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बलरामपुर: उज्ज्वला स्कीम के नाम पर गरीबों से 'खेल' कर गया गैस एजेंसी होल्डर - जिला प्रशासन

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में सिलेंडर का एक बहुत बड़ घोटाला सामने आया है. इसमें 6000 सिलेंडर बरामद किए गए हैं. प्रधानमंत्री की इस उज्ज्वला योजना का लाभ गरीबों को नहीं मिल पा रहा है.

घोटाले में बरामद किए गए सिलेंडर
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Published : Aug 22, 2019, 11:01 AM IST

बलरामपुर: उज्जवला योजना भले ही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट हो, लेकिन बलरामपुर जिले में इसको लेकर न तो नियमों को ध्यान में रखा गया और न ही इसके लिए सावधानियां बरती गईं. इस योजना में प्रशासनिक ढिलाई का अंजाम यह रहा कि उत्तर प्रदेश में इस योजना को लेकर पहला घोटाला सामने आया है.

घोटाले में बरामद किए गए सिलेंडर

बलरामपुर जिले के भारत-नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र में स्थित ग्रामीण वितरक गैस एजेंसी से उज्जवला योजना के करीब 6000 सिलेंडर बरामद किए गए हैं. यह सभी सिलेंडर गोदाम सहित तीन जगहों पर झाड़ियों और अन्य स्थानों पर छिपाकर रखे गए थे. इस घोटाले में बड़ी बात यह रही यह है कि इन सिलेंडरों के छुपाए जाने के बाद से किसी को कानों-कान खबर तक नहीं हुई.

इस घोटाले की खबर अधिकारियों को भी नहीं लगी. घोटाला तब सामने आया जब स्थानीय लोगों ने भारी मात्रा में सिलेंडर पड़े होने की सूचना जिला प्रशासन और जिला कप्तान को दी. मामला सामने आते ही प्रशासन में हड़कंप मचा गया. सभी सिलेंडरों को इकट्ठा करके उनके बारकोड और नंबरों को मैच करवाने का काम किया जा रहा है. ऑयल कंपनी के साथ-साथ जिला प्रशासन एक बड़ी जांच बैठाने की बात कर रहा है.

घोटाले में बरामद किए गए सिलेंडर.

इसे भी पढ़ें:-बलरामपुर: प्रधानमंत्री आवास योजना की खुली पोल, गरीबों को नहीं नसीब हो सका छत

जानिए क्या है प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना
साल 2016 में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना जिले में लागू की गई थी. तब गैस एजेंसी ने गांव-गांव में ग्रामीणों को गैस सिलेंडर देने के नाम पर फॉर्म भरवाए थे. जब एजेंसी से वितरक को गैस सिलेंडर, चूल्हा, रेगुलेटर इत्यादि उपलब्ध करवाया गया तो एजेंसी ने उन्हें बांटने के बजाय डंप कर लिया. साल 2011 के सेग डेटा के अनुसार जिन पात्रों का नाम सूची में था उनसे भी 500 से 1500 की अवैध वसूली भी की जाती रही थी.

एजेंसी ने लाभार्थियों को कनेक्शन देने के बजाय भरे गैस सिलेंडरों को डंप करके गैस की कालाबाजारी शुरू कर दी थी. करीब 2 साल से गरीब परिवार एजेंसी के चक्कर लगाते रहे. उन्हें आजतक गैस सिलेंडर नहीं मिला और न ही पासबुक. गरीबों का आरोप है कि उनके गैस कनेक्शन और पासबुक गैस एजेंसी के पास आज भी पड़े हुए हैं. इसके लिए गैस एजेंसी ने कई बार रुपये भी ऐठे, लेकिन आजतक कोई सुनवाई नहीं हुई. योजना का मूल उद्देश्य महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के साथ-साथ उनकी सेहत की देखभाल करना था लेकिन घोटालेबाजों ने पीएम मोदी की इस योजना को भी मिट्टी में मिला दिया है.

