ETV Bharat / state

बलरामपुर: नीति आयोग के दो साल प्राइमरी एजुकेशन पर काम करने के बाद भी शिक्षा की स्थिति दयनीय

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों की शिक्षा की स्थिति अत्यंत दयनीय है. शिक्षा के लिए ही काम कर रही नीति आयोग भी दो साल से जिले में कुछ कर न सकी. वहीं जिलाधिकारी का कहना है कि बच्चों के लिए अब स्मार्ट क्लासेज शुरू कराने की बात की जा रही है.

प्राथमिक विद्यालय की शिक्षा स्तर है दयनीय
author img

By

Published : Aug 22, 2019, 12:13 PM IST

बलरामपुर: जिले में स्थित 2232 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए प्रशासन लगातार प्रयास कर रहा है बावजूद इसके स्थिति बहुत दयनीय है. 2 साल से काम कर रही केंद्र सरकार की नीति आयोग और उसके सहयोगी संस्थान भी बच्चों की शिक्षा में कोई बदलाव न ला सके.

जानकारी देते जिलाधिकारी.

इसे भी पढ़ें :- बलरामपुर में हाशिये पर शिक्षा व्यवस्था, शिक्षामित्र के सहारे चल रहा स्कूल

शिक्षा का ग्राउंड स्तर है जीरो-

जिले में कुल 1575 प्राथमिक विद्यालय हैं, जबकि 646 उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं. इन विद्यालयों में तकरीबन सवा दो लाख से ज्यादा बच्चे अध्ययनरत हैं. शिक्षा के लिए नीति आयोग की तमाम कोशिशों के तहत पीरामल फाउंडेशन, प्रथम फाउंडेशन और अन्य कई समाजसेवी संगठनों ने बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का दावा किया है जो सच होता नहीं दिख रहा.

तुलसीपुर शिक्षा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले करण गांव प्राथमिक विद्यालय के पांचवी कक्षा में पढ़ने वाले बच्चे दूसरी कक्षा के मामूली सवालों के जवाब नहीं दे पाते. स्थिति ऐसी है कि न तो बच्चों को सही से पढ़ना आता है और न ही लिखना.

थर्ड पार्टी इन्वेस्टिगेटर है शिक्षा में सहायक

जिलाधिकारी का कहना है कि कमजोर बच्चों को थर्ड पार्टी इन्वेस्टिगेटर के माध्यम से पढ़ाई में सुधार लाया जाएगा. इसके तहत अगर दूसरी कक्षा में पढ़ने वाला विद्यार्थी पहली कक्षा के सवालों का जवाब नहीं दे पाता तो उसको पहले पहली कक्षा के स्तर से पढ़ाया जाएगा. पिछले जनवरी से जिले में बच्चों की शैक्षणिक गुणवत्ता को सुधारने के लिए कई काम किए जा रहे हैं. प्राथमिकता के तौर पर छात्र-शिक्षक अनुपात को पहले सही किया गया है और इसके लिए तकरीबन एक हजार से ज्यादा शिक्षकों की नियुक्ति की गई है.

बच्चों की शिक्षा को रोचक और बेहतर बनाने के लिए प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के तहत जिले के एक हजार से अधिक प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में स्मार्ट क्लासेस की सुविधाओं को शुरू करने की बात भी की जा रही है. इसके लिए टीचर्स की ट्रेनिंग करवाई जा रही है. जैसे ही ट्रेनिंग पूरी हो जाएगी, बच्चों को ऑडियो-विजुअल के माध्यम से पढ़ाई करने का मौका मिलेगा, जिससे वह तेजी से सीख सकेंगे.
-कृष्णा करुणेश, जिलाधिकारी

बलरामपुर: जिले में स्थित 2232 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए प्रशासन लगातार प्रयास कर रहा है बावजूद इसके स्थिति बहुत दयनीय है. 2 साल से काम कर रही केंद्र सरकार की नीति आयोग और उसके सहयोगी संस्थान भी बच्चों की शिक्षा में कोई बदलाव न ला सके.

