बलरामपुर: जिले के डाक्टरों ने प्रण किया है कि जिले को कुपोषण मुक्त बनाएंगे. बुधवार को एक होटल में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी का एसडीएम ने दीप प्रज्वलित कर शुभारम्भ किया. संगोष्ठी में अधिकारियों और वक्ताओं ने मंच से एक सुर में पोषण की बारीकियों को समझाते हुए जिले से कुपोषण को मुक्त करने का संकल्प लिया.
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गर्भवती और धात्री महिलाओं का रखें ख्यालः CMO
इस अवसर पर बलरामपुर के सीएमओ डॉ. विजय बहादुर सिंह ने आंगनबाड़ी वर्करों के सहयोग की सराहना करते हुए कहा कि गृह भ्रमण के दौरान सभी फ्रंटलाइन वर्कर गर्भवती महिलाओं, नवजातों, जन्म के बाद मां और उसके बच्चे का ख्याल रखें. कार्यकर्ता परिवार को प्रेरित करें कि वे गर्भवती महिला की प्रसव पूर्व 4 एएनसी जांच जरूर करवाएं. गर्भवती और धात्री महिलाओं को कैल्शियम और आयरन की गोली का सेवन करने के लिए प्रेरित करें और उनके संस्थागत प्रसव पर बल दें.
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जच्चा,बच्चा का उचित देखभाल जरूरीः SDM
सदर एसडीएम अरूण कुमार गौड़ ने कहा कि गर्भ में बच्चों का तेजी से शारीरिक और मानसिक विकास होता है. इस दौरान उचित स्वास्थ्य पर्याप्त पोषण, प्यार भरा व तनाव मुक्त माहौल के साथ सही देखभाल बच्चे का पूरा विकास करने में मदद करते हैं. इस समय मां और नवजात को सही पोषण व खास देखभाल की जरूरत होती है. पूरे परिवार को गर्भावस्था के दौरान महिला और जन्म के बाद जच्चा व बच्चे का उचित देखभाल करना चाहिए.
नवजात की 40 से 60 पल्स होती है नार्मलः डॉ. महेश वर्मा
जिला महिला चिकित्सालय के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. महेश वर्मा ने बच्चों में निमोनिया के बारे में बताते हुए कहा कि बैक्टीरियल, वायरल और फंगल तीन प्रकार का निमोनिया होता है. सिर्फ सांसों का तेज चलना निमोरिया की निशानी नहीं है. खांसी के साथ बुखार आना भी निमोनिया की निशानी हो सकती है. नवजात में 40 से 60 पल्स नार्मल होती है. इससे ऊपर पसली चलना निमोनिया की निशानी हो सकती है.
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सिर्फ 6.5 प्रतिशत बच्चों को मिलता है उचित आहारः CDPO
सीडीपीओ बलरामपुर देहात राकेश शर्मा ने कहा कि जिले में 06 माह से 02 साल तक के सिर्फ 6.5 प्रतिशत बच्चों को पर्याप्त ऊपरी आहार मिल पाता है. किशोरियों के खान पान पर ध्यान नहीं दिया जाता. इसके कारण शादी के बाद वह एनीमिया का शिकार हो जाती हैं और इसका सीधा प्रभाव उनके होने वाले बच्चे पर पड़ता है. सही पोषण नहीं मिलने के कारण जच्चा और बच्चा दोनों की जान पर खतरा बना रहता है.
संगोष्ठी में मौजूद अधिकारियों व फ्रंटलाइन वर्कर्स ने यह संकल्प दोहराया कि वह अपनी सूझबूझ और सही स्वास्थ्य मानकों का प्रयोग करते हुए जिले को कुपोषण से मुक्त करवाएंगे. जिले में अभी हर 10 में से 6 बच्चे कुपोषित बताया जाता है. नीति आयोग व उत्तर प्रदेश सरकार मिलकर जिले से कुपोषण को मिटाने के लिए तमाम तरह के प्रयास कर रहे हैं.