सख्त हुआ प्रशासन और की गई जांच
घोटाले के सामने आते ही जिला प्रशासन, प्रशासन जिला पूर्ति अधिकारी समेत छह सदस्यों की टीम बनाकर मामले में जांच बैठा दी गई है. गैस एजेंसी पर तकरीबन 9000 उज्जवला कनेक्शन जारी किए जा चुके हैं और 691 कनेक्शन नॉर्मल भी जारी किए जा चुके हैं. एजेंसी सीज करने के बाद अभी तक अलग-अलग जगह से छानबीन के दौरान तकरीबन 4000 खाली सिलेंडर और 1500 भरे सिलेंडर बरामद किए जा चुके हैं.

पूर्ति विभाग के सूत्रों की मानें तो 3000 से ज्यादा सिलेंडर ऐसे पाए गए हैं, जिसका गैस एजेंसी के पास कोई हिसाब-किताब ही नहीं है. वहीं अगर जिले के कलेक्टर की माने तो अब तक जांच में कुल 1000 से 1500 सिलेंडर पाए गए हैं. बलरामपुर जिले में हुआ यह उज्जवला घोटाला जिले का ही नहीं बल्कि यूपी का पहला घोटाला है. जिसमें कि इतनी बड़ी मात्रा में उज्जवला योजना के सिलेंडर बरामद हुए हैं. यूपी सरकार यदि इस मामले की जांच गंभीरता से करवाएं तो इस घोटाले में कई अधिकारी और जनप्रतिनिधियों की गर्दन फंस सकती है.

बलरामपुर: उज्जवला योजना भले ही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट हो, लेकिन बलरामपुर जिले में इसको लेकर न तो नियमों को ध्यान में रखा गया और न ही इसके लिए सावधानियां बरती गईं. इस योजना में प्रशासनिक ढिलाई का अंजाम यह रहा कि उत्तर प्रदेश में इस योजना को लेकर पहला घोटाला सामने आया है.

घोटाले में बरामद किए गए सिलेंडर

बलरामपुर जिले के भारत-नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र में स्थित ग्रामीण वितरक गैस एजेंसी से उज्जवला योजना के करीब 6000 सिलेंडर बरामद किए गए हैं. यह सभी सिलेंडर गोदाम सहित तीन जगहों पर झाड़ियों और अन्य स्थानों पर छिपाकर रखे गए थे. इस घोटाले में बड़ी बात यह रही यह है कि इन सिलेंडरों के छुपाए जाने के बाद से किसी को कानों-कान खबर तक नहीं हुई.

इस घोटाले की खबर अधिकारियों को भी नहीं लगी. घोटाला तब सामने आया जब स्थानीय लोगों ने भारी मात्रा में सिलेंडर पड़े होने की सूचना जिला प्रशासन और जिला कप्तान को दी. मामला सामने आते ही प्रशासन में हड़कंप मचा गया. सभी सिलेंडरों को इकट्ठा करके उनके बारकोड और नंबरों को मैच करवाने का काम किया जा रहा है. ऑयल कंपनी के साथ-साथ जिला प्रशासन एक बड़ी जांच बैठाने की बात कर रहा है.

घोटाले में बरामद किए गए सिलेंडर.

इसे भी पढ़ें:-बलरामपुर: प्रधानमंत्री आवास योजना की खुली पोल, गरीबों को नहीं नसीब हो सका छत

जानिए क्या है प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना
साल 2016 में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना जिले में लागू की गई थी. तब गैस एजेंसी ने गांव-गांव में ग्रामीणों को गैस सिलेंडर देने के नाम पर फॉर्म भरवाए थे. जब एजेंसी से वितरक को गैस सिलेंडर, चूल्हा, रेगुलेटर इत्यादि उपलब्ध करवाया गया तो एजेंसी ने उन्हें बांटने के बजाय डंप कर लिया. साल 2011 के सेग डेटा के अनुसार जिन पात्रों का नाम सूची में था उनसे भी 500 से 1500 की अवैध वसूली भी की जाती रही थी.

