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33 लाख रुपये खर्च करके नगर पालिका ने बनवाया शवदाह गृह, बिल्डिंग नहीं झेल पायी एक आंधी

बलरामपुर जिले के विशुनीपुर गांव में बना शवदाह स्थल शनिवार रात आई तेज आंधी और बारिश के कारण ढह गया. इसे बनवाने में करीब 33 लाख रुपये की लागत आई थी. लेकिन जिस तरह से आंधी और बारिश के बीच यह पूर्ण रूप से ढह गया है, उससे पता चलता है कि इन रुपयों की बंदरबांट की गई थी और महज शो-पीस के तौर पर उसे बना कर खड़ा कर दिया गया था.

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विशुनीपुर शवदाह स्थल
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Published : May 23, 2022, 10:25 PM IST

बलरामपुरः जिला मुख्यालय से महज 3 किलोमीटर दूर स्थित विशुनीपुर गांव में साल 2019 में शव दाह स्थल बनाया गया था. शनिवार रात आई तेज आंधी और बारिश के कारण यह शवदाह स्थल ढह गया. सुबह होते ही ठेकेदार व नगर पालिका परिषद में हड़कंप मच गया. वहीं, आनन-फानन में संबंधित ठेकेदार द्वारा उसका पुनर्निर्माण भी शुरू करा दिया गया है. लेकिन इस निर्माण के ढह जाने से नगर पालिका परिषद में व्याप्त व्यापक भ्रष्टाचार की पोल खुल गयी है.

आपको बता दें कि जिले में पिछले कई दिनों से लगातार तेज आंधी व बारिश का माहौल बना हुआ है. शनिवार की देर रात मुख्यालय पर तेज आंधी व बारिश हुई थी. तेज हवाओं में कई स्थानों पर पेड़ गिरने व विद्युत सप्लाई बाधित होने की सूचना मिली. लेकिन विशुनीपुर इलाके में नगर पालिका परिषद के अंतर्गत करीब 33 लाख रुपये की लागत से दो वर्ष पहले बनवाया गया शवदाह स्थल धराशायी हो गया. दो साल पहले का निर्माण एक तेज आंधी व बरसात नहीं झेल सका, जिस कारण से नगर पालिका परिषद में चल रहे व्यापक भ्रष्टाचार के खेल का राजफाश हो गया.

विशुनीपुर शवदाह स्थल के ढह जाने से जिले में राजनीतिक सरगर्मी भी तेज हो गई, क्योंकि नगर पालिका परिषद के चुनाव अब करीब हैं. ऐसे में आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया. पूरे मामले पर भाजपा जिला मीडिया प्रभारी डीपी सिंह ने कहा कि नगर पालिका परिषद के तहत इस शव दाह स्थल का निर्माण कराया गया था. इसमें करीब 33 लाख रुपये की लागत आई थी. लेकिन जिस तरह से आंधी और बारिश के बीच यह पूर्ण रूप से ढह गया है, उससे पता चलता है कि इन रुपयों की बंदरबांट की गई थी और महज शो-पीस के तौर पर उसे बना कर खड़ा कर दिया गया था. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि जिलाधिकारी को इस मामले पर संज्ञान लेना चाहिए और ऐसे ठेकेदारों के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए, जो श्मशान घाट में भी कमीशन खा जाते हैं. ऐसे भ्रष्ट ठेकेदारों व अधिकारियों समेत नेताओं पर कार्रवाई होनी चाहिए.

पढ़ेंः बलरामपुर अस्पताल में बढ़े 50 बेड, इमरजेंसी के मरीज होंगे भर्ती

कुछ स्थानीय लोगों ने गाजियाबाद में गिरे शव दाह गृह की बिल्डिंग का उदाहरण देते हुए कहा कि गनीमत तो यह रही कि यह ढांचा रात को आई आंधी पानी में गिरा. यदि गाजियाबाद जैसी स्थिति में यह गिरता तो पता नहीं कितने लोगों को चोटें आती और मौत हो जातीं. स्थानीय लोगों ने भी जिलाधिकारी श्रुति से मांग करते हुए कहा है कि जल्द से जल्द इस मामले की जांच करवाई जाए और दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए, क्योंकि यह घटना भ्रष्टाचार और चोरी की हद है.

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बलरामपुरः जिला मुख्यालय से महज 3 किलोमीटर दूर स्थित विशुनीपुर गांव में साल 2019 में शव दाह स्थल बनाया गया था. शनिवार रात आई तेज आंधी और बारिश के कारण यह शवदाह स्थल ढह गया. सुबह होते ही ठेकेदार व नगर पालिका परिषद में हड़कंप मच गया. वहीं, आनन-फानन में संबंधित ठेकेदार द्वारा उसका पुनर्निर्माण भी शुरू करा दिया गया है. लेकिन इस निर्माण के ढह जाने से नगर पालिका परिषद में व्याप्त व्यापक भ्रष्टाचार की पोल खुल गयी है.

आपको बता दें कि जिले में पिछले कई दिनों से लगातार तेज आंधी व बारिश का माहौल बना हुआ है. शनिवार की देर रात मुख्यालय पर तेज आंधी व बारिश हुई थी. तेज हवाओं में कई स्थानों पर पेड़ गिरने व विद्युत सप्लाई बाधित होने की सूचना मिली. लेकिन विशुनीपुर इलाके में नगर पालिका परिषद के अंतर्गत करीब 33 लाख रुपये की लागत से दो वर्ष पहले बनवाया गया शवदाह स्थल धराशायी हो गया. दो साल पहले का निर्माण एक तेज आंधी व बरसात नहीं झेल सका, जिस कारण से नगर पालिका परिषद में चल रहे व्यापक भ्रष्टाचार के खेल का राजफाश हो गया.

विशुनीपुर शवदाह स्थल के ढह जाने से जिले में राजनीतिक सरगर्मी भी तेज हो गई, क्योंकि नगर पालिका परिषद के चुनाव अब करीब हैं. ऐसे में आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया. पूरे मामले पर भाजपा जिला मीडिया प्रभारी डीपी सिंह ने कहा कि नगर पालिका परिषद के तहत इस शव दाह स्थल का निर्माण कराया गया था. इसमें करीब 33 लाख रुपये की लागत आई थी. लेकिन जिस तरह से आंधी और बारिश के बीच यह पूर्ण रूप से ढह गया है, उससे पता चलता है कि इन रुपयों की बंदरबांट की गई थी और महज शो-पीस के तौर पर उसे बना कर खड़ा कर दिया गया था. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि जिलाधिकारी को इस मामले पर संज्ञान लेना चाहिए और ऐसे ठेकेदारों के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए, जो श्मशान घाट में भी कमीशन खा जाते हैं. ऐसे भ्रष्ट ठेकेदारों व अधिकारियों समेत नेताओं पर कार्रवाई होनी चाहिए.

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कुछ स्थानीय लोगों ने गाजियाबाद में गिरे शव दाह गृह की बिल्डिंग का उदाहरण देते हुए कहा कि गनीमत तो यह रही कि यह ढांचा रात को आई आंधी पानी में गिरा. यदि गाजियाबाद जैसी स्थिति में यह गिरता तो पता नहीं कितने लोगों को चोटें आती और मौत हो जातीं. स्थानीय लोगों ने भी जिलाधिकारी श्रुति से मांग करते हुए कहा है कि जल्द से जल्द इस मामले की जांच करवाई जाए और दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए, क्योंकि यह घटना भ्रष्टाचार और चोरी की हद है.

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