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...इस अस्पताल में नहीं बंटती दवाइयां, रखे-रखे हो जाती हैं एक्सपायर - जिला चिकित्सा अधिकारी

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले के नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक्सपायरी दवाइयां रखी हैं. यह दवाइयां न तो किसी के प्रयोग में लाई जा सकती हैं और न ही समय से इनको वापस किया जाता है. वहीं अच्छी दवाइयों के लिए मरीजों से पैसे वसूले जाते हैं.

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पड़ी हुई एक्सपायर दवा
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Published : Sep 4, 2019, 12:16 PM IST

बलरामपुर: जिले में कुल नौ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 25 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 205 स्वास्थ्य उपकेंद्र हैं. इसके अलावा जिला मेमोरियल चिकित्सालय, जिला महिला चिकित्सालय और संयुक्त जिला चिकित्सालय भी हैं. यहां करोड़ों की दवाइयां लोकल परचेज और सरकारी लैबोरेटरी से मरीजों के लिए लाई जाती हैं. वहीं जिले के दूरदराज के इलाकों में स्थित अस्पताल इस तरह के भी हैं, जहां पर ये दवाइयां पड़ी-पड़ी खराब हो जाती हैं, लेकिन मरीजों को नहीं दी जाती हैं.

जानकारी देते सीएमओ.

रखे-रखे PHC में दवाइयां हो रही खराब

  • नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के कई कमरों में दवाइयां भरी पड़ी रहती हैं, जो कि एक्सपायर होने के कागार पर हैं.
  • कुछ तो ऐसी हैं जो छह महीने पहले ही एक्सपायर हो चुकी हैं.
  • कर्मचारियों ने न तो उन दवाइयों को वितरित करने की जहमत उठाई और न संबंधित को वापस किया.
  • पेट दर्द में प्रयोग होने वाला एक इंजेक्शन दवा वितरण के काउंटर पर मिला.
  • यह इंजेक्शन दो महीने पहले ही एक्सपायर हो चुका था.

ग्रामिणों से वसूले जाते हैं पैसे

  • इसी तरह की सैकड़ों की संख्या में दवाइयां दिखाई दी, जो कि एक्सपायर हो चुकी थी.
  • गांव वालों ने बताया कि अस्पताल में अच्छी दवाइयों को डंप करके रखा जाता है.
  • अच्छी दवाइयों को देने के लिए यहां के कर्मचारी पैसों की मांग करते हैं, जिससे कि दवाइयां बंट नहीं पाती हैं.
  • वहीं ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि काफी समय से इस अस्पताल में अच्छी दवाइयों को लेने के बाद पैसे लिए जाते हैं.

मुझे लोगों से यह जानकारी मिल रही है कि दवा बिना यूटिलाइज किए ही खराब हो जा रही हैं. संबंधित चिकित्सालय में मैं जांच करवाकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करूंगा. यह बहुत बुरी बात है कि जिन मरीजों को अच्छी दवाइयां बंट जानी चाहिए थी, वह बांटी नहीं गई हैं. आजकल तो हर अस्पताल में ठीक-ठाक ओपीडी हर रोज होती है.
-डॉ. घनश्याम सिंह, जिला चिकित्सा अधिकारी

बलरामपुर: जिले में कुल नौ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 25 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 205 स्वास्थ्य उपकेंद्र हैं. इसके अलावा जिला मेमोरियल चिकित्सालय, जिला महिला चिकित्सालय और संयुक्त जिला चिकित्सालय भी हैं. यहां करोड़ों की दवाइयां लोकल परचेज और सरकारी लैबोरेटरी से मरीजों के लिए लाई जाती हैं. वहीं जिले के दूरदराज के इलाकों में स्थित अस्पताल इस तरह के भी हैं, जहां पर ये दवाइयां पड़ी-पड़ी खराब हो जाती हैं, लेकिन मरीजों को नहीं दी जाती हैं.

जानकारी देते सीएमओ.

रखे-रखे PHC में दवाइयां हो रही खराब

  • नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के कई कमरों में दवाइयां भरी पड़ी रहती हैं, जो कि एक्सपायर होने के कागार पर हैं.
  • कुछ तो ऐसी हैं जो छह महीने पहले ही एक्सपायर हो चुकी हैं.
  • कर्मचारियों ने न तो उन दवाइयों को वितरित करने की जहमत उठाई और न संबंधित को वापस किया.
  • पेट दर्द में प्रयोग होने वाला एक इंजेक्शन दवा वितरण के काउंटर पर मिला.
  • यह इंजेक्शन दो महीने पहले ही एक्सपायर हो चुका था.