एजेंसी ने लाभार्थियों को कनेक्शन देने के बजाय भरे गैस सिलेंडरों को डंप करके गैस की कालाबाजारी शुरू कर दी थी. करीब 2 साल से गरीब परिवार एजेंसी के चक्कर लगाते रहे. उन्हें आजतक गैस सिलेंडर नहीं मिला और न ही पासबुक. गरीबों का आरोप है कि उनके गैस कनेक्शन और पासबुक गैस एजेंसी के पास आज भी पड़े हुए हैं. इसके लिए गैस एजेंसी ने कई बार रुपये भी ऐठे, लेकिन आजतक कोई सुनवाई नहीं हुई. योजना का मूल उद्देश्य महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के साथ-साथ उनकी सेहत की देखभाल करना था लेकिन घोटालेबाजों ने पीएम मोदी की इस योजना को भी मिट्टी में मिला दिया है.

सख्त हुआ प्रशासन और की गई जांच
घोटाले के सामने आते ही जिला प्रशासन, प्रशासन जिला पूर्ति अधिकारी समेत छह सदस्यों की टीम बनाकर मामले में जांच बैठा दी गई है. गैस एजेंसी पर तकरीबन 9000 उज्जवला कनेक्शन जारी किए जा चुके हैं और 691 कनेक्शन नॉर्मल भी जारी किए जा चुके हैं. एजेंसी सीज करने के बाद अभी तक अलग-अलग जगह से छानबीन के दौरान तकरीबन 4000 खाली सिलेंडर और 1500 भरे सिलेंडर बरामद किए जा चुके हैं.

पूर्ति विभाग के सूत्रों की मानें तो 3000 से ज्यादा सिलेंडर ऐसे पाए गए हैं, जिसका गैस एजेंसी के पास कोई हिसाब-किताब ही नहीं है. वहीं अगर जिले के कलेक्टर की माने तो अब तक जांच में कुल 1000 से 1500 सिलेंडर पाए गए हैं. बलरामपुर जिले में हुआ यह उज्जवला घोटाला जिले का ही नहीं बल्कि यूपी का पहला घोटाला है. जिसमें कि इतनी बड़ी मात्रा में उज्जवला योजना के सिलेंडर बरामद हुए हैं. यूपी सरकार यदि इस मामले की जांच गंभीरता से करवाएं तो इस घोटाले में कई अधिकारी और जनप्रतिनिधियों की गर्दन फंस सकती है.

Intro:उज्जवला योजना भले ही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट हो। लेकिन बलरामपुर जिले में इसको लेकर ना तो नियमों को ध्यान में रखा गया। ना ही इसके लिए वह जरूरी सावधानियां बरती गई, जिससे इसमें घोटाले और भ्रष्टाचार के मामले ना पनप सकें। इस योजना में प्रशासनिक ढिलाई का अंजाम यह रहा कि उत्तर प्रदेश में इस योजना को लेकर अपने तरीके का पहला घोटाला सामने आया है। बलरामपुर जिले के भारत-नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्र में स्थित ग्रामीण वितरक गैस एजेंसी से उज्जवला योजना के करीब 6000 सिलेंडर बरामद किए गए हैं। यह सभी सिलेंडर गोदाम सहित तीन जगहों पर झाड़ियों व अन्य स्थानों पर छिपाकर रखे गए थे। इस घोटाले में बड़ी बात यह रही है कि इन सिलेंडरों के छुपाए जाने के बाद से किसी को कानों कान की खबर तक नहीं हुई। इस घोटाले की खबर अधिकारियों को भी नहीं लगी। घोटाला तब सामने आया जब स्थानीय लोगों ने भारी मात्रा में सिलेंडर पड़े होने की सूचना जिला प्रशासन और जिला कप्तान को दी मामले सामने आते ही प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। आनन-फानन में गैस एजेंसी को संबंधित सभी सिलेंडरों को इकट्ठा करके उनके बारकोड और नंबरों को मैच करवाने का काम किया जा रहा है। ऑयल कंपनी के साथ-साथ जिला प्रशासन द्वारा एक बड़ी जांच बिठाने की बात कही जा रही है।


