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बलियाः वन विभाग के विरोध में कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन - मोती झील

बलिया जिले के बांसडीह तहसील क्षेत्र में पुराना डहताल है, जिसको वन विभाग पर्यटन स्थल बनाना चाह रहा है. वन विभाग के फैसले के विरोध में गुरुवार को कई गावों के निषाद समाज के लोगों ने कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया और इस फैसले को वापस लेने की मांग की.

protest against forest department in balia
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Published : Oct 18, 2019, 8:42 PM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:25 PM IST

बलिया: प्राचीन डीहताल (मोती झील) को पर्यटन स्थल बनाये जाने की योजना का निषाद समाज के लोग विरोध कर रहे हैं. निषाद समाज को लोगों का कहना है कि सालों से वे इसी तालाब से मछली पकड़ कर जीवन यापन करते आ रहे हैं. जब यह पर्यटन स्थल बन जाएगा तो यहां वन विभाग के नियम कानून लागू हो जाएंगे.

वन विभाग के विरोध में कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन.
निषाद समाज के लोग इसी डहताल से कांटे के माध्यम से मछली पकड़ कर उसे बाजार में बेचते हैं, जिससे उनका परिवार चलता है. यदि यह पर्यटन स्थल बन जाएगा तो यहां पर मछली के मारने पर रोक लग जाएगी, साथ ही कृषि के लिए जो पानी भी मिलता है वह भी नहीं मिलेगा. इसलिए ग्रामीणों ने जिलाधिकारी को संबोधित ज्ञापन देकर इस फैसले को बदलने की मांग की.

पढ़ें-पीएम नरेंद्र मोदी ने जहां से शुरू की थी उज्ज्वला योजना, अब वहीं उठ रहा 'धुंआ

साइबेरियन पक्षियों का होता है जमावड़ा
शीतकाल में प्रत्येक वर्ष वाराणसी और बलिया में साइबेरियन पक्षियों का आना शुरू हो जाता है, जो यहां जनवरी के अंत तक रहते हैं. बलिया के सुरहा ताल में भी साइबेरियन पक्षी आते हैं, जिसे देखने के लिए बलिया और आसपास के जिलों के लोग भी पहुंचते हैं. सुरहा ताल से कुछ दूरी पर डहताल भी है यहां पर भी साइबेरियन पक्षी पहुंचते हैं और पूरे शीतकाल में यहीं पर रहते हैं. इसलिए वन विभाग इस ताल को विकसित कर पर्यटन स्थल बनाने की रूपरेखा बना रहा है.

प्रदर्शन कर रहे ग्रामीण सुरेंद्र निषाद ने बताया कि वन विभाग के अनुसार, डहताल पर विदेशी साइबेरियन पक्षी आते हैं, जिस कारण इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाना है. यदि यहां कोई विदेशी या देशी पक्षी आते हैं और मछली मारने के कांटे में वह फंस जाते हैं, तो वन विभाग मुकदमा दर्ज कर देगा और इस मुकदमे में बेल भी बड़ी मुश्किल से मिलती है. इसी डर से हम लोग यहां पर प्रदर्शन कर रहे हैं.

बलिया: प्राचीन डीहताल (मोती झील) को पर्यटन स्थल बनाये जाने की योजना का निषाद समाज के लोग विरोध कर रहे हैं. निषाद समाज को लोगों का कहना है कि सालों से वे इसी तालाब से मछली पकड़ कर जीवन यापन करते आ रहे हैं. जब यह पर्यटन स्थल बन जाएगा तो यहां वन विभाग के नियम कानून लागू हो जाएंगे.

वन विभाग के विरोध में कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन.
निषाद समाज के लोग इसी डहताल से कांटे के माध्यम से मछली पकड़ कर उसे बाजार में बेचते हैं, जिससे उनका परिवार चलता है. यदि यह पर्यटन स्थल बन जाएगा तो यहां पर मछली के मारने पर रोक लग जाएगी, साथ ही कृषि के लिए जो पानी भी मिलता है वह भी नहीं मिलेगा. इसलिए ग्रामीणों ने जिलाधिकारी को संबोधित ज्ञापन देकर इस फैसले को बदलने की मांग की.

