ETV Bharat / state

बलरामपुर : भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है लाइब्रेरी योजना, ऐसे कैसे सुधरेगा बच्चों का भविष्य?

बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा बच्चों की बेहतर शिक्षा व्यव्स्था के लिए लाइब्रेरी योजना का गठन किया था, लेकिन यह योजना भष्ट्राचारियों की चपेट में आती दिख रही है. फर्जी फर्म जबरन पुस्तकें लाकर पैसे भुगतान का दबाव बना रहे हैं.

किताब की खेप
author img

By

Published : Apr 27, 2019, 10:27 AM IST

बलरामपुर : जहां एक तरफ बेसिक शिक्षा विभाग दावा कर रहा है कि निष्पक्ष और पारदर्शी कार्य प्रणाली के जरिए बच्चों के भविष्य को सुधारा जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ स्थिति बेहद बदरंग नजर आती है. ताजा मामला प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में बनाए जाने वाले लाइब्रेरी से जुड़ा हुआ है. यहां पर एक फर्म द्वारा विद्यालयों में फर्जी प्रकाशन की किताबें अपने लाइब्रेरी में रखवाने का दबाव बनाया जा रहा है. इसका सहज अंदाजा न्याय पंचायत केंद्र सिसई के अंतर्गत आने वाले 22 विद्यालयों पर जबरन फर्जी फर्म द्वारा पुस्तकों की खेप गिरा कर भुगतान का दबाव बनाए जाने से देखा जा सकता है.

बलरामपुर : जानें लाइब्रेरी योजना का सच
राशि भुगतान के लिए बना रहे दबाव
परिषदीय विद्यालयों में बच्चों के लिए बनाई जाने वाली लाइब्रेरी के बजट विद्यालयों खाते में निर्गत होता है. इसी बीच विद्यालय में जबरन फर्जी संस्थाएं पुस्तकों का खेप गिरा रही है. अध्यापकों से उनके गुर्गे भुगतान के लिए दबाव भी बनाना शुरू कर चुके हैं. इसका सीधा उदाहरण न्याय पंचायत केंद्र यानी शिक्षा संकुल सिसई में बिना किसी सूचना के पुस्तकों की खेप गिराने से पता चलता है.

फर्जी फर्म और प्रकाशक लगा रहें किताबों का ढे़र
असल में, सरकार द्वारा परिषदीय व प्राथमिक विद्यालयों में पुस्तकालय बनाने का निर्देश दिया गया था. जिसके बाद बच्चों के लिए ज्ञानवर्धक पुस्तकें खरीदी जाने की गाइडलाइन भी जारी की गई थी. गाइडलाइन में कहा गया था कि स्कूल मैनेजमेंट कमेटी व विद्यालय प्रधानाध्यापक एनबीटी, एनसीईआरटी की पुस्तकों को ही खरीद है. इसके साथ ही नियम में यह भी है कि शिक्षक व समिति पुस्तकों को खरीदने के लिए स्वतंत्र रहेंगे, लेकिन यहां पर सरकार द्वारा जारी नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. फर्जी फर्म और प्रकाशकों द्वारा अमान्य पुस्तकों को खरीदने का दबाव बनाया जा रहे हैं. कई स्कूलों में शिक्षकों द्वारा इसका विरोध भी किया जा रहा है, लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग इस प्रकरण को संज्ञान में नहीं ले रहा है.

जबरन लाई जा रही खेप

इस संबंध में हम से बात करते हुए उच्च प्राथमिक विद्यालय सिसई की प्रधानाध्यापिका मिथिलेश शुक्ला बताती है कि कई दिन पहले हमारे भी पुस्तकों की खेप गिरा दी गई है. हमारे विद्यालय के अंतर्गत 22 विद्यालय आते हैं, जिनमें से 6 जूनियर हाई स्कूल है. वहीं 16 प्राइमरी स्कूल है. प्राइमरी स्कूलों के लिए लाइब्रेरी योजना के तहत 5000 हजार का बजट सुनिश्चित किया गया है, जबकि उच्च प्राथमिक विद्यालयों के लिए 10000 हजार का बजट शासन द्वारा सुनिश्चित किया गया है.

प्रधानाध्यापिका ने पुस्तकें लेने से किया इनकार

वहीं प्रधानाध्यापिका कहती हैं कि यहां जबरन किताबें गिरा दी गईं, जबकि हम ने इन किताबों को लेने से साफ इंकार कर दिया है. इसीलिए हमने न तो पुस्तकों की जांच की है और न ही हम इन पुस्तकों को लेने जा रहे हैं. सभी पुस्तकें अमान्य प्रकाशकों की नजर आ रही है. ऐसा हमें दूसरे प्राथमिक विद्यालयों से सूचना मिली है.

