बलरामपुर: स्वास्थ्य विभाग और प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल (पीसीआई) के संयुक्त तत्वावधान में सीएमओ कार्यालय में बैठक आयोजित की गई. इस दौरान फाइलेरिया बीमारी को जड़ से खत्म करने को लेकर चर्चा की गई.
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने धर्मगुरूओं से अपील करते हुए कहा कि समाज में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है. यदि धर्मगुरू लोगों को फाइलेरिया की दवा खाने के लिए प्रेरित करेंगें, तो वे बढ़-चढ़कर इस अभियान में हिस्सा लेंगे और जैसे हम पोलियो को हराने में कामयाब रहे हैं. उसी तरह इस रोग को हरा पाएंगे.
पाथ फाउंडेशन के राज्य प्रतिनिधि डॉ. शोएब अनवर ने बताया कि यह रोग मादा क्यूलेक्स मच्छर काटने से फैलता है. यह बीमारी हाइड्रोसील और हाथीपांव के रूप में कई साल बाद दिखाई पड़ती है. बीमारी बढ़ने पर व्यक्ति चलने-फिरने के काबिल नहीं बचता. उन्होंने कहा कि कुछ दिनों पहले जिले में नाइट ब्लड सर्वे के दौरान 10 केस सामने आये हैं. जिनमें माइक्रो फाइलेरिया का लक्षण पाया गया है.
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उन्होंने बताया कि जिले में करीब तीन प्रतिशत यानि 75 हजार लोग ऐसे हैं जिनमें इस रोग की संभावना है. इस कारण 17 से 29 फरवरी तक चलने वाले 'मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन' (एमडीए) के दौरान लगभग सभी व्यक्ति को इस दवा का सेवन करना जरूरी है.
नोडल अधिकारी डॉ. एके पाण्डेय ने बताया कि फाइलेरिया को जड़ से खत्म करने के लिए जिले में चलने वाले अभियान के लिए कुल 1938 टीमें बनाई गई हैं. अभियान में आशा, एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का भी महत्वपूर्ण योगदान है.