बलिया: योगी सरकार के पहले मंत्रिमंडल विस्तार में बलिया नगर से भाजपा विधायक आनंद स्वरूप शुक्ल को राज्य मंत्री बनाया गया. इसके बाद मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल की मां ने बेटे को मंत्री बनाए जाने पर खुशी जाहिर की. उन्होंने कहा कि देश सेवा के लिए मैंने बेटे को विधायक बनाया है और अब सरकार ने उन्हें मंत्री बनाकर प्रदेश के विकास करने की जिम्मेदारी दी है.
12वीं कक्षा के दौरान ही राजनीति में आने का बना लिया था मन
आनंद स्वरूप शुक्ला 2017 में पहली बार बलिया नगर से भाजपा विधायक चुने गए. आनंद स्वरूप शुक्ल बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल रहे हैं. 12वीं में ही उन्होंने राजनीति में आने का मन बना लिया था. स्नातक की पढ़ाई बलिया जिले के सतीश चंद्र महाविद्यालय से उन्होंने पूरी की. इसके बाद उन्होंने इसी महाविद्यालय से छात्र संघ का चुनाव लड़ा और अध्यक्ष चुने गए.
भाषण में अधिकतर संस्कृत के शब्दों का करते हैं प्रयोग
मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल के पिता संस्कृत के प्रकांड विद्वान हैं. उनका लक्षण उनके बेटे आनंद स्वरूप शुक्ल पर साफ दिखाई देता है. जनसभाओं में हो या पार्टी की बैठक में मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल हमेशा से ही अपने भाषण में महाभारत के श्लोकों को उदाहरण स्वरूप प्रयोग करते रहे हैं. इतना ही नहीं अपनी बातों को पार्टी कार्यकर्ताओं के दिलों तक पहुंचाने के लिए हमेशा से ही आंकड़ों के साथ तथ्यपरक बातें कर अपनी बात को प्रभावशाली बनाते हैं.
राज्य मंत्री बने आनंद स्वरूप शुक्ल की मां सीता शुक्ला ने बताया कि आज उन्हें बेहद खुशी हुई. बेटे को मंत्री बनाए जाने पर वह गर्व महसूस कर रही हैं. उन्होंने कहा कि बचपन से ही आनंद स्वरूप पढ़ाई लिखाई में होशियार हैं. स्नातक की पढ़ाई करने सतीश चंद्र कॉलेज पहुंचने पर राजनीति में और सक्रिय होते चले गए. इसके बाद भाजपा का सदस्य होने के बाद युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं के लिए वह हमेशा तत्पर रहते थे.
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उन्होंने कहा कि 2017 में पहली बार विधायक बनने के बाद जब मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल ने उनके पैर छुए तब उन्होंने कहा था कि मैंने आपको विधायक इसलिए बनाया है कि आप देश की सेवा करें. मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल ने मां के आदेश का पालन करते हुए इन ढाई सालों में लगातार अपने क्षेत्र के लोगों के विकास और उनकी समस्याओं को दूर करने के लिए कार्य किया.
देश सेवा के लिए नहीं किया विवाह
मां सीता शुक्ला ने बताया कि घर के सदस्य और मित्रगण मेरे सबसे छोटे बेटे आनंद स्वरूप की शादी को लेकर सवाल करते थे. एक दिन बेटे आनंद ने मां से दो टूक कहा कि मुझे देश सेवा करनी है, इसलिए विवाह के बंधन में नहीं बंधना. इसके बाद मैंने भी कभी उनसे शादी करने का जिक्र नहीं किया.