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बलरामपुर में शुरू हुई बीट पुलिसिंग, डीआईजी बोले पुख्ता होगी सुरक्षा व्यवस्था

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में देवीपाटन मंडल के पुलिस उप महानिरीक्षक डॉ. राकेश सिंह ने ईटीवी भारत से तमाम मुद्दों पर खास बातचीत की. डॉ. राकेश सिंह वन स्टॉप सेंटर और आधुनिक बीट पुलिसिंग का शुभारंभ करने बलरामपुर पहुंचे थे.

देवीपाटन मंडल के डीआईजी डॉ. राकेश सिंह से बातचीत
देवीपाटन मंडल के डीआईजी डॉ. राकेश सिंह से बातचीत
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Published : Jun 15, 2020, 2:21 PM IST

बलरामपुर: वन स्टॉप सेंटर और आधुनिक बीट पुलिसिंग का शुभारंभ करने बलरामपुर जिले के दौरे पर पहुंचे देवीपाटन मंडल के पुलिस उप महानिरीक्षक डॉ. राकेश सिंह ने ईटीवी भारत से तमाम मुद्दों पर खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने न केवल वन स्टॉप सेंटर और बीट पुलिसिंग के महत्व को समझाया. साथ ही सादुल्लानगर के रहने वाले अनवर अली के शव के साथ स्थानीय प्रशासन द्वारा बेअदबी किए जाने के मामले में जांच के बाद कठोरतम कार्रवाई की बात कही.

देवीपाटन मंडल के डीआईजी डॉ. राकेश सिंह से बातचीत

बीट पुलिस के जरिए प्रत्येक व्यक्ति की सुनवाई हो सकेगी

डीआईजी डॉ. राकेश सिंह ने बीट पुलिसिंग के बारे में बात करते हुए कहा कि बीट सिस्टम को आधुनिक बनाने के लिए थानावार बीटों का बंटवारा किया गया है और हर बीट में दो आरक्षियों को रखा गया है. इसके गठन के लिए प्रदेश के पुलिस महानिदेशक का एक सर्कुलर जारी हुआ था, जिसमें इसको एक नए स्वरूप में स्थापित करना था. उन्होंने कहा कि आम आदमी के लिए बीट पुलिसिंग टीम इस तरह काम करेगी कि किसी थाने का क्षेत्र बड़ा होता है और हर आदमी तक पुलिस की पहुंच नहीं होती, लेकिन बीट पुलिस के जरिए प्रत्येक व्यक्ति की सुनवाई हो सकेगी और उसे वह सुविधाएं मिल अपने ही क्षेत्र में मिल सकेगी, जो थानों में पहुंचने के बाद मिलती हैं.

बलरामपुर में वन स्टॉप सेंटर की शुरुआत

पुलिस उपमहानिरीक्षक ने वन स्टॉप सेंटर के बारे में बात करते हुए कहा कि तमाम तरह की अपराध पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए और उनके पुनर्वास के लिए जिस तरह से भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार एसओपी जारी करते हुए वन स्टॉप सेंटर की परिकल्पना की थी, उसी आधार पर बलरामपुर में वन स्टॉप सेंटर की शुरुआत की गई है. उन्होंने कहा कि वन स्टॉप सेंटर को वह मंडल के सभी जिलों में बनाने की कवायद तेज कर देंगे, जिसके जरिए किसी भी तरह के अपराध से पीड़ित होकर आने वाली महिलाओं को न केवल तेजी के साथ न्याय मिल सके, बल्कि उन्हें पुनर्वास करके मुख्यधारा की जिंदगी में वापस लौटाया जा सके. डीआईजी ने कहा कि सखी सेंटर में आने वाली महिलाओं या लड़कियों को कानूनी सहायता, पुलिस सहायता, मेडिकल सहायता और काउंसलिंग इत्यादि की सहायता मिल सकेगी. जिसके जरिए वह न केवल खुद के प्रति होने वाले अपराधों पर अंकुश लगा सकेगी, बल्कि एक ही छत के नीचे उन्हें सभी तरह की सहायता मिलने के कारण काफी आसानी भी होगी.

इसे भी पढ़ें- प्रयागराज: 'इंटरनेशनल गूगल प्रतियोगिता' में कार्तिक अग्रवाल ने दर्ज किया पहला स्थान


अपराध के नियंत्रण के लिए हो रहा काम

उन्होंने कहा कि, अपराध के नियंत्रण के लिए सभी थाने काम कर रहे हैं. बीट पुलिसिंग के माध्यम से डाटा इकट्ठा किया जा रहा है, लेकिन अभी तक इस तरह की कोई बड़ी घटना सामने नहीं आई है, जिसमें बड़ी-बड़ी जन या धन हानि हुई हो, फिर भी थानावार यह कोशिश की जा रही है कि इस तरह के छोटे-मोटे अपराधों को रोका जा सके. राकेश सिंह ने कहा कि फिलहाल अभी बाहर से आए लोगों के कारण कोई बड़ी समस्या पैदा नहीं हुई है. हम उनकी मनोदशा को समझते हुए उनके लिए सौहार्द का वातावरण बना रहे हैं, जिसके जरिए उन्हें न केवल रोजगार मिल सके, बल्कि ग्राम प्रहरी और ग्राम सुरक्षा समितियों के द्वारा उनकी सहायता भी की जा सके.

