बलरामपुर: जिले में एक प्लाईवुड फैक्ट्री का बॉयलर फटने से तेज धमाका हो गया. इस धमाके की आवाज कई किलोमीटर दूर तक सुनी गई. धमाका इतना तेज था कि फैक्ट्री में काम कर रहे दो मजदूर बुरी तरह झुलस गए. आनन-फानन में दोनों को सीएचसी पचपेड़वा पहुंचाया गया, यहां डॉक्टरों ने एक मजदूर को मृत घोषित कर दिया. पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. वहीं, घायल मजदूर का इलाज शुरू हुआ. फिलहाल इस पूरे मामले पर जिम्मेदारों ने चुप्पी साध रखी है.
क्या है मामला
मामला थाना पचपेड़वा के ग्राम सेमरहना मधवानगर से जुड़ा हुआ है. यहां जंगलों के बीच रिमोट एरिया में एक प्लाईवुड फैक्ट्री चलाई जा रही थी. मंगलवार को प्लाईवुड फैक्ट्री में लगा बॉयलर अचानक तेज धमाके के साथ फट गया. इससे मौके पर काम कर रहे दो मजदूर गंगाराम व हारून गंभीर रुप से झुलस गए. फैक्ट्री मालिक व ग्रामीणों की मदद से किसी तरह दोनों को सीएचसी पचपेड़वा पहुंचाया गया. यहां डॉक्टरों ने गंगाराम को मृत घोषित कर दिया. वहीं हारुन का गंभीर हालत में इलाज चल रहा है.
कैसे हुआ हादसा
जंगलों के बीच चल रही यह प्लाईवुड फैक्ट्री पूर्व विधायक बिंदु लाल के बेटे राजेश उर्फ मंगू की बताई जाती है. इसे सीतापुर के रहने वाले आरिफ, अन्नू, सफीक बाबा और कलीम मिलकर कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर चला रहे हैं. लेकिन इस फैक्टरी का क्या नाम है यह न तो आसपास के ग्रामीणों को पता है और न ही फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों को. एक मजदूर ने बताया कि बॉयलर को 10 बजे के करीब शुरू किया गया और 10-15 मिनट में ही इतना गर्म हो गया कि धमका हो गया. धमाके की गूंज कई किलोमीटर तक सुनाई दी.
सुरक्षा मानकों का कोई इंतजाम नहीं
इस फैक्ट्री में सुरक्षा मानकों को लेकर कोई भी एहतियात नहीं बरता गया है. बिना चारदीवारी और पर्यावरण सुरक्षा मानकों के ही इस फैक्ट्री को चलाया जा रहा है. सुरक्षा मानकों के नाम पर महज खानापूर्ति कर रुपये कमाने के लिए इस फैक्ट्री को जंगल में लगाया गया था.
मौके पर नहीं पहुंचे अधिकारी
घटना की जानकारी मिलने के बावजूद भी आलाधिकारियों ने मौके पर जाना मुनासिब नहीं समझा. पुलिस कप्तान ने इस मामले पर ईटीवी भारत को कोई जानकारी नहीं दी.
इन सवालों के नहीं मिले जबाव
ऐसे में बड़ा सवाल ये उठता है कि जंगलों के बीच इस फैक्ट्री को कैसे बनाया गया. क्या फायर डिपार्टमेंट से इस फैक्ट्री को चलाने के लिए एनओसी ली गई. इस फैक्ट्री के नाम का बोर्ड वहां पर क्यों नहीं लगाया गया. सवाल यह भी उठ रहा है कि कैसे बिना मानकों के करीब 12 वर्षों से फैक्ट्री चल रही थी.
क्या बोले चिकित्साधिकारी
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पचपेड़वा के चिकित्सा अधिकारी डॉ. मिथिलेश कुमार ने बताया कि पचपेड़वा के इलाके में फैक्ट्री का बाल फटने के कारण 2 मजदूरों के घायल होने की सूचना मिली थी. गंगाराम नाम के मजदूर को जब यहां पर लाया गया तो उसकी मौत हो चुकी थी. वहीं, दूसरे मजदूर हारून की हालत अब स्थिर है, जिसे उपचार के बाद उसके घर भेज दिया गया है.