बलरामपुर: उज्जवला योजना भले ही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट हो, लेकिन बलरामपुर जिले में इसको लेकर न तो नियमों को ध्यान में रखा गया और न ही इसके लिए सावधानियां बरती गईं. इस योजना में प्रशासनिक ढिलाई का अंजाम यह रहा कि उत्तर प्रदेश में इस योजना को लेकर पहला घोटाला सामने आया है.
घोटाले में बरामद किए गए सिलेंडर
बलरामपुर जिले के भारत-नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र में स्थित ग्रामीण वितरक गैस एजेंसी से उज्जवला योजना के करीब 6000 सिलेंडर बरामद किए गए हैं. यह सभी सिलेंडर गोदाम सहित तीन जगहों पर झाड़ियों और अन्य स्थानों पर छिपाकर रखे गए थे. इस घोटाले में बड़ी बात यह रही यह है कि इन सिलेंडरों के छुपाए जाने के बाद से किसी को कानों-कान खबर तक नहीं हुई.
इस घोटाले की खबर अधिकारियों को भी नहीं लगी. घोटाला तब सामने आया जब स्थानीय लोगों ने भारी मात्रा में सिलेंडर पड़े होने की सूचना जिला प्रशासन और जिला कप्तान को दी. मामला सामने आते ही प्रशासन में हड़कंप मचा गया. सभी सिलेंडरों को इकट्ठा करके उनके बारकोड और नंबरों को मैच करवाने का काम किया जा रहा है. ऑयल कंपनी के साथ-साथ जिला प्रशासन एक बड़ी जांच बैठाने की बात कर रहा है.
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जानिए क्या है प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना
साल 2016 में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना जिले में लागू की गई थी. तब गैस एजेंसी ने गांव-गांव में ग्रामीणों को गैस सिलेंडर देने के नाम पर फॉर्म भरवाए थे. जब एजेंसी से वितरक को गैस सिलेंडर, चूल्हा, रेगुलेटर इत्यादि उपलब्ध करवाया गया तो एजेंसी ने उन्हें बांटने के बजाय डंप कर लिया. साल 2011 के सेग डेटा के अनुसार जिन पात्रों का नाम सूची में था उनसे भी 500 से 1500 की अवैध वसूली भी की जाती रही थी.
एजेंसी ने लाभार्थियों को कनेक्शन देने के बजाय भरे गैस सिलेंडरों को डंप करके गैस की कालाबाजारी शुरू कर दी थी. करीब 2 साल से गरीब परिवार एजेंसी के चक्कर लगाते रहे. उन्हें आजतक गैस सिलेंडर नहीं मिला और न ही पासबुक. गरीबों का आरोप है कि उनके गैस कनेक्शन और पासबुक गैस एजेंसी के पास आज भी पड़े हुए हैं. इसके लिए गैस एजेंसी ने कई बार रुपये भी ऐठे, लेकिन आजतक कोई सुनवाई नहीं हुई. योजना का मूल उद्देश्य महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के साथ-साथ उनकी सेहत की देखभाल करना था लेकिन घोटालेबाजों ने पीएम मोदी की इस योजना को भी मिट्टी में मिला दिया है.
सख्त हुआ प्रशासन और की गई जांच
घोटाले के सामने आते ही जिला प्रशासन, प्रशासन जिला पूर्ति अधिकारी समेत छह सदस्यों की टीम बनाकर मामले में जांच बैठा दी गई है. गैस एजेंसी पर तकरीबन 9000 उज्जवला कनेक्शन जारी किए जा चुके हैं और 691 कनेक्शन नॉर्मल भी जारी किए जा चुके हैं. एजेंसी सीज करने के बाद अभी तक अलग-अलग जगह से छानबीन के दौरान तकरीबन 4000 खाली सिलेंडर और 1500 भरे सिलेंडर बरामद किए जा चुके हैं.
पूर्ति विभाग के सूत्रों की मानें तो 3000 से ज्यादा सिलेंडर ऐसे पाए गए हैं, जिसका गैस एजेंसी के पास कोई हिसाब-किताब ही नहीं है. वहीं अगर जिले के कलेक्टर की माने तो अब तक जांच में कुल 1000 से 1500 सिलेंडर पाए गए हैं. बलरामपुर जिले में हुआ यह उज्जवला घोटाला जिले का ही नहीं बल्कि यूपी का पहला घोटाला है. जिसमें कि इतनी बड़ी मात्रा में उज्जवला योजना के सिलेंडर बरामद हुए हैं. यूपी सरकार यदि इस मामले की जांच गंभीरता से करवाएं तो इस घोटाले में कई अधिकारी और जनप्रतिनिधियों की गर्दन फंस सकती है.