वहीं जब इस मामले पर हमले बीएसए हरिहर प्रसाद से बात की तो उन्होंने पूरे योजना का हवाला देते हुए हमसे कहा कि आपके द्वारा यह मामला संज्ञान में आया है. उसको खरीदने वह उसके मानक में अगर किसी तरह की कोई कमी पाई जाती है तो हम विद्यालय और शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए बाध्य होंगे. बच्चों को गुणवत्ता परक शिक्षा देना हमारा अंतिम लक्ष्य है.

बलरामपुर : जहां एक तरफ बेसिक शिक्षा विभाग दावा कर रहा है कि निष्पक्ष और पारदर्शी कार्य प्रणाली के जरिए बच्चों के भविष्य को सुधारा जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ स्थिति बेहद बदरंग नजर आती है. ताजा मामला प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में बनाए जाने वाले लाइब्रेरी से जुड़ा हुआ है. यहां पर एक फर्म द्वारा विद्यालयों में फर्जी प्रकाशन की किताबें अपने लाइब्रेरी में रखवाने का दबाव बनाया जा रहा है. इसका सहज अंदाजा न्याय पंचायत केंद्र सिसई के अंतर्गत आने वाले 22 विद्यालयों पर जबरन फर्जी फर्म द्वारा पुस्तकों की खेप गिरा कर भुगतान का दबाव बनाए जाने से देखा जा सकता है.

बलरामपुर : जानें लाइब्रेरी योजना का सच
राशि भुगतान के लिए बना रहे दबावपरिषदीय विद्यालयों में बच्चों के लिए बनाई जाने वाली लाइब्रेरी के बजट विद्यालयों खाते में निर्गत होता है. इसी बीच विद्यालय में जबरन फर्जी संस्थाएं पुस्तकों का खेप गिरा रही है. अध्यापकों से उनके गुर्गे भुगतान के लिए दबाव भी बनाना शुरू कर चुके हैं. इसका सीधा उदाहरण न्याय पंचायत केंद्र यानी शिक्षा संकुल सिसई में बिना किसी सूचना के पुस्तकों की खेप गिराने से पता चलता है.

फर्जी फर्म और प्रकाशक लगा रहें किताबों का ढे़र
असल में, सरकार द्वारा परिषदीय व प्राथमिक विद्यालयों में पुस्तकालय बनाने का निर्देश दिया गया था. जिसके बाद बच्चों के लिए ज्ञानवर्धक पुस्तकें खरीदी जाने की गाइडलाइन भी जारी की गई थी. गाइडलाइन में कहा गया था कि स्कूल मैनेजमेंट कमेटी व विद्यालय प्रधानाध्यापक एनबीटी, एनसीईआरटी की पुस्तकों को ही खरीद है. इसके साथ ही नियम में यह भी है कि शिक्षक व समिति पुस्तकों को खरीदने के लिए स्वतंत्र रहेंगे, लेकिन यहां पर सरकार द्वारा जारी नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. फर्जी फर्म और प्रकाशकों द्वारा अमान्य पुस्तकों को खरीदने का दबाव बनाया जा रहे हैं. कई स्कूलों में शिक्षकों द्वारा इसका विरोध भी किया जा रहा है, लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग इस प्रकरण को संज्ञान में नहीं ले रहा है.

जबरन लाई जा रही खेप

इस संबंध में हम से बात करते हुए उच्च प्राथमिक विद्यालय सिसई की प्रधानाध्यापिका मिथिलेश शुक्ला बताती है कि कई दिन पहले हमारे भी पुस्तकों की खेप गिरा दी गई है. हमारे विद्यालय के अंतर्गत 22 विद्यालय आते हैं, जिनमें से 6 जूनियर हाई स्कूल है. वहीं 16 प्राइमरी स्कूल है. प्राइमरी स्कूलों के लिए लाइब्रेरी योजना के तहत 5000 हजार का बजट सुनिश्चित किया गया है, जबकि उच्च प्राथमिक विद्यालयों के लिए 10000 हजार का बजट शासन द्वारा सुनिश्चित किया गया है.

प्रधानाध्यापिका ने पुस्तकें लेने से किया इनकार

वहीं प्रधानाध्यापिका कहती हैं कि यहां जबरन किताबें गिरा दी गईं, जबकि हम ने इन किताबों को लेने से साफ इंकार कर दिया है. इसीलिए हमने न तो पुस्तकों की जांच की है और न ही हम इन पुस्तकों को लेने जा रहे हैं. सभी पुस्तकें अमान्य प्रकाशकों की नजर आ रही है. ऐसा हमें दूसरे प्राथमिक विद्यालयों से सूचना मिली है.