जानकारी देते जिलाधिकारी.

इसे भी पढ़ें :- बलरामपुर में हाशिये पर शिक्षा व्यवस्था, शिक्षामित्र के सहारे चल रहा स्कूल

शिक्षा का ग्राउंड स्तर है जीरो-

जिले में कुल 1575 प्राथमिक विद्यालय हैं, जबकि 646 उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं. इन विद्यालयों में तकरीबन सवा दो लाख से ज्यादा बच्चे अध्ययनरत हैं. शिक्षा के लिए नीति आयोग की तमाम कोशिशों के तहत पीरामल फाउंडेशन, प्रथम फाउंडेशन और अन्य कई समाजसेवी संगठनों ने बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का दावा किया है जो सच होता नहीं दिख रहा.

तुलसीपुर शिक्षा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले करण गांव प्राथमिक विद्यालय के पांचवी कक्षा में पढ़ने वाले बच्चे दूसरी कक्षा के मामूली सवालों के जवाब नहीं दे पाते. स्थिति ऐसी है कि न तो बच्चों को सही से पढ़ना आता है और न ही लिखना.

थर्ड पार्टी इन्वेस्टिगेटर है शिक्षा में सहायक

जिलाधिकारी का कहना है कि कमजोर बच्चों को थर्ड पार्टी इन्वेस्टिगेटर के माध्यम से पढ़ाई में सुधार लाया जाएगा. इसके तहत अगर दूसरी कक्षा में पढ़ने वाला विद्यार्थी पहली कक्षा के सवालों का जवाब नहीं दे पाता तो उसको पहले पहली कक्षा के स्तर से पढ़ाया जाएगा. पिछले जनवरी से जिले में बच्चों की शैक्षणिक गुणवत्ता को सुधारने के लिए कई काम किए जा रहे हैं. प्राथमिकता के तौर पर छात्र-शिक्षक अनुपात को पहले सही किया गया है और इसके लिए तकरीबन एक हजार से ज्यादा शिक्षकों की नियुक्ति की गई है.

बच्चों की शिक्षा को रोचक और बेहतर बनाने के लिए प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के तहत जिले के एक हजार से अधिक प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में स्मार्ट क्लासेस की सुविधाओं को शुरू करने की बात भी की जा रही है. इसके लिए टीचर्स की ट्रेनिंग करवाई जा रही है. जैसे ही ट्रेनिंग पूरी हो जाएगी, बच्चों को ऑडियो-विजुअल के माध्यम से पढ़ाई करने का मौका मिलेगा, जिससे वह तेजी से सीख सकेंगे.
-कृष्णा करुणेश, जिलाधिकारी

Intro:जिले के 2232 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ाई करने वाले सवा दो लाख नौनिहालों को उच्चस्तरीय प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने के लिए तमाम तरह के दावे और तमाम तरह की कवायदें की जा रही है। इसके जरिए लक्ष्य है कि गरीब परिवेश से आने वाले नौनिहालों को उच्च स्तरीय शिक्षा दिलाकर, इनके भविष्य को संवारा और सुधारा जा सके। इसलिए न केवल केंद्र सरकार एड़ी चोटी का जोर लगाते हुए नीति आयोग और उसके सहयोगी संस्थानों के साथ अति महत्वाकांक्षी जिले बलरामपुर में काम कर रहा है। बल्कि राज्य सरकार द्वारा भी छात्र-शिक्षक अनुपात को सुधारने के लिए तमाम शिक्षकों की नियुक्तियां तक कर डाली गई है। लेकिन जमीन पर स्थिति अभी भी बदरंग नजर आती है।