पढ़ें-पीएम नरेंद्र मोदी ने जहां से शुरू की थी उज्ज्वला योजना, अब वहीं उठ रहा 'धुंआ

साइबेरियन पक्षियों का होता है जमावड़ा
शीतकाल में प्रत्येक वर्ष वाराणसी और बलिया में साइबेरियन पक्षियों का आना शुरू हो जाता है, जो यहां जनवरी के अंत तक रहते हैं. बलिया के सुरहा ताल में भी साइबेरियन पक्षी आते हैं, जिसे देखने के लिए बलिया और आसपास के जिलों के लोग भी पहुंचते हैं. सुरहा ताल से कुछ दूरी पर डहताल भी है यहां पर भी साइबेरियन पक्षी पहुंचते हैं और पूरे शीतकाल में यहीं पर रहते हैं. इसलिए वन विभाग इस ताल को विकसित कर पर्यटन स्थल बनाने की रूपरेखा बना रहा है.

प्रदर्शन कर रहे ग्रामीण सुरेंद्र निषाद ने बताया कि वन विभाग के अनुसार, डहताल पर विदेशी साइबेरियन पक्षी आते हैं, जिस कारण इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाना है. यदि यहां कोई विदेशी या देशी पक्षी आते हैं और मछली मारने के कांटे में वह फंस जाते हैं, तो वन विभाग मुकदमा दर्ज कर देगा और इस मुकदमे में बेल भी बड़ी मुश्किल से मिलती है. इसी डर से हम लोग यहां पर प्रदर्शन कर रहे हैं.

Intro:बलिया जिले के बांसडीह तहसील क्षेत्र में प्राचीन डहताल है जिसको वन विभाग द्वारा पर्यटन स्थल बनाने का खाखा तैयार किया जा रहा है जिसके विरोध में इलाके की एक दर्जन गांव के निषाद समाज के लोगों ने कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन किया और इस फैसले को वापस लेने की मांग की


Body:कलेक्ट्रेट परिसर में प्रदर्शन करते हुए लोग प्राचीन डीहताल (मोती झील) सालों से मछली मार कर जीवन यापन करते आ रहे हैं पिछले दिनों वन विभाग द्वारा इस साल को पर्यटन स्थल बनाने की कवायद शुरू करने की जानकारी ग्रामीणों को हुई तो ग्रामीणों इसका विरोध करना शुरू किया

निषाद समाज के यह ग्रामीण इसी डहताल से कांटे के माध्यम से मछली पकड़ कर उसे बाजार में बेचते हैं जिससे इनका परिवार चलता है लेकिन यदि या पर्यटन स्थल बन जाएगा तो यहां पर मछली के मारने पर रोक लग जाएगी साथ ही कृषि के लिए जो पानी भी मिलता है वह भी नहीं मिलेगा इसलिए ग्रामीणों ने जिलाधिकारी को संबोधित ज्ञापन देकर इस फैसले को बदलने की मांग की

बनाई जा रही है जहां से मछली मारकर कई गावो के लोगो का जीवनोपार्जन होता है लेकिंनवन विभाग द्वारा इस ताल को पर्यटन स्थल बनाने की तौयारी कर रहा है जिस कारण यहां मछली पकड़ने पर रोक हो जाएगी

साइबेरियन पक्षियों का होता है जमावड़ा

शीतकाल में प्रत्येक वर्ष वाराणसी और बलिया में साइबेरियन पक्षियों का आना शुरू हो जाता है जो यहां जनवरी के अंत तक रहते हैं बलिया के सुरहा ताल में भी साइबेरियन पक्षी आते हैं जिसे देखने के लिए बलिया और आसपास के जिलों के लोग भी पहुंचते हैं सुरहा ताल से कुछ दूरी पर डहताल भी है यहां पर भी साइबेरियन पक्षी पहुंचते हैं और पूरे शीतकाल में यहीं पर रहते हैं इसलिए वन विभाग इस ताल को विकसित कर पर्यटन सल बनाने की रूपरेखा बना रहा है


Conclusion:ग्रामीण सुरेंद्र निषाद दहताल के हालपुर के निवासी हैं प्रदर्शन कर वन विभाग के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं उन्होंने बताया कि वन विभाग के अनुसार यहां पर विदेशी साइबेरियन पक्षी आते है जिस कारण इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाना है यदि यहां कोई विदेशी या देसी पक्षी आते हैं और मछली मारने के कांटे में यदि यह पक्षी फस जाते हैं तो वन विभाग सारे केस लगाकर मुकदमा दर्ज कर देगा और इस मुकदमे में बेल भी बड़ी मुश्किल से मिलती है इसी डर से हम लोग यहां पर प्रदर्शन कर रहे हैं

बाइट--सुरेंद्र निषाद---ग्रामीण

प्रशान्त बनर्जी
बलिया
Last Updated : Sep 10, 2020, 12:25 PM IST
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