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जानें कैसी है बलरामपुर जिले में 'आत्मनिर्भर अभियान' की स्थिति

वैश्विक महामारी कोरोना ने बहुत कुछ बदलकर रख दिया है. जो लोग अपनी आजीविका के लिए दूसरे शहरों में रहते थे, वे अब अपने घरों के लिए वापस आ चुके हैं. ऐसे में अब उनके पास काम न होने की वजह से रोटी की समस्या खड़ी हो रही है. इसकी सुध लेते हुए केंद्र की मोदी और प्रदेश की योगी सरकार ने बड़े पैमाने पर प्रवासी श्रमिकों का स्किल असेसमेंट व मैपिंग का काम मुहैया कराया है.

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Published : Jul 5, 2020, 7:44 PM IST

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बलरामपुर में आत्मनिर्भर अभियान.

बलरामपुर: जिले में आत्मनिर्भर अभियान के तहत बड़े पैमाने पर बाहर से आए श्रमिकों का पंजीकरण किया गया है, जिनके लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है, पहले इन्हें बड़े पैमाने पर कुशल बनाया जाएगा. इसके लिए जिला प्रशासन सीएसआर के साथ मिलकर स्किल सेंटर खोलने और इन्हें प्रशिक्षित करने की बात पर अमल कर रहा है.

कोरोना काल के शुरू के बाद अभी तक बलरामपुर जिले में तकरीबन 80 हजार प्रवासी मजदूर या कामगार अन्य प्रदेशों व जिलों से आएं हैं. इनके भरण पोषण के लिए सरकार ने बड़े पैमाने पर राशन, एक हजार रुपये और काम की व्यवस्था की है. इसके साथ ही यहां रहने वाली महिलाओं के जनधन खाते में 500-500 रुपए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से भेजा जा चुका है. 10-15 हजार रुपये पर दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, सूरत, हैदराबाद व चेन्नई जैसे बड़े शहरों में काम करने वाले लोगों को केंद्र व उत्तर प्रदेश की सरकार द्वारा संचालित इन योजनाओं से लाभ मिलता दिख रहा है. अभी कुछ दिनों पहले ही शुरू हुई आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश रोजगार योजना बलरामपुर जिले में प्रवासी श्रमिकों के लिए राहत देने का काम कर रही है.

बलरामपुर में आत्मनिर्भर अभियान.

लॉकडाउन के दौरान बाहर से आए 48,000 से ज्यादा प्रवासी श्रमिकों को जहां त्वरित गति से मनरेगा में काम दिया गया. वहीं, कुशल व अकुशल श्रमिकों का डाटा तैयार कर उन्हें काम देने की तैयारी की जा रही है. जनधन खाते से मिले पैसों व मुफ्त राशन पाकर लाभार्थियों ने इसके लिए सरकार का आभार प्रकट किया है.

जिला उद्योग केंद्र के उपायुक्त हर्ष प्रताप सिंह ने कहा कि प्रवासी श्रमिकों का डाटा तैयार किया जा रहा है, जिन्हें जिले में चल रहे छोटे-छोटे उद्योगों में उनके कार्य कुशलता के अनुसार काम दिलाया जाएगा. जिले के मुख्य विकास अधिकारी अमनदीप डुली ने बताया कि मनरेगा के तहत प्रवासी श्रमिकों को तुरंत काम देकर उनको बेरोजगारी से राहत दी गई है.

आगे देखने वाली बात होगी कि सरकार इतनी बड़ी संख्या में आए प्रवासियों का पलायन अपनी रोजगार योजनाओं से किस तरह से रोकती है. साथ ही कुशल या अकुशल मजदूरों को नियमित तौर पर रोजगार उपलब्ध करवाने की चुनौती को सरकार किस तरह से लेती है.

बलरामपुर: जिले में आत्मनिर्भर अभियान के तहत बड़े पैमाने पर बाहर से आए श्रमिकों का पंजीकरण किया गया है, जिनके लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है, पहले इन्हें बड़े पैमाने पर कुशल बनाया जाएगा. इसके लिए जिला प्रशासन सीएसआर के साथ मिलकर स्किल सेंटर खोलने और इन्हें प्रशिक्षित करने की बात पर अमल कर रहा है.

कोरोना काल के शुरू के बाद अभी तक बलरामपुर जिले में तकरीबन 80 हजार प्रवासी मजदूर या कामगार अन्य प्रदेशों व जिलों से आएं हैं. इनके भरण पोषण के लिए सरकार ने बड़े पैमाने पर राशन, एक हजार रुपये और काम की व्यवस्था की है. इसके साथ ही यहां रहने वाली महिलाओं के जनधन खाते में 500-500 रुपए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से भेजा जा चुका है. 10-15 हजार रुपये पर दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, सूरत, हैदराबाद व चेन्नई जैसे बड़े शहरों में काम करने वाले लोगों को केंद्र व उत्तर प्रदेश की सरकार द्वारा संचालित इन योजनाओं से लाभ मिलता दिख रहा है. अभी कुछ दिनों पहले ही शुरू हुई आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश रोजगार योजना बलरामपुर जिले में प्रवासी श्रमिकों के लिए राहत देने का काम कर रही है.

बलरामपुर में आत्मनिर्भर अभियान.

लॉकडाउन के दौरान बाहर से आए 48,000 से ज्यादा प्रवासी श्रमिकों को जहां त्वरित गति से मनरेगा में काम दिया गया. वहीं, कुशल व अकुशल श्रमिकों का डाटा तैयार कर उन्हें काम देने की तैयारी की जा रही है. जनधन खाते से मिले पैसों व मुफ्त राशन पाकर लाभार्थियों ने इसके लिए सरकार का आभार प्रकट किया है.

जिला उद्योग केंद्र के उपायुक्त हर्ष प्रताप सिंह ने कहा कि प्रवासी श्रमिकों का डाटा तैयार किया जा रहा है, जिन्हें जिले में चल रहे छोटे-छोटे उद्योगों में उनके कार्य कुशलता के अनुसार काम दिलाया जाएगा. जिले के मुख्य विकास अधिकारी अमनदीप डुली ने बताया कि मनरेगा के तहत प्रवासी श्रमिकों को तुरंत काम देकर उनको बेरोजगारी से राहत दी गई है.

आगे देखने वाली बात होगी कि सरकार इतनी बड़ी संख्या में आए प्रवासियों का पलायन अपनी रोजगार योजनाओं से किस तरह से रोकती है. साथ ही कुशल या अकुशल मजदूरों को नियमित तौर पर रोजगार उपलब्ध करवाने की चुनौती को सरकार किस तरह से लेती है.

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