बलरामपुरः एक तरफ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अधिकारियों को भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे पर जीरो टॉलरेंस अपनाने व लापरवाही न करने की लगातार सख्त आदेश दे रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ ग्रामीण विकास विभाग लगातार सूबे के मुख्य योगी आदित्यनाथ के आदेशों को ठेंगा दिखाकर भ्रष्टाचार का पालन पोषण कर रहा है. जिले के तमाम ग्रामसभाओं में विकास कार्य को लेकर जमकर भ्रष्टाचार का गेम खेला जा रहा है. ताजा भ्रष्टाचार का मामला बलरामपुर से है. जहां ग्राम प्रधान और सचिव ने मिलकर 6.80 लाख रुपए डकार लिए.
बलरामपुर जिले के गैसड़ी ब्लॉक के सेमरी ग्राम सभा में भ्रष्टाचार को लेकर शिकायतकर्ता का आरोप है कि ग्रामसभा के तमाम विकास कार्यों के लिए कुल 8 लाख का प्रस्ताव ग्राम सभा सचिव व ग्राम प्रधान द्वारा जिला प्रशासन को भेजा गया, जिनमें से 6.80 लाख के करीब निकाल लिया गया. रुपए को ग्राम सभा में नलों को रिबोर करवाना, नलों की मरम्मत करवाना, सड़कों की पटाई व ग्रामसभा में स्ट्रीट लाइट लगवाया जाना था लेकिन ग्राम सभा में इस तरह का कोई कार्य किया ही नहीं गया.
ग्राम सभा में रहने वाले लोगों ने बताया कि जिन-जिन कामों का प्रस्ताव भेजकर पैसा उठाया गया है. उन कार्यों को या तो बिल्कुल नहीं करवाया गया और जो काम करवाए भी गए उनमें खानापूर्ति की ग्राम सभा में महज चार हैंडपंपों का रिबोर और मरमत करवाया गया है. ग्राम सभा के किसी भी खंभे पर स्ट्रीट लाइट नहीं लगी हुई है. हम लोग बल्ब लगाकर किसी तरह जंगली जानवरों से बचाव करते हैं. सड़क भी नहीं पटवाई गई है.
ग्रामीणों ने कहा कि जब मामले की जांच के लिए शिकायतकर्ता ने अधिकारियों का दरवाजा खटखटाना शुरू किया तो पहले हीला हवाली की गई लेकिन अब एडीओ पंचायत द्वारा ग्राम सभा अध्यक्ष और ग्राम सभा सचिव के खिलाफ शिकायती पत्र पर जांच करवाई जा रही है.
ग्राम सभा अध्यक्ष प्रतिनिधि शमशेर खान ने बताया कि इन कार्यों का प्रस्ताव भेजा गया है ना कि इन पर पैसा उठाया गया है. हम लोग कार्य करवा रहे हैं. जैसे ही कार्य खत्म होगा. शासन द्वारा हमें पैसा निर्गत किया जाएगा.
पूरे मामले को लेकर डीपीआरओ नीलेश प्रताप सिंह ने बताया कि ग्राम सभा सेमरी में विकास कार्यों के लिए 8 लाख रुपए के प्रस्ताव को भेजा गया था. जिनमें से 6.80 हजार रुपए खर्च करके बिल प्राप्त कर लिया गया है. मामले में कार्य ना करवाए जाने और भ्रष्टाचार होने की बात को प्रकाश में आया है. एडीओ पंचायत द्वारा जांच करवा कर न केवल कार्यों को पूर्ण करवाया जाएगा बल्कि यदि कोई दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी.
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