं में जाएं और देखें तो पता चलेगा कि वहां गोवंश ही नहीं हैं, क्योंकि वह तो सड़कों पर हैं. लेकिन सब कुछ सही दिखाने का नाटक किया जा रहा है. किसान बताते हैं कि हमें अपनी फसलों को बचाने के लिए दिन और रात में बारी-बारी से अपने खेतों की रखवाली करनी पड़ती है. अगर हम थोड़ी भी देर के लिए खेतों से दूर हो जाएं तो एक झुंड आता है और वह फसलों को सफाचट कर जाता है. खेती किसानी अब फायदे का सौदा नहीं रहा. अगर बच्चे बाहर काम करने न जाएं तो हो सकता है कि खाने पीने के लाले पड़ जाएं.

रखवाली करते किसान.
रखवाली करते किसान.

ये है गोशालाओं की संख्या

आंकड़ों के अनुसार बलरामपुर में कुल 67 वृहद लघु गौशाला हैं, जिनमें 2265 गोवंश पल रहे हैं. सहभागिता योजना के अंतर्गत 419 गोवंश को व्यक्तिगत तौर पर परिवारों द्वारा पाला जा रहा है, जिसमें सरकार उन्हें 30 रुपये प्रति गोवंश प्रतिदिन की सहायता उपलब्ध करवाती है. अगर जिले में गोवंश की संख्या पर गौर करें (जिन्हें टैग लगाया गया है) तो उनकी संख्या 1,30,155 है. गोशालाओं में रहने वाले गोवंशों के पालन पोषण के लिए वृहद गोशालाओं में जहां 5 से 6 लोग रहते हैं. वहीं 50 गायों की क्षमता वाले गोशालाओं में एक या दो लोग रहते हैं. 15 वे वित्त योजना द्वारा इन्हें वेतनमान प्रदान किया जाता है, जबकि गौशालाओं में रहने वाली गायों के लिए भी उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा ₹30 प्रति गोवंश का खर्चा दिया जाता है, जिसके लिए पूरी तरह से पशुपालन विभाग, उपजिलाधिकारी, तहसीलदार व जिला अधिकारी जिम्मेदार होते हैं.

पशु चिकित्सा विभाग के पास नहीं है कोई आंकड़ा

किसानों और आम लोगों को छुट्टा गोवंशों से निजात दिलाने के लिए बलरामपुर के कोइलरा में 300 की क्षमता वाले एक वृहद गौशाला का निर्माण करवाया जा रहा है. जबकि तुलसीपुर के पास स्थित परसपुर करौंदा 300 की क्षमता के साथ संचालित है. सभी नगर निकायों द्वारा भी एक-एक वृहद गोशालाओं का निर्माण कराया जाना है, लेकिन तुलसीपुर को छोड़कर अन्य किसी वृहद गोशाला में अभी तक गोवंश के भरण-पोषण की व्यवस्था नहीं हो सकी है. पशु चिकित्सा विभाग से जब हमने यह जानने की कोशिश की कि आपके जिले में कितने गोवंश सड़कों या खेतों पर घूम रहे हैं तो उन्होंने कहा कि हमारे पास इसका कोई आंकड़ा नहीं है. हम टैग वाले गोवंशों को ही अपनी गोशालाओं में रखते हैं. हम लोग नियमतः काम करते हुए गोवंशों को संरक्षित कर रहे हैं.

बनाए जा रहे गो आश्रय स्थल

जब ईटीवी भारत ने छुट्टा गोवंशों को संरक्षित करने के बाबत सरकार द्वारा की जा रही व्यवस्थाओं की जानकारी लेने की कोशिश की तो मुख्य विकास अधिकारी रिया केजरीवाल ने बताया कि बारिश के मौसम के कारण तमाम जगहों पर जलभराव है, इसी वजह कई गोवंश सड़कों पर आकर बैठ गए हैं. इन्हें अगर आप ध्यान से देखेंगे तो कुछ के गले में गले में घण्टियां बंधी हुई हैं, यह ज्यादातर व्यक्तिगत लोगों की हैं. इन्हें दोपहर या शाम के समय चरने के लिए छोड़ दिया जाता हैं. क्योंकि गाय कीचड़ में बैठना पसंद नहीं करती हैं, इस वजह से वह सड़कों पर आकर बैठ जाती हैं, इस वजह से तमाम दिक्कतें होती हैं. उन्होंने बताया कि इस समस्या से निजात पाने के लिए शासन स्तर से प्रयास किया जा रहा है. प्रत्येक न्याय पंचायत स्तर पर एक गोशाला या गांव आश्रय स्थल का निर्माण करवाया जा रहा है. इसमें कई सारे गो आश्रय स्थल हमारे यहां संचालित भी हैं. इसमें तकरीबन 2800 गोवंश अभी पल भी रहे हैं. इसके अलावा तुलसीपुर ब्लॉक में एक वृहद गोशाला संचालित है. कुछ ही दिनों में बलरामपुर में भी एक वृहद गांव आश्रय स्थल संचालित हो जाएगा. हमारी कोशिश है कि अधिक से अधिक गायों को इनके आश्रय स्थलों पर ले जाकर संरक्षित किया जाए, जिससे किसानों के साथ-साथ आम लोगों को जो समस्याएं हो रहे हैं उससे निजात मिल सके.

दावे और हकीकत में बड़ा अंतर

सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अधिकारी और जिम्मेदार कुछ भी कहें लेकिन, जिले सहित प्रदेश के तमाम हिस्सों के किसानों की छुट्टा गोवंशों के कारण लगातार खेती किसानी चौपट हो रही है. बड़ी संख्या में हो रही दुर्घटनाओं के कारण गोवंशों सहित आम लोगों की मौत भी हो रही है. इनके कारण सड़कों पर हर रोज दुर्घटनाओं का होना आम हो गया है. फिर भी सरकार लोगों को इन समस्याओं से निजात दिलाने की असल कोशिश करने के बजाय आंकड़े बाजी का खेल खेल रही है.

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