बलिया: तीन बार प्रधानमंत्री रह चुके भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की आज पहली पुण्यतिथि है. 16 अगस्त 2018 को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में देश के एक महान व्यक्तित्व ने अंतिम सांस ली थी. आजादी की क्रांति के प्रथम नायक मंगल पांडे के जनपद बलिया से भी अटल बिहारी वाजपेयी का नाता जुड़ा हुआ है. अटल के बारे में कुछ बातें 83 वर्षीय भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सुधाकर मिश्रा ने ईटीवी भारत से साझा की.
ईटीवी भारत ने वरिष्ठ नेता सुधाकर मिश्रा से की बातचीत-
सुधाकर मिश्र का जीवन स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपयी के तेजस्वी और ओजपूर्ण भाषण को सुनकर प्रभावित हुआ. इसके बाद साठ के दशक में बीकॉम की पढ़ाई करने के दौरान ही उन्होंने लखनऊ के अमीनदौला पार्क में कार्यकर्ता बनने की ठान लिए. सुधाकर मिश्र 70 के दशक में पटना में आयोजित हुए जनसंघ के पांचवीं अधिवेशन में दोबारा अटल जी के भाषण को सुनने का मौका मिला.
1974 में जनसभा को संबोधित करने आए थे अटल जी-
1974 में बलिया जिले की 8 विधानसभाओं में एक द्वाबा अब (बैरिया) से प्रत्याशी बनने की ललक को लेकर उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यक्रम को रखवाया. उस समय मुख्य अतिथि को 11 हजार रुपये देकर स्वागत करने की परंपरा थी. सुधाकर मिश्रा ने बताया कि अटल जी आए, जनसभा को संबोधित किया. लोग उनके भाषण को सुनने के लिए बलिया ही नहीं बिहार के आरा, छपरा और बक्सर से पहुंचे हुए थे. जनसभा खत्म हुई, लेकिन वो थैली नहीं दी गई. अटल जी वापस बलिया के वरिष्ठ फौजदारी वकील शिव कुमार राय के आवास पर रात्रि विश्राम करने के लिए पहुंचे.
बलिया पहुंचने पर अटल बिहारी वाजपेयी नाराज थे, क्योंकि उन्हें सम्मान के रूप में मिलने वाली थैली नहीं मिली थी. इस पर उन्होंने कार्यकर्ताओं से पूछा वह प्रत्याशी कहां है? जिसके लिए मैंने इतनी अपार जनसभा को संबोधित किया उसे बुलाओ. मुझे बुलाया गया. मैं वहां पहुंचा तो अटल जी ने कहा 'तुम तो बड़े चालाक निकले, हम से मजदूरी करा ली, लेकिन हमारी मजदूरी नहीं दी मेरा थैला मुझे नहीं मिला'.
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सुधाकर मिश्र ने बताया कि इस पर मैंने कहा कि इस पूरे मामले को लेकर आप तत्कालीन तीन जिलों के संगठन प्रभारी रहे कलराज मिश्र से बात कर सकते हैं. कलराज मिश्र ने बताया कि यह तो प्रत्याशी ही नहीं हैं, क्योंकि संसदीय बोर्ड की बैठक के दौरान बलिया से फोन गया था कि द्वाबा क्षेत्र से प्रत्याशी की घोषणा नहीं की जाए. यह सुनकर अटल बिहारी वाजपेयी ने तुरंत नानाजी देशमुख से संपर्क कर बलिया के द्वाबा क्षेत्र से सुधाकर मिश्रा को प्रत्याशी घोषित किए जाने की बात कही.
एक दिन में 13 जनसभाओं को किया था संबोधित-
वरिष्ठ नेता सुधाकर मिश्र ने बताया कि 1986 में अटल जी का एक बार और बलिया में कार्यक्रम हुआ. उस दौरान तत्कालीन जिलाध्यक्ष कृष्ण शंकर पांडे ने अटल बिहारी वाजपेयी की 1 दिन में 13 जनसभाएं जिले के अलग-अलग हिस्सों में रखवा दी. वाजपेयी जी के आने से पहले प्रदेश नेतृत्व बलिया पहुंचा तो उन्हें 13 जनसभाओं की जानकारी हुई. इस पर लोगों ने निर्णय लिया कि अटलजी के लिए सिर्फ तीन जनसभाएं रखी जाए और शेष जनसभाओं में प्रदेश का नेतृत्व पहुंचेगा.
निर्धारित समय पर अटल बिहारी वाजपेयी बलिया पहुंचे तो कार्यकर्ताओं के माध्यम से उनको 13 की जगह 3 जनसभाएं करने की जानकारी प्राप्त हुई. इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा कि जहां-जहां मेरे नाम पर लोगों को बुलाया गया है, मैं वहां जाऊंगा. अटल बिहारी वाजपेयी एक दिन में सभी 13 जनसभाओं को संबोधित कर बलिया जिले के लिए एक कीर्तिमान स्थापित कर दिए.
सुधाकर मिश्र ने बताया कि जनसभा समाप्त कर रात में पीडब्ल्यूडी के डाक बंगले में वो रुके हुए थे, तभी कलराज मिश्र उनके कक्ष में पहुंचे. उनसे कहा कि मैं आपके पैर दबा देता हूं. इस पर अटल जी ने कहा कि आज तो मुझे किसी प्रकार की थकान ही नहीं हो रही है. आप अपने कक्ष में जाएं और आराम करें. दूसरे दिन सुबह वापस बलिया से जाते वक्त स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी अपने कमरे से बाहर निकले और भाजपा के कार्यकर्ताओं से मुस्कुराते हुए कहा 'बलिया वालो बताओ और भी कोई जनसभा रह गई हो तो उसे भी अभी करा लो'.