ग्रामिणों से वसूले जाते हैं पैसे

  • इसी तरह की सैकड़ों की संख्या में दवाइयां दिखाई दी, जो कि एक्सपायर हो चुकी थी.
  • गांव वालों ने बताया कि अस्पताल में अच्छी दवाइयों को डंप करके रखा जाता है.
  • अच्छी दवाइयों को देने के लिए यहां के कर्मचारी पैसों की मांग करते हैं, जिससे कि दवाइयां बंट नहीं पाती हैं.
  • वहीं ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि काफी समय से इस अस्पताल में अच्छी दवाइयों को लेने के बाद पैसे लिए जाते हैं.

मुझे लोगों से यह जानकारी मिल रही है कि दवा बिना यूटिलाइज किए ही खराब हो जा रही हैं. संबंधित चिकित्सालय में मैं जांच करवाकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करूंगा. यह बहुत बुरी बात है कि जिन मरीजों को अच्छी दवाइयां बंट जानी चाहिए थी, वह बांटी नहीं गई हैं. आजकल तो हर अस्पताल में ठीक-ठाक ओपीडी हर रोज होती है.
-डॉ. घनश्याम सिंह, जिला चिकित्सा अधिकारी

Intro:बलरामपुर जिले में कुल 09 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और 25 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 205 स्वास्थ्य उपकेंद्र हैं। इसके अलावा जिला मेमोरियल चिकित्सालय, जिला महिला चिकित्सालय और संयुक्त जिला चिकित्सालय भी हैं। यहां करोड़ों की दवाईयां लोकल परचेज और सरकारी लैबोरेटरी से दवाईयां लोगों के लिए लाई जाती हैं। लेकिन जिले के दूरदराज के इलाकों में स्थित अस्पताल इस तरह के भी हैं। जहां पर दवाइयां पड़ी-पड़ी खराब हो जाती हैं। एक्सपायर हो जाती हैं। लेकिन गरीबों के बीच में बंट नहीं पाती।


Body:नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र इसका एक प्रत्यक्ष उदाहरण है यहां पर कई कमरों में दवाइयां भरी पड़ी हैं। जो इस महीने या अगले महीने एक्सपायर होने वाली है। कुछ तो ऐसी हैं जो 6 महीने पहले ही एक्सपायर हो चुके हैं। लेकिन यहां पर तैनात छह कर्मचारियों ने न तो उन दवाइयों को वितरित करने की जहमत उठाई और ना उन्हें संबंधित को वापस कर सकें।
हमें पेट दर्द में प्रयोग होने वाला एक इंजेक्शन दवा वितरण के काउंटर पर मिला। जो 2 महीने पहले ही एक्सपायर हो चुका था। उसे लोगों के ना तो प्रयोग में लाया गया और ना ही वापस भेजा गया। इसी तरह की सैकड़ों की संख्या में दवाइयां दिखाई दी जो एक्सपायर हो चुकी थी। जिनका कोई प्रयोग नहीं है। उन्हें अब या तो जला दिया जाएगा या उन्हें फेंक दिया जाएगा।
जब हमने गांव वालों से इस बारे में बात की तो उन्होंने हमें बताया कि अस्पताल में अच्छी दवाइयों को डंप करके रखा जाता है। अच्छी दवाइयों को देने के लिए यहां के कर्मचारी पैसों की मांग करते हैं। इसलिए भी दवाइयां बट नहीं पाते।
वहीं ग्रामीणों ने यह आरोप भी लगाया कि काफी समय से इस अस्पताल में अच्छी दवाइयों को लेने के बाद पैसे लिए जाते हैं। इस पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। गांव वालों ने कहा, अगर पैसे ना लिए जाएं और अच्छी दवाइयां मरीजों को दी जाए तो हमें काफी सुविधाएं अपने ही गांव के पास मिल सकती हैं।


Conclusion:वहीं जब हमने इस मामले में जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ घनश्याम सिंह से बात की तो उन्होंने कहा कि मुझे आपकी ही द्वारा यह जानकारी मिल रही है कि दवा बिना यूटिलाइज किए ही खराब हो जा रही है। संबंधित चिकित्सालय में, मैं जांच करवाकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करूंगा।
उन्होंने कहा कि लेकिन यह बहुत बुरी बात है कि जिन मरीजों को अच्छी दवाइयां बंट जानी चाहिए थी। वह बाटी नहीं गई। जबकि आजकल तो हर अस्पताल में ठीक-ठाक ओपीडी हर रोज होती है।

बाईट क्रमश :-
01 :- दिनेश, ग्रामीण,
02 :- रामलाल, ग्रामीण,
03 :- डॉ घनश्याम सिंह, सीएमओ, बलरामपुर
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