बलिया: जिले के बेरुआरबारी शिक्षा क्षेत्र के पूर्व माध्यमिक विद्यायल सुखपुरा में तैनात सहायक अध्यापक बृज मोहन प्रसाद अनाड़ी को उनकी भोजपुरी भाषा में लिखी गई रचनाओं ने यूपी में अलग पहचान दिलाई है. गीत उपन्यास और महाकाव्य लिख कर उन्होंने न केवल भोजपुरी भाषा को लोगों के बीच पहुंचाने का काम किया है बल्कि सरकार ने भी उनके इस प्रयासों को सराहा है.
- किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले बृज मोहन प्रसाद सरल और विनम्र स्वभाव के शिक्षक हैं.
- स्कूल में शिक्षण कार्य पूर्ण होने के बाद वे अपने गीतों को लिखने का काम करते हैं.
- बतौर शिक्षक वे अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं.
- यही वजह है कि स्कूल के बच्चों में भी उनकी खासी लोकप्रियता है.
- सरकार ने उन्हें भिखारी ठाकुर भोजपुरी सम्मान से सम्मानित किया है.
बृज मोहन प्रसाद की रचनाएं-
बृज मोहन प्रसाद की अनेक रचनाएं प्रकाशित भी हो चुकी है, जिनमें अखियन के लोर, भोजपुरी गजल संग्रह, सीतुही के मोती, जिनकी के थाती,गुलरी के फूल गीत संग्रह है. इसके अलावा कई रचनाएं प्रकाशित होने को है. जिनमें विद्वता बनाम पाखंड, कन्यादान और दूज के चांद मुख्य हैं.
कई उपाधियों से नवाजा भी गया-
भोजपुरी भाषा के प्रति लगन के कारण इन्हें विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ भागलपुर से विद्या वाचस्पति मानद उपाधि भी दी गई है. इतना ही नहीं आरा जनपद के कुंवर सिंह महाविद्यालय की शोध छात्रों ने बृज मोहन प्रसाद व्यक्तित्व एवं कृतित्व विषय पर शोध भी किए हैं.
जिस दिन से यह सूचना प्राप्त हुई है, हम सभी के लिए एक गौरव की बात है. यह गौरव सिर्फ हम शिक्षकों के लिए ही नहीं बल्कि संपूर्ण बलिया के लिए है. भोजपुरी भाषा को एक अलग पहचान प्राप्त हो इसके लिए अनाड़ी जी लगातार पत्राचार कर अपना कर्तव्य पूरा कर रहे हैं.
-जितेंद्र प्रताप सिंह,प्रभारी प्रधानाध्यापक