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देवीपाटन शक्तिपीठ में चल रहा है मेला, कोरोना काल में है भक्तों का रेला

51 शक्तिपीठों में शामिल शक्तिपीठ देवीपाटन में कोरोना काल में भी भक्तों की आस्था देखने को मिली. बलरामपुर के इस शक्तिपीठ में चैत्र नवरात्रि में लगने वाला एक माह का राजकीय मेला भी शुरू हो गया है.

कोरोना में लगा भक्ति का मेला
कोरोना में लगा भक्ति का मेला
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Published : Apr 17, 2021, 7:11 AM IST

बलरामपुर: जिला मुख्यालय से करीब 28 किलोमीटर दूर 51 शक्तिपीठों में शामिल शक्तिपीठ देवीपाटन में कोरोना काल में भी भक्तों की आस्था देखने को मिली. यहां चैत्र नवरात्रि में लगने वाला एक माह का राजकीय मेला भी शुरू हो गया है. मेले में सैंकड़ो की संख्या में सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई है, ताकि किसी प्रकार की कोई अप्रिय घटना न हो. यहां सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगाने के साथ-साथ लोगों को कोरोना से बचाव के टिप्स भी दिए जा रहे हैं.

यह भी पढ़ें: जनकपुर पहुंची रतन नाथ की शोभा यात्रा, पंचमी को पहुंचेगी देवीपाटन

बरती जा रही विशेष सतर्कता

51 शक्तिपीठों में शामिल शक्तिपीठ देवीपाटन में चैत्र नवरात्रि व शारदीय नवरात्रि के मौके पर एक माह का मेला लगता है. मंदिर की ऐतिहासिकता और धार्मिक महत्व को देखते हुए प्रदेश सरकार द्वारा लगने वाले मेले को राजकीय मेला का दर्जा प्राप्त है. मेले में देश दुनिया से श्रद्धालु देवीपाटन पहुंचकर मां पाटेश्वरी जी के दर्शन पूजन करते हैं.

कोरोना नियमों का रखा जा रहा है ध्यान

कोरोना महामारी के चलते पिछले वर्ष चैत्र नवरात्रि में मेले का आयोजन नहीं हुआ था. इस वर्ष कोरोना के दूसरे फेज को देखते हुए विशेष सतर्कता बरती जा रही है. मंदिर से जुड़ी नगर तुलसीपुर के प्रवेश सीमा और मंदिर प्रवेश मार्ग पर श्रद्धालुओं की स्क्रीनिंग की जा रही है, उसके बाद ही प्रवेश दिया जा रहा है.

प्रसाद चढ़ाने पर रोक

बीमारी की भयावह स्थिति को देखते हुए मंदिर में श्रद्धालुओं के प्रसाद चढ़ाने पर रोक लगा दी गई है. साथ ही पुजारियों को भी मंदिर प्रशासन द्वारा सख्त निर्देश दिए गए हैं. न तो आप प्रसाद चढ़वाएंगे और न ही टीका या तिलक लगाएंगे.

सुरक्षात्मक उपायों के बिना प्रवेश नहीं

शक्तिपीठ के पीठाधीश्वर महंथ मिथिलेशनाथ योगी ने बताया कि सभी प्रवेश द्वारों पर मास्क लगाए जाने पर ही प्रवेश मिलेगा. इसके अलावा मंदिर परिसर में मंदिर व स्थानीय प्रशासन द्वारा भी मास्क को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है.

मंदिर में की गई विशेष व्यवस्था

पीठाधीश्वर ने बताया कि सरकार द्वारा जारी कोविड-19 से बचाव को लेकर निर्देशों का पालन कराया जा रहा है. इसके लिए जिला प्रशासन और मंदिर प्रशासन द्वारा विशेष व्यवस्था भी की गई है. इससे आम जन को कोरोना महामारी से बचाव करने के लिए जागरूक किया जा सके.

