बलिया: प्राचीन डीहताल (मोती झील) को पर्यटन स्थल बनाये जाने की योजना का निषाद समाज के लोग विरोध कर रहे हैं. निषाद समाज को लोगों का कहना है कि सालों से वे इसी तालाब से मछली पकड़ कर जीवन यापन करते आ रहे हैं. जब यह पर्यटन स्थल बन जाएगा तो यहां वन विभाग के नियम कानून लागू हो जाएंगे.
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साइबेरियन पक्षियों का होता है जमावड़ा
शीतकाल में प्रत्येक वर्ष वाराणसी और बलिया में साइबेरियन पक्षियों का आना शुरू हो जाता है, जो यहां जनवरी के अंत तक रहते हैं. बलिया के सुरहा ताल में भी साइबेरियन पक्षी आते हैं, जिसे देखने के लिए बलिया और आसपास के जिलों के लोग भी पहुंचते हैं. सुरहा ताल से कुछ दूरी पर डहताल भी है यहां पर भी साइबेरियन पक्षी पहुंचते हैं और पूरे शीतकाल में यहीं पर रहते हैं. इसलिए वन विभाग इस ताल को विकसित कर पर्यटन स्थल बनाने की रूपरेखा बना रहा है.
प्रदर्शन कर रहे ग्रामीण सुरेंद्र निषाद ने बताया कि वन विभाग के अनुसार, डहताल पर विदेशी साइबेरियन पक्षी आते हैं, जिस कारण इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाना है. यदि यहां कोई विदेशी या देशी पक्षी आते हैं और मछली मारने के कांटे में वह फंस जाते हैं, तो वन विभाग मुकदमा दर्ज कर देगा और इस मुकदमे में बेल भी बड़ी मुश्किल से मिलती है. इसी डर से हम लोग यहां पर प्रदर्शन कर रहे हैं.