बलिया: अगस्त की क्रांति में जिला का महत्वपूर्ण स्थान रहा है. पूरे देश में भारत छोड़ो आंदोलन की 77वीं वर्षगांठ पर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. उत्तर प्रदेश सरकार ने 22 करोड़ पौधे लगाने का संकल्प भी लिया है. जिले में भी इस अभियान के तहत पौधारोपण किया गया, लेकिन इन सबके बीच स्कूली बच्चों ने स्वतंत्रता सेनानियों के साथ हुए अत्याचार और अंग्रेजी हुकूमत के जुल्मों के इंतेहा को नाटक के माध्यम से लोगों के बीच रखा.
77वीं वर्षगांठ पर आयोजित किया गया कार्यक्रम-
- जिले के ज्ञानपीठ स्कूल के छात्र छात्राओं ने भारत छोड़ो आंदोलन को लेकर एक नाटक प्रस्तुत किया.
- इस नाटक में बच्चों ने महात्मा गांधी और उनके साथियों पर हुए अंग्रेजी जुल्मों का सजीव चित्रण किया.
- छात्रों ने भारत छोड़ो आंदोलन को लेकर की गई कांग्रेस की बैठक को दिखाया.
- अंग्रेजों द्वारा महात्मा गांधी को गिरफ्तार करने के दृश्य को बखूबी दिखाया गया.
- आयोजन में नाटक के माध्यम से देश की आजादी का महत्व लोगों को बताया गया.
- भले ही देश 1947 में आजाद हुआ, लेकिन इसकी नींव 1942 में ही पड़ गई थी.
- 9 अगस्त 1942 को ही महात्मा गांधी ने देशवासियों को करो या मरो का नारा दे दिया था.
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अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध आवाज उठाने पर भारतीयों को अनेक यातनाएं दी गई थीं. अंग्रेजी हुकूमत ने 60 हजार लोगों को गिरफ्तार किया था और 18 हजार लोगों को नजरबंद कर रखा गया था. करीब 940 लोगों की हत्या कर दी गई थी, इतनी कठिनाइयों के बाद हमारा देश आजाद हुआ था.
हम लोग यहां वृक्षारोपण कार्यक्रम में आए थे. उसके बाद हम लोगों ने भारत छोड़ो आंदोलन की 77वीं वर्षगांठ के उपलक्ष में एक नाटक का मंचन किया, जिसके माध्यम से लोगों को आजादी मिलने के पहले तक की अंग्रेजी हुकूमत के तानाशाही रवैए का चित्रण कर दिखाया गया.
-निशा सिंह, छात्रा