खुद डीएम और एसपी करते हैं निगरानी

मेले की व्यवस्था और कोविड से बचाव को लेकर मंडलायुक्त और डीआईजी समीक्षा बैठक भी कर चुके हैं. आये दिन जिलाधिकारी श्रुति और पुलिस अधीक्षक हेमन्त कुटियाल मन्दिर और मेले स्थल का जायजा लेकर समीक्षा करते रहते हैं. सीएम योगी इस शक्तिपीठ के संरक्षक हैं, इसलिए जिला प्रशासन किसी तरह की कोई लापरवाही नहीं बरतना चाहता है.

पीर रतननाथ शोभा यात्रा में शामिल लोगों का होगा कोविड टेस्ट

चैत्र नवरात्रि की पंचमी को नेपाल राष्ट्र से देवीपाटन मंदिर पहुंच रही शोभा यात्रा में शामिल सभी संतों, श्रद्धालुओं का नेपाल सीमा पर ही कोविड टेस्ट होगा. सीएमओ डॉ. विजय बहादुर सिंह ने बताया कि सीमा पर ही जनकपुर गांव में यात्रा में शामिल सभी लोगों की कोविड जांच की जायेगी.

सैंकड़ों साल पुरानी है परंपरा

हजारों वर्षों से नेपाल के दांग चौखड़ा से पीर रतननाथ योगी की पैदल शोभा यात्रा चैत्र नवरात्रि की पंचमी को शक्तिपीठ देवीपाटन पहुंचती है. यह यात्रा नेपाल भारत के रोटी-बेटी संबंधों को मजबूती से प्रगाढ़ता देती है. इस यात्रा के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्त्व भी शक्तिपीठ से जुड़े हैं.

ये है शक्तिपीठ के धार्मिक महत्व

शक्तिपीठ मंदिर देवीपाटन अपने धार्मिक ऐतिहासिक महत्त्व के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां माता सती का वाम स्कंध पट सहित (वस्त्र सहित बांया हाथ) गिरा था. पट सहित गिरने की वजह से महासती का देवी पाटेश्वरी के रूप में पूजन किया जाता है.

अखंड धूनी का करते हैं पूजन

इसके साथ ही यहां महायोगी गुरु गोरक्षनाथ जी का भी इतिहास जुड़ा हुआ है. यहां महायोगी ने ही देवी की मूर्ति की स्थापना की थी. महायोगी द्वारा जलाई गई अखंड धूनी आज भी यहां युग युगांतर से प्रज्वलित है. यहां श्रद्धालु मां पाटेश्वरी के दर्शन उपरांत अखंड धूनी का भी पूजन करते हैं. यह स्थान महाभारत कालीन राजा कर्ण से भी जुड़ा हुआ है. यहां राजा कर्ण स्नान कर सूर्य उपासना किया करते थे. वह कुंड आज भी यहां विद्यमान है. जिसे सूर्यकुंड के नाम से जाना जाता है.

मेले के मद्देनजर शक्तिपीठ में है चाक-चौबंद की व्यवस्था

पुलिस अधीक्षक हेमंत कुटियाल ने बताया कि तकरीबन 600 पुलिसकर्मियों की ड्यूटी मेले और मंदिर की सुरक्षा में लगाई गई है. इसमें 2 इंस्पेक्टर चंद्रहास मिश्रा और आरके राय सहित 40 सब इंस्पेक्टर शामिल हैं. साथ ही सर्किल के सीओ को निर्देशित किया गया है कि समय-समय पर वह मेले की सुरक्षा व मंदिर की सुरक्षा का जायजा लेते रहें.