Body:जिले में कुल 1575 प्राथमिक विद्यालय हैं जबकि 646 उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं। इन विद्यालयों में तकरीबन सवा दो लाख से ज्यादा बच्चे अध्ययनरत हैं। इनकी शैक्षिक गुणवत्ता को सुधारने के लिए बलरामपुर जिले जैसे अतिमहत्वाकांक्षी जिले में नीति आयोग द्वारा तमाम तरह की कोशिशें की जा रही हैं। इन कोशिशों के तहत पीरामल फाउंडेशन, प्रथम फाउंडेशन व अन्य कई समाजसेवी संगठनों द्वारा तमाम तरह की बच्चों को उच्च गुणवत्ता युक्त शिक्षा देने के काम को आगे बढ़ाने का दावा किया जा रहा है। लेकिन यह दावा जमीन पर उतर का नजर नहीं आ रहा। तभी तो पांचवी कक्षा में पढ़ाई करने वाले बच्चे पहली या दूसरी कक्षा के मामूली सवालों का जवाब तक नहीं दे पाते। स्थिति यह है कि ना तो सही से पढ़ना आता है और ना ही बोलना और लिखना। ग्रामीण परिवेश से आने वाले बच्चे आज भी खड़ी बोली में बात तक नहीं कर पाते।
तुलसीपुर शिक्षा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले करण गांव प्राथमिक विद्यालय में जब हमने स्थिति को जानने की कोशिश की तो जो सामने निकल कर आया। वह वाकई में चिंताजनक लगा। पांचवीं में पढ़ने वाले बच्चों से हमने 2 को 2 से गुणा करने जैसे मामूली सवाल पूछे और बच्चे उनका जवाब तक नहीं दे सके। वहीं, अगर अंग्रेजी और हिंदी के शिक्षा की बात की जाए तो बच्चे मामूली तौर पर छोटे-छोटे शब्दों का स्पेलिंग तक नहीं बता सके। कुछ बच्चे ऐसे थे, जो अपने स्कूल के सबसे तेज तर्रार बच्चों में से एक थे। लेकिन वह भी मामूली सवालों का जवाब नहीं दे सके।


Conclusion:जब बच्चों की शैक्षणिक गुणवत्ता के सवालों पर हमने जिलाधिकारी कृष्णा करने से बात किया तो उन्होंने कहा कि पिछले जनवरी से जिले में बच्चों के शैक्षणिक गुणवत्ता को सुधारने के लिए कई काम किए जा रहे हैं। प्राथमिकता के तौर पर छात्र शिक्षक अनुपात को पहले सही किया गया है और इसके लिए तकरीबन एक हजार से ज्यादा शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। ऐसे बच्चों को थर्ड पार्टी इन्वेस्टिगेटर के माध्यम से बाहर निकालने की बात की जा रही है। जिसमें यह जांचा जाता है कि दूसरी कक्षा में पढ़ने वाला बच्चा पहली कक्षा के सवालों का जवाब दे पाता है या नहीं अगर वह नहीं दे पाता। तो उसे पहले पहली कक्षा की चीजों को समझाया जाता है। फिर उसे आगे के लिए बढ़ाया जाता है।
जिलाधिकारी कृष्णा करने से कहा कि बच्चों की शिक्षा को रोचक और बेहतर बनाने के लिए प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के तहत जिले के एक हजार से ज्यादा प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में स्मार्ट क्लासेस की सुविधाओं को शुरू करने की बात भी की जा रही है। जिसमें से कुछ स्कूलों में स्मार्ट क्लासेस लगने शुरू भी हो गए हैं। टीचर्स की ट्रेनिंग करवाई जा रही है। जैसे ही ट्रेनिंग पूरी हो जाएगी बच्चों को ऑडियो-विजुअल के माध्यम से पढ़ाई करने का मौका मिलेगा, जिससे वह तेजी से सीख सकेंगे।
उन्होंने कहा कि इस बार हम क्लास टू क्लास रेश्यो में 50% से नीचे रहे हैं, जोकि अच्छी स्थिति नहीं है। लेकिन इस साल हमारी कोशिश रहेगी कि हम इस स्थिति से उबर सके और जिले को 75% क्लास टू क्लास रेश्यो में आगे बढ़ा सके यानी जिले भर के 75% बच्चे ऐसे हैं। जो दूसरी कक्षा में पढ़ रहे हो। लेकिन उन्हें पहली कक्षा की सारी चीजें पता हों।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.