वहीं जब इस मामले पर हमले बीएसए हरिहर प्रसाद से बात की तो उन्होंने पूरे योजना का हवाला देते हुए हमसे कहा कि आपके द्वारा यह मामला संज्ञान में आया है. उसको खरीदने वह उसके मानक में अगर किसी तरह की कोई कमी पाई जाती है तो हम विद्यालय और शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए बाध्य होंगे. बच्चों को गुणवत्ता परक शिक्षा देना हमारा अंतिम लक्ष्य है.

Intro:जहां एक तरफ बेसिक शिक्षा विभाग दावा कर रहा है कि निष्पक्ष और पारदर्शी कार्य प्रणाली के जरिए बच्चों के भविष्य को सुधारा जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ स्थिति बेहद बदरंग नजर आती है। ताजा मामला प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में बनाए जाने वाले लाइब्रेरी से जुड़ा हुआ है। यहां पर एक फर्म द्वारा विद्यालयों में फर्जी प्रकाशन की किताबें अपने लाइब्रेरी में रखवाने का दबाव बनाया जा रहा है। इसका सहज अंदाजा न्याय पंचायत केंद्र सिसई के अंतर्गत आने वाले 22 विद्यालयों पर जबरन फर्जी फर्म द्वारा पुस्तकों की खेप गिरा कर भुगतान का दबाव बनाए जाने से देखा जा सकता है।


Body:परिषदीय विद्यालयों में बच्चों के लिए बनाई जाने वाली लाइब्रेरी के बजट विद्यालयों खाते में निर्गत होता है। इसी बीच विद्यालय में जबरन फर्जी संस्थाएं पुस्तकों का खेत गिरा रही है। अध्यापकों से उनके गुर्गे भुगतान के लिए दबाव भी बनाना शुरू कर चुके हैं। इसका सीधा उदाहरण न्याय पंचायत केंद्र यानी शिक्षा संकुल सिसई में बिना किसी सूचना के पुस्तकों की खेप गिराने से पता चलता है।
असल में, सरकार द्वारा परिषदीय व प्राथमिक विद्यालयों में पुस्तकालय बनाने का निर्देश दिया गया था। जिसके बाद बच्चों के लिए ज्ञानवर्धक पुस्तकें खरीदी जाने की गाइडलाइन भी जारी की गई थी। गाइडलाइन में कहा गया था कि स्कूल मैनेजमेंट कमेटी व विद्यालय प्रधानाध्यापक एनबीटी, एनसीईआरटी की पुस्तकों को ही खरीद है। इसके साथ ही नियम में यह भी है कि शिक्षक व समिति पुस्तकों को खरीदने के लिए स्वतंत्र रहेंगे।
लेकिन यहां पर सरकार द्वारा जारी नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। फर्जी फर्म और प्रकाशकों द्वारा अमान्य पुस्तकों को खरीदने का दबाव बनाया जा रहे हैं। कई स्कूलों में शिक्षकों द्वारा इसका विरोध भी किया जा रहा है। लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग इस प्रकरण को संज्ञान में नहीं ले रहा है।
इस संबंध में हम से बात करते हुए उच्च प्राथमिक विद्यालय सिसई की प्रधानाध्यापिका मिथिलेश शुक्ला बताती है कि कई दिन पहले हमारे भी पुस्तकों की खेप गिरा दी गई है। हमारे विद्यालय के अंतर्गत 22 विद्यालय आते हैं, जिनमें से 6 जूनियर हाई स्कूल है। वहीं 16 प्राइमरी स्कूल है। प्राइमरी स्कूलों के लिए लाइब्रेरी योजना के तहत ₹5000 का बजट सुनिश्चित किया गया है। जबकि उच्च प्राथमिक विद्यालयों के लिए ₹10000 का बजट शासन द्वारा सुनिश्चित किया गया है। वह कहती है कि हमारे जबरन किताबें गिरा दी गई है जबकि हम ने इन किताबों को लेने से साफ इंकार कर दिया है। इसीलिए हमने ना तो पुस्तकों की जांच की है और ना ही हम इन पुस्तकों को लेने जा रहे हैं। सभी पुस्तकें अमान्य प्रकाशकों की नजर आ रही है। ऐसा हमें दूसरे प्राथमिक विद्यालयों से सूचना मिली है।


Conclusion:वही जब इस मामले पर हमले बीएसए हरिहर प्रसाद से बात की तो उन्होंने पूरे योजना का हवाला देते हुए हमसे कहा कि आपके द्वारा यह मामला संज्ञान में आया है। उसको खरीदने वह उसके मानक में अगर किसी तरह की कोई कमी पाई जाती है तो हम विद्यालय और शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए बाध्य होंगे। बच्चों को गुणवत्ता परक शिक्षा देना हमारा अंतिम लक्ष्य है।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.