बिना मास्क नो एंट्री

पुलिस अधीक्षक ने यह भी बताया कि कोविड-19 के प्रकोप को देखते हुए सभी पुलिसकर्मियों को मास्क लगाकर रहने व लगातार हाथ और खुद को सेनेटाइज करते रहने का निर्देश भी दिया गया है. साथ ही मेले व मंदिर में प्रवेश करने वाले श्रद्धालुओं का मास्क लगाना अनिवार्य होगा. बिना मास्क के उन्हें मंदिर या मेले में एंट्री नहीं मिल सकेगी.

बलरामपुर: जिला मुख्यालय से करीब 28 किलोमीटर दूर 51 शक्तिपीठों में शामिल शक्तिपीठ देवीपाटन में कोरोना काल में भी भक्तों की आस्था देखने को मिली. यहां चैत्र नवरात्रि में लगने वाला एक माह का राजकीय मेला भी शुरू हो गया है. मेले में सैंकड़ो की संख्या में सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई है, ताकि किसी प्रकार की कोई अप्रिय घटना न हो. यहां सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगाने के साथ-साथ लोगों को कोरोना से बचाव के टिप्स भी दिए जा रहे हैं.

यह भी पढ़ें: जनकपुर पहुंची रतन नाथ की शोभा यात्रा, पंचमी को पहुंचेगी देवीपाटन

बरती जा रही विशेष सतर्कता

51 शक्तिपीठों में शामिल शक्तिपीठ देवीपाटन में चैत्र नवरात्रि व शारदीय नवरात्रि के मौके पर एक माह का मेला लगता है. मंदिर की ऐतिहासिकता और धार्मिक महत्व को देखते हुए प्रदेश सरकार द्वारा लगने वाले मेले को राजकीय मेला का दर्जा प्राप्त है. मेले में देश दुनिया से श्रद्धालु देवीपाटन पहुंचकर मां पाटेश्वरी जी के दर्शन पूजन करते हैं.

कोरोना नियमों का रखा जा रहा है ध्यान

कोरोना महामारी के चलते पिछले वर्ष चैत्र नवरात्रि में मेले का आयोजन नहीं हुआ था. इस वर्ष कोरोना के दूसरे फेज को देखते हुए विशेष सतर्कता बरती जा रही है. मंदिर से जुड़ी नगर तुलसीपुर के प्रवेश सीमा और मंदिर प्रवेश मार्ग पर श्रद्धालुओं की स्क्रीनिंग की जा रही है, उसके बाद ही प्रवेश दिया जा रहा है.

प्रसाद चढ़ाने पर रोक

बीमारी की भयावह स्थिति को देखते हुए मंदिर में श्रद्धालुओं के प्रसाद चढ़ाने पर रोक लगा दी गई है. साथ ही पुजारियों को भी मंदिर प्रशासन द्वारा सख्त निर्देश दिए गए हैं. न तो आप प्रसाद चढ़वाएंगे और न ही टीका या तिलक लगाएंगे.

सुरक्षात्मक उपायों के बिना प्रवेश नहीं

शक्तिपीठ के पीठाधीश्वर महंथ मिथिलेशनाथ योगी ने बताया कि सभी प्रवेश द्वारों पर मास्क लगाए जाने पर ही प्रवेश मिलेगा. इसके अलावा मंदिर परिसर में मंदिर व स्थानीय प्रशासन द्वारा भी मास्क को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है.

मंदिर में की गई विशेष व्यवस्था

पीठाधीश्वर ने बताया कि सरकार द्वारा जारी कोविड-19 से बचाव को लेकर निर्देशों का पालन कराया जा रहा है. इसके लिए जिला प्रशासन और मंदिर प्रशासन द्वारा विशेष व्यवस्था भी की गई है. इससे आम जन को कोरोना महामारी से बचाव करने के लिए जागरूक किया जा सके.