इसे भी पढ़ें- अम्बेडकरनगर: फर्जी डिग्री के सहारे नौकरी कर रही सपा नेता की पत्नी बर्खास्त


कूड़े में शव डालने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों को किया गया निलंबित

कूड़े में शव डालने के मामले पर बात करते हुए डीआईजी राकेश सिंह ने कहा कि यह घटना पूरी तरह से असंवेदनशीलता की परिचायक रही. इस घटना में शामिल कर्मचारियों और अधिकारियों को निलंबित करके दंडित कर दिया गया है और जांच के बाद आगे भी उन्हें कठोर दंड दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि इन जैसे मामलों में सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को संवेदनशील होने की आवश्यकता है.

बलरामपुर: वन स्टॉप सेंटर और आधुनिक बीट पुलिसिंग का शुभारंभ करने बलरामपुर जिले के दौरे पर पहुंचे देवीपाटन मंडल के पुलिस उप महानिरीक्षक डॉ. राकेश सिंह ने ईटीवी भारत से तमाम मुद्दों पर खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने न केवल वन स्टॉप सेंटर और बीट पुलिसिंग के महत्व को समझाया. साथ ही सादुल्लानगर के रहने वाले अनवर अली के शव के साथ स्थानीय प्रशासन द्वारा बेअदबी किए जाने के मामले में जांच के बाद कठोरतम कार्रवाई की बात कही.

देवीपाटन मंडल के डीआईजी डॉ. राकेश सिंह से बातचीत

बीट पुलिस के जरिए प्रत्येक व्यक्ति की सुनवाई हो सकेगी

डीआईजी डॉ. राकेश सिंह ने बीट पुलिसिंग के बारे में बात करते हुए कहा कि बीट सिस्टम को आधुनिक बनाने के लिए थानावार बीटों का बंटवारा किया गया है और हर बीट में दो आरक्षियों को रखा गया है. इसके गठन के लिए प्रदेश के पुलिस महानिदेशक का एक सर्कुलर जारी हुआ था, जिसमें इसको एक नए स्वरूप में स्थापित करना था. उन्होंने कहा कि आम आदमी के लिए बीट पुलिसिंग टीम इस तरह काम करेगी कि किसी थाने का क्षेत्र बड़ा होता है और हर आदमी तक पुलिस की पहुंच नहीं होती, लेकिन बीट पुलिस के जरिए प्रत्येक व्यक्ति की सुनवाई हो सकेगी और उसे वह सुविधाएं मिल अपने ही क्षेत्र में मिल सकेगी, जो थानों में पहुंचने के बाद मिलती हैं.

बलरामपुर में वन स्टॉप सेंटर की शुरुआत

पुलिस उपमहानिरीक्षक ने वन स्टॉप सेंटर के बारे में बात करते हुए कहा कि तमाम तरह की अपराध पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए और उनके पुनर्वास के लिए जिस तरह से भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार एसओपी जारी करते हुए वन स्टॉप सेंटर की परिकल्पना की थी, उसी आधार पर बलरामपुर में वन स्टॉप सेंटर की शुरुआत की गई है. उन्होंने कहा कि वन स्टॉप सेंटर को वह मंडल के सभी जिलों में बनाने की कवायद तेज कर देंगे, जिसके जरिए किसी भी तरह के अपराध से पीड़ित होकर आने वाली महिलाओं को न केवल तेजी के साथ न्याय मिल सके, बल्कि उन्हें पुनर्वास करके मुख्यधारा की जिंदगी में वापस लौटाया जा सके. डीआईजी ने कहा कि सखी सेंटर में आने वाली महिलाओं या लड़कियों को कानूनी सहायता, पुलिस सहायता, मेडिकल सहायता और काउंसलिंग इत्यादि की सहायता मिल सकेगी. जिसके जरिए वह न केवल खुद के प्रति होने वाले अपराधों पर अंकुश लगा सकेगी, बल्कि एक ही छत के नीचे उन्हें सभी तरह की सहायता मिलने के कारण काफी आसानी भी होगी.

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अपराध के नियंत्रण के लिए हो रहा काम

उन्होंने कहा कि, अपराध के नियंत्रण के लिए सभी थाने काम कर रहे हैं. बीट पुलिसिंग के माध्यम से डाटा इकट्ठा किया जा रहा है, लेकिन अभी तक इस तरह की कोई बड़ी घटना सामने नहीं आई है, जिसमें बड़ी-बड़ी जन या धन हानि हुई हो, फिर भी थानावार यह कोशिश की जा रही है कि इस तरह के छोटे-मोटे अपराधों को रोका जा सके. राकेश सिंह ने कहा कि फिलहाल अभी बाहर से आए लोगों के कारण कोई बड़ी समस्या पैदा नहीं हुई है. हम उनकी मनोदशा को समझते हुए उनके लिए सौहार्द का वातावरण बना रहे हैं, जिसके जरिए उन्हें न केवल रोजगार मिल सके, बल्कि ग्राम प्रहरी और ग्राम सुरक्षा समितियों के द्वारा उनकी सहायता भी की जा सके.

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कूड़े में शव डालने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों को किया गया निलंबित

कूड़े में शव डालने के मामले पर बात करते हुए डीआईजी राकेश सिंह ने कहा कि यह घटना पूरी तरह से असंवेदनशीलता की परिचायक रही. इस घटना में शामिल कर्मचारियों और अधिकारियों को निलंबित करके दंडित कर दिया गया है और जांच के बाद आगे भी उन्हें कठोर दंड दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि इन जैसे मामलों में सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को संवेदनशील होने की आवश्यकता है.

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