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14 साल बाद निर्दोष, जेल से बाहर आए मुकेश ने सरकार से लगाई मदद की गुहार

यूपी में बलिया जिले के रेवती गांव के रहने वाले मुकेश तिवारी को 14 साल की जेल के बाद हाईकोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में रिहा कर दिया. मुकेश तिवारी के सामने जिंदगी को नए सिरे से शुरू करने की चुनौती है. 14 साल की लंबी कानूनी लड़ाई में उनके पिता को अपने खेतों को बेचना पड़ा, मां के जेवर भी बिक गए. अब वह सूबे की सरकार से नए सिरे से जिंदगी शुरू करने के लिए आर्थिक मदद की गुहार लगा रहे हैं.

परिवार के साथ मुकेश तिवारी.
परिवार के साथ मुकेश तिवारी.
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Published : Mar 14, 2021, 9:29 AM IST

बलिया: उत्तर प्रदेश के बलिया जनपद में एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां एक शख्स को निर्दोष साबित होने में 14 साल लग गए. बलिया जिले के रेवती के वार्ड-11 के सभासद रामप्रवेश तिवारी के पुत्र मुकेश तिवारी 14 वर्ष की सजा काटने के बाद मामले में निर्दोष साबित होने पर घर लौटे. उनके आने से परिवार वाले खुश हैं, लेकिन मुकेश को जीवन के बहुमूल्य 14 वर्ष बर्बाद होने का मलाल है.

जानकारी देते मुकेश तिवारी.

मुकेश ने बताया कि 30 जुलाई 2007 को प्रताप शंकर मिश्र की हुई हत्या के मामले में परिजनों की तहरीर पर उन्हें आरोपी बनाया गया था. उस समय मैं अपने घर सोया हुआ था. लाख कहने के बाद भी लोगों ने मेरी बात नहीं मानी. 3-4 दिन बाद मैं थाने में हाजिर हो गया. मुकदमा चला और इस मामले में 2009 में जिला जज ने सजा सुना दी.

इसके बाद घर वालों ने कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की, जहां सुनवाई चलती रही. इस दरम्यान निर्दोष होने की दलील दी गई, लेकिन सजा चलती रही और वह जेल में ही जीवन के दिन काटते रहे. आखिरकार सारे सुबूत और गवाह को देखने व सुनने के बाद हाईकोर्ट ने उन्हें रिहा करने का आदेश दिया.

कानूनी लड़ाई परिवार के लिए बनी परेशानी
मुकेश के पिता रामप्रवेश तिवारी ने बताया कि उनके लड़के को गलत तरीके से मर्डर केस में फंसाया गया. क्योंकि उनके लड़के का बीटीसी में चयन हो चुका था. मुकेश तिवारी ने बताया कि 2007 में वह बीएससी-बीएड का एक छात्र था. उस समय शासन द्वारा विशेष बीटीसी का चयन हो रहा था जिसमें उन्होंने बलिया से फार्म भरा था. फार्म भरने के बाद मैं अपने ससुराल चला गया था. शासन द्वारा मेरा विशिष्ट बीटीसी में चयन हो गया था.

मुकेश तिवारी ने बताया कि उनके पिता सभासद है. जिसके चलते उन्हें राजनीति कारणोंं से फंसा दिया गया. मुकेश ने बताया कि न्याय की मांग लेकर वे बलिया न्यायालय गए, लेकिन वहां से उन्हें कोई न्याय नहीं मिला. बलिया में गलत तरीके से गवाही करा कर फंसा दिया गया. जिसके चलते 14 वर्ष जेल बिताना पड़ा.

इसे भी पढे़ं- एंटीलिया मामला : एनआईए ने 12 घंटे की पूछताछ के बाद वाजे को किया गिरफ्तार

बलिया: उत्तर प्रदेश के बलिया जनपद में एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां एक शख्स को निर्दोष साबित होने में 14 साल लग गए. बलिया जिले के रेवती के वार्ड-11 के सभासद रामप्रवेश तिवारी के पुत्र मुकेश तिवारी 14 वर्ष की सजा काटने के बाद मामले में निर्दोष साबित होने पर घर लौटे. उनके आने से परिवार वाले खुश हैं, लेकिन मुकेश को जीवन के बहुमूल्य 14 वर्ष बर्बाद होने का मलाल है.

जानकारी देते मुकेश तिवारी.

मुकेश ने बताया कि 30 जुलाई 2007 को प्रताप शंकर मिश्र की हुई हत्या के मामले में परिजनों की तहरीर पर उन्हें आरोपी बनाया गया था. उस समय मैं अपने घर सोया हुआ था. लाख कहने के बाद भी लोगों ने मेरी बात नहीं मानी. 3-4 दिन बाद मैं थाने में हाजिर हो गया. मुकदमा चला और इस मामले में 2009 में जिला जज ने सजा सुना दी.

इसके बाद घर वालों ने कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की, जहां सुनवाई चलती रही. इस दरम्यान निर्दोष होने की दलील दी गई, लेकिन सजा चलती रही और वह जेल में ही जीवन के दिन काटते रहे. आखिरकार सारे सुबूत और गवाह को देखने व सुनने के बाद हाईकोर्ट ने उन्हें रिहा करने का आदेश दिया.

कानूनी लड़ाई परिवार के लिए बनी परेशानी
मुकेश के पिता रामप्रवेश तिवारी ने बताया कि उनके लड़के को गलत तरीके से मर्डर केस में फंसाया गया. क्योंकि उनके लड़के का बीटीसी में चयन हो चुका था. मुकेश तिवारी ने बताया कि 2007 में वह बीएससी-बीएड का एक छात्र था. उस समय शासन द्वारा विशेष बीटीसी का चयन हो रहा था जिसमें उन्होंने बलिया से फार्म भरा था. फार्म भरने के बाद मैं अपने ससुराल चला गया था. शासन द्वारा मेरा विशिष्ट बीटीसी में चयन हो गया था.

मुकेश तिवारी ने बताया कि उनके पिता सभासद है. जिसके चलते उन्हें राजनीति कारणोंं से फंसा दिया गया. मुकेश ने बताया कि न्याय की मांग लेकर वे बलिया न्यायालय गए, लेकिन वहां से उन्हें कोई न्याय नहीं मिला. बलिया में गलत तरीके से गवाही करा कर फंसा दिया गया. जिसके चलते 14 वर्ष जेल बिताना पड़ा.

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