खुद डीएम और एसपी करते हैं निगरानी

मेले की व्यवस्था और कोविड से बचाव को लेकर मंडलायुक्त और डीआईजी समीक्षा बैठक भी कर चुके हैं. आये दिन जिलाधिकारी श्रुति और पुलिस अधीक्षक हेमन्त कुटियाल मन्दिर और मेले स्थल का जायजा लेकर समीक्षा करते रहते हैं. सीएम योगी इस शक्तिपीठ के संरक्षक हैं, इसलिए जिला प्रशासन किसी तरह की कोई लापरवाही नहीं बरतना चाहता है.

पीर रतननाथ शोभा यात्रा में शामिल लोगों का होगा कोविड टेस्ट

चैत्र नवरात्रि की पंचमी को नेपाल राष्ट्र से देवीपाटन मंदिर पहुंच रही शोभा यात्रा में शामिल सभी संतों, श्रद्धालुओं का नेपाल सीमा पर ही कोविड टेस्ट होगा. सीएमओ डॉ. विजय बहादुर सिंह ने बताया कि सीमा पर ही जनकपुर गांव में यात्रा में शामिल सभी लोगों की कोविड जांच की जायेगी.

सैंकड़ों साल पुरानी है परंपरा

हजारों वर्षों से नेपाल के दांग चौखड़ा से पीर रतननाथ योगी की पैदल शोभा यात्रा चैत्र नवरात्रि की पंचमी को शक्तिपीठ देवीपाटन पहुंचती है. यह यात्रा नेपाल भारत के रोटी-बेटी संबंधों को मजबूती से प्रगाढ़ता देती है. इस यात्रा के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्त्व भी शक्तिपीठ से जुड़े हैं.

ये है शक्तिपीठ के धार्मिक महत्व

शक्तिपीठ मंदिर देवीपाटन अपने धार्मिक ऐतिहासिक महत्त्व के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां माता सती का वाम स्कंध पट सहित (वस्त्र सहित बांया हाथ) गिरा था. पट सहित गिरने की वजह से महासती का देवी पाटेश्वरी के रूप में पूजन किया जाता है.

अखंड धूनी का करते हैं पूजन

इसके साथ ही यहां महायोगी गुरु गोरक्षनाथ जी का भी इतिहास जुड़ा हुआ है. यहां महायोगी ने ही देवी की मूर्ति की स्थापना की थी. महायोगी द्वारा जलाई गई अखंड धूनी आज भी यहां युग युगांतर से प्रज्वलित है. यहां श्रद्धालु मां पाटेश्वरी के दर्शन उपरांत अखंड धूनी का भी पूजन करते हैं. यह स्थान महाभारत कालीन राजा कर्ण से भी जुड़ा हुआ है. यहां राजा कर्ण स्नान कर सूर्य उपासना किया करते थे. वह कुंड आज भी यहां विद्यमान है. जिसे सूर्यकुंड के नाम से जाना जाता है.

मेले के मद्देनजर शक्तिपीठ में है चाक-चौबंद की व्यवस्था

पुलिस अधीक्षक हेमंत कुटियाल ने बताया कि तकरीबन 600 पुलिसकर्मियों की ड्यूटी मेले और मंदिर की सुरक्षा में लगाई गई है. इसमें 2 इंस्पेक्टर चंद्रहास मिश्रा और आरके राय सहित 40 सब इंस्पेक्टर शामिल हैं. साथ ही सर्किल के सीओ को निर्देशित किया गया है कि समय-समय पर वह मेले की सुरक्षा व मंदिर की सुरक्षा का जायजा लेते रहें.

बिना मास्क नो एंट्री

पुलिस अधीक्षक ने यह भी बताया कि कोविड-19 के प्रकोप को देखते हुए सभी पुलिसकर्मियों को मास्क लगाकर रहने व लगातार हाथ और खुद को सेनेटाइज करते रहने का निर्देश भी दिया गया है. साथ ही मेले व मंदिर में प्रवेश करने वाले श्रद्धालुओं का मास्क लगाना अनिवार्य होगा. बिना मास्क के उन्हें मंदिर या मेले में एंट्री नहीं मिल सकेगी.

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