Body:असल में, भारत नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्र पर स्थित पचपेड़वा में भार्गव इंडियन ग्रामीण वितरक नाम की एक गैस एजेंसी है। यहां से 6000 की संख्या में भरे हुए और खाली गैस सिलेंडर बरामद किए गए हैं। लोग बताते हैं कि इस घोटाले की शुरुआत तब हुई, जब साल 2016 में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना जिले में लागू की गई। तब गैस एजेंसी द्वारा गांव-गांव में ग्रामीणों को गैस सिलेंडर देने के नाम पर फॉर्म भरवाए गए और जब एजेंसी से वितरक को गैस सिलेंडर, चूल्हा, रेगुलेटर, इत्यादि उपलब्ध करवाया गया। तो एजेंसी ने उन्हें बांटने के बजाय डंप कर लिया। इतना ही नहीं साल 2011 के सेग डेटा के अनुसार, जिन पात्रों का नाम सूची में होता उनसे 500 से 1500 की अवैध वसूली भी की जाती रही। पात्रों के नाम से गैस कनेक्शन जारी हो जाता। तो एजेंसी लाभर्थियों को उन्हें कनेक्शन देने के बजाय भरे गैस सिलेंडरों को डंप करके गैस की कालाबाजारी शुरू कर दी। करीब 2 साल से गरीब परिवार एजेंसी के चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन उन्हें आजतक गैस सिलेंडर नहीं मिला और न ही पासबुक। जिससे अन्य जगहों से लोग अपना रिफिल करवा सकें। लोगों का आरोप है कि उनके गैस कनेक्शन व पासबुक गैस एजेंसी के पास आज भी पड़े हुए हैं। गैस एजेंसी उन्हें जारी ही नहीं कर रही है। इसके एवज में लोगों से गैस एजेंसी ने कई बार रुपए ऐंठे लेकिन आजतक कोई सुनने वाला नहीं है। असल में, उज्जवला योजना के अंतर्गत गरीब महिलाओं को मुफ्त एलपीजी गैस सिलेंडर दिया जाना था। इन गैस सिलेंडरों को भारत-नेपाल के सीमावर्ती इलाकों में बसने वाली थारू जनजाति की महिलाओं सहित अन्य इलाकों में बांटा जाना था। योजना का मूल उद्देश्य महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के साथ-साथ उनकी सेहत की देखभाल करना था। लेकिन बलरामपुर जिले में घोटालेबाज पीएम मोदी की इस योजना को भी मिट्टी में मिला दिया।


Conclusion:घोटाले के सामने आते ही हरकत में आए जिला प्रशासन प्रशासन जिला पूर्ति अधिकारी समेत छह सदस्यों की टीम बनाकर मामले में जांच बिठा दी। तो पता चला कि इस गैस एजेंसी पर तकरीबन 9000 उज्जवला कनेक्शन जारी किए जा चुके हैं। और 691 कनेक्शन नॉर्मल भी जारी किए जा चुके हैं। एजेंसी सीज करने के बाद अभी तक अलग-अलग जगह से छानबीन के दौरान तकरीबन 4000 खाली सिलेंडर और 1500 भरे सिलेंडर बरामद किए जा चुके हैं। पूर्ति विभाग के सूत्रों की मानें तो 3000 से ज्यादा सिलेंडर ऐसे पाए गए हैं, जिसका गैस एजेंसी के पास कोई हिसाब-किताब नहीं है। वहीं अगर जिले के कलेक्टर की माने तो अब तक जांच में कुल 1000 से 1500 सिलेंडर से पाए गए हैं, जिस के संबंध में एजेंसी के पास कोई कागजात नहीं है। हम आपको बताते चलें कि बलरामपुर जिले में हुआ यह उज्जवला घोटाला यूपी का पहला घोटाला है। जिसमें इतनी बड़ी मात्रा में उज्जवला योजना के सिलेंडर बरामदगी हुई है। यूपी सरकार यदि इस मामले की जांच गंभीरता से करवाएं तो इस घोटाले में कई अधिकारी व जनप्रतिनिधियों की गर्दन फंस सकती है। खैर, जो भी हो केंद्र सरकार की इस महत्वपूर्ण योजना का लाभ गरीब महिलाओं की जगह घोटाले बाजों ने उठाया और गरीब महिलाएं आज भी लकड़ी पर अपने आंखों के साथ-साथ अपने स्वास्थ्य का भविष्य भी स्वाहा करती नजर आ रही है। बाईट क्रमश :- 01 :- रामवती, लाभार्थी 02 :- इक़बाल अहमद, सभासद 03 :- कृष्णा करुणेश, जिलाधिकारी बलरामपुर पीटीसी :- योगेंद्र त्